भारतीय अर्थव्यवस्था
राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018
- 03 May 2018
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में दूरसंचार विभाग (DOT) ने नई दूरसंचार नीति का मसौदा, ‘राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति-2018’ के नाम से जारी किया है। ध्यातव्य है कि इसके तहत, वर्ष 2022 तक 40 लाख नए रोजगार सृजन करने के महत्त्वपूर्ण लक्ष्य के साथ ही अन्य कई सुविधाओं का प्रावधान किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस नई पॉलिसी के ड्राफ्ट के तहत, टेलिकॉम सेक्टर को कर्ज से उबारने पर ध्यान दिया गया है।
- इसके साथ ही टेलिकॉम कंपनियों की लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम शुल्क की समीक्षा भी की जाएगी।
- नई पॉलिसी के ड्राफ्ट में कारोबार को आसान बनाने पर भी ज़ोर दिया गया है।
- नई पॉलिसी के ड्राफ्ट में निम्नलिखित लक्ष्यों का निर्धारण किया गया है-
♦ 2020 तक सभी ग्राम पंचायतों को 1 gbps ब्रॉडबैंड की सुविधा प्रदान कराना ।
♦ 2022 तक 10 gbps ब्रॉडबैंड की सुविधा प्रदान कराना।
♦ टेलिकॉम सेक्टर में 100 अरब डॉलर के निवेश को आकर्षित करना।
♦ 50 mbps स्पीड ब्रॉडबैंड सेवा उपलब्ध करवाना।
♦ 40 लाख नए लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाना।
♦ 2020 तक यूनिक मोबाइल सब्सक्राइबर घनत्व (unique mobile subscriber density) को 55 तथा 2022 तक 65 तक बढ़ाना। - नई पॉलिसी के ड्राफ्ट के तहत, 'राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड अभियान’(National Broadband Mission) की स्थापना की बात कही गई है, जो USOF और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के वित्त पोषण माध्यम से सार्वभौमिक ब्रॉडबैंड की पहुँच सुनिश्चित करेगा।
- इसके साथ ही नई नीति के तहत, भारत में सैटेलाइट कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (SCT) को मज़बूत करने के बारे में भी उल्लेख किया गया है।
- 50 प्रतिशत घरों तक लैंडलाइन ब्रॉडबैंड की पहुँच सुनिश्चित करना तथा लैंडलाइन पोर्टेबिलिटी सेवाएँ प्रारंभ करना।
- नई पॉलिसी के ड्राफ्ट में डिजिटल संचार के लिये टिकाऊ और किफायती पहुँच सुनिश्चित करने हेतु "स्पेक्ट्रम की इष्टतम मूल्य निर्धारण"(Optimal Pricing of Spectrum) की नीति अपनाने का प्रस्ताव रखा गया है।
- नई पॉलिसी के ड्राफ्ट में अगली पीढ़ी के नेटवर्क के लिये मिड बैंड स्पेक्ट्रम, विशेष तौर पर 3 GHz से 24 GHz रेंज को पहचानने का प्रस्ताव निहित है।
- बढ़ती मांग को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय प्रचलन के अनुसार E (71-76/81-86 GHz) और V (57-64 MHz) बैंड में मोबाइल टावरों के बीच संकेतों को प्रेषित करने के लिये उच्चतम रोडमैप का रेखांकन किया गया है।
- नई पॉलिसी के ड्राफ्ट में ऋण के बोझ से दबे दूरसंचार क्षेत्र को उबारने का प्रयास भी शामिल है।
- ऋण के बोझ से दबे दूरसंचार क्षेत्र को उबारने के लिये दूरसंचार कंपनियों की लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम शुल्क की समीक्षा करना इस ड्राफ्ट में शामिल है। गौरतलब है कि इन सभी शुल्कों के कारण दूरसंचार सेवा की लागत बढ़ती है।
- डिजिटल संचार उपकरण, बुनियादी ढाँचें और सेवाओं पर कर तथा लेवी को तर्कसंगत बनाने का प्रस्ताव भी इस ड्राफ्ट में निहित है।
- नई पॉलिसी के ड्राफ्ट का मुख्य उद्देश्य निवेश, नवाचार और उपभोक्ता हित को प्रभावित करने वाले विनियामक बाधाओं और नियामक बोझ को कम करना है।
निष्कर्ष:
विभिन्न सेवाओं की आपूर्ति के लिये संचार आज सबसे अहम घटक है। संचार क्षेत्र के लिये एक व्यवस्थित बाज़ार और स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा वाले माहौल का होना अति आवश्यक है। भारत, चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार उपभोक्ता बाज़ार है और इसमें दुनिया का सबसे सफलतम दूरसंचार बाज़ार बनने की क्षमता है। यदि 2022 तक भारत इन सभी लक्ष्यों की प्राप्ति कर लेता है तो अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ के आईसीटी विकास सूचकांक (ICT) में 134वाँ रैंक के साथ 50 शीर्ष देशों में शामिल हो जाएगा किंतु इसके लिये विभिन्न मंत्रालयों के बीच बड़े समन्वय की आवश्यकता होगी और सरकार द्वारा इस नीति के सुचारु क्रियान्वयन के साथ ही टेलिकॉम क्षेत्र में ओम्बुड्समैन की नियुक्ति करना भी आवश्यक है, ताकि इस क्षेत्र में पारदर्शिता लाई जा सके।