भारत-नेपाल के बीच सुस्ता क्षेत्र विवाद | 22 May 2020
प्रीलिम्स के लिये:सुस्ता क्षेत्र विवाद, कालापानी विवाद मेन्स के लिये:भारत-नेपाल संबंध |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नेपाल द्वारा आधिकारिक रूप से नेपाल का नवीन मानचित्र जारी किया गया, जो उत्तराखंड के कालापानी (Kalapani) लिंपियाधुरा (Limpiyadhura) और लिपुलेख (Lipulekh) को अपने संप्रभु क्षेत्र का हिस्सा मानता है।
प्रमुख बिंदु:
- ‘विदेश मंत्रालय’ (Ministry of External Affairs- MEA) ने नेपाल के नवीन राजनीतिक मानचित्र को पूरी तरह से 'कृत्रिम' तथा भारत के लिये अस्वीकार्य बताया है।
- 2 नवंबर, 2019 को भारत ने एक नवीन मानचित्र प्रकाशित किया था यह जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के रूप में दर्शाता है। इसी मानचित्र में कालापानी को भी भारतीय क्षेत्र के रूप में दर्शाया गया है।
सुस्ता क्षेत्र (Susta Territorial):
- उत्तर प्रदेश तथा बिहार राज्यों की सीमा पर पश्चिमी चंपारण ज़िलों के पास अवस्थित ‘सुस्ता क्षेत्र’ को भी नेपाल द्वारा अपने नवीन मानचित्र में शामिल किया गया है।
- नेपाल का दावा है कि भारत ने इस क्षेत्र पर अतिक्रमण किया है तथा भारत को इस क्षेत्र को तुरंत खाली करना देना चाहिये।
- तीस्ता क्षेत्र बिहार में 'वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व' की उत्तरी सीमा पर अवस्थित एक गाँव है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत अर्द्ध-सैनिक पुलिस बल, सशस्त्र सीमा बल की एक इकाई इस क्षेत्र में तैनात है।
- सुस्ता क्षेत्र में 265 से अधिक परिवार निवास करते हैं तथा खुद को नेपाल से संबंधित मानते हैं।
विवाद का कारण:
- विवाद का मूल कारण गंडक नदी के बदलते मार्ग को माना जाता है। गंडक नदी नेपाल और बिहार (भारत) के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाती है। गंडक नदी को नेपाल में नारायणी नदी के रूप में जाना जाता है।
- नेपाल का मानना है कि पूर्व में सुस्ता क्षेत्र गंडक नदी के दाएँ किनारे अवस्थित था, जो नेपाल का हिस्सा था। लेकिन समय के साथ नदी के मार्ग में परिवर्तन के कारण यह क्षेत्र वर्तमान में गंडक के बाएँ किनारे पर अवस्थित है। वर्तमान में इस क्षेत्र को भारत द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
उत्तराखंड (भारत)-नेपाल सीमा पर विवाद:
- नेपाल के विदेश मंत्रालय के अनुसार, सुगौली संधि (वर्ष 1816) के तहत काली (महाकाली) नदी के पूर्व के सभी क्षेत्र, जिनमें लिम्पियाधुरा (Limpiyadhura), कालापानी (Kalapani) और लिपुलेख (Lipulekh) शामिल हैं, नेपाल का अभिन्न अंग हैं। भारत के अनुसार, यह क्षेत्र उत्तराखंड के पिथौरागढ़ ज़िले का हिस्सा है जबकि नेपाल इस क्षेत्र को धारचूला ज़िले का हिस्सा मानता है।
मुद्दे पर भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण:
- अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार, किसी नदी के मार्ग में परिवर्तन होता है तो अंतर्राष्ट्रीय सीमा का निर्धारण नदी के मार्ग में बदलाव के स्वरूप के आधार पर किया जाता है अर्थात नदी मार्ग में आकस्मिक बदलाव (Avulsion) हो तो अंतर्राष्ट्रीय सीमा अपरिवर्तित रहती है, यदि नदी मार्ग में बदलाव धीरे-धीरे हो (Accretion) तो सीमा उसके अनुसार परिवर्तित होती है।
आगे की राह:
- दोनों देशों को मौजूदा संधियों के दायरे में एक वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के माध्यम से विवाद समाधान की दिशा में विचार-विमर्श किया जाना चाहिये।
- भारत को नेपाल के साथ सीमा विवादों को कूटनीतिक संवाद के माध्यम से विवादों का अंतर्राष्ट्रीयकरण किये बिना सुलझाने का प्रयास करना चाहिये।