जनजातीय कार्य मंत्रालय की पहलें एवं उपलब्धियाँ | 02 Jan 2018
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2017 में जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा आरंभ की गई पहलों एवं उपलब्धियों के संबंध में एक वार्षिक ब्यौरा प्रस्तुत किया गया है। इस ब्यौरे में मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करते हुए आँकड़ाबद्ध सूचनाएँ प्रदान की गई हैं।
प्रमुख बिंदु
- वर्ष भर मंत्रालय द्वारा जनजातियो के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु बहुत से कार्य किये गए, बहुत सी महत्त्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन एवं प्रबंधन का कार्य करने के साथ-साथ आवश्यक पहलें भी आरंभ की गई।
- इस संबंध में भारत सरकार द्वारा जनजातीय मामलों के मंत्रालय को यह निर्देश दिया गया है कि वह ‘ट्राइबल सब प्लान’ के अंतर्गत दी जाने वाली धनराशि की देख-रेख का कार्य करे, इस योजना को नीति आयोग द्वारा तैयार किया गया है।
बजटीय आवंटन
- जनजातीय कार्य मंत्रालय के लिये वार्षिक बजट वर्ष 2016-17 में 4827.00 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 5329.00 करोड़ रुपए कर दिया गया है। इसके अलावा सभी मंत्रालयों में जनजाति कल्याण हेतु बजट 24,005.00 करोड़ रुपए से बढ़कर 31,920.00 करोड़ कर दिया गया है।
- मंत्रालय द्वारा इस राशि का लगभग 70% हिस्सा पहले ही जनजाति कल्याण की विभिन्न योजनाओं पर खर्च किया जा चुका है।
जनजाति कल्याण हेतु धनराशि की देखरेख
- तकरीबन 32 केंद्रीय मंत्रालय और विभाग द्वारा ‘ट्राइबल सब प्लान’ की धनराशि का देख किया जा रहा हैं, इसके तहत जनजातियों हेतु चलाई जा रही विभिन्न 273 योजनाओं के लिये आवंटन किया जा रहा है।
- जनजातियों के कल्याण की विभिन्न योजनाओं जैसे – शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, सड़क, भवन, बिजली, रोज़गार उत्पादन एवं कौशल निर्माण पर खर्च किया गया है।
- इसकी देख-रेख के लिये एक ऑनलाइन सिस्टम भी बनाया गया है।
- इसके अंतर्गत ढाँचा जनजातियों के कल्याण की योजनाओं, प्रदर्शन, और परिणाम की भी जाँच की जाती है| साथ ही क्षेत्र आधारित प्रदर्शन की भी जाँच की जाती है जिससे ज़िम्मेदारी का निर्धारण किया जा सके।
- इसके लिये एक नोडल ऑफिसर नियुक्त किया गया है, जो मंत्रालय के साथ संपर्क बनाए रहता है।
- इस पूरे कार्यक्रम की छमाही समीक्षा के अंतर्गत संबंधित मंत्रालय और नीति आयोग द्वारा निगरानी की जा चुकी है, जिसके आधार पर इसके प्रदर्शन का आकलन किया जाएगा।
एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल की योजना
- मंत्रालय द्वारा विगत तीन वर्षों के दौरान 51 एकलव्य आवासीय स्कूलों की स्थापना गई है, जबकि वर्तमान में इस तरह के कुल 190 स्कूलों का संचालन किया जा रहा है।
- उल्लेखनीय है कि मंत्रालय द्वारा अब तक कुल 271 एकलव्य आवासीय स्कूलों को मंज़ूरी दी जा चुकी है, जबकि 2017-18 में इस तरह के 14 स्कूलों की स्थापना हेतु सरकार द्वारा 322.10 करोड़ रुपए की राशि को मंज़ूरी दी गई है।
कौशल विकास
- विभिन्न राज्यों को विशेष केन्द्रीय सहायता योजना के तहत तकरीबन 165.00 करोड़ की धनराशि का आवंटन किया गया है .
- अनुच्छेद 275(1) के अंतर्गत 71 हज़ार से ज्यादा पुरुष/महिला जनजाति लाभार्थियों के कौशल विकास के लिये इस राशि का आवंटन किया गया है|
- इसके अंतर्गत दफ़्तर प्रबंधन, सोलर टेकनीशियन, इलेक्ट्रीशियन, ब्यूटिशियन, हस्त-कारीगर, मज़दूरी कार्य जैसे- प्लम्बर, मिस्त्री, फिटर, वेल्डर, बढई, फ्रिज एवं ए.सी ठीक करना, मोबाईल ठीक करना, पोषण, आयुर्वेदिक एवं ट्राइबल औषधियाँ, सुचना प्रौद्योगिकी, डाटा एंट्री, कपड़ा, नर्सिंग, वाहन चालन, वाहनों को ठीक करना, बिजली के मोटर बाँधना, सुरक्षाकर्मी, गृहप्रबंधन, खुदरा दुकानदारी, हॉस्पिटैलिटी, ईको-पर्यटन एवं एडवेंचर पर्यटन इत्यादि क्षेत्रों को शामिल किया गया है|
जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के लिये संग्रहालयों का निर्माण
- भारत सरकार द्वारा अपनी इच्छानुसार उन क्षेत्रों में जनजातीय संग्रहालयों का निर्माण किया जा रहा है जहाँ जनजातीय समुदायों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया गया|
- सरकार द्वारा ऐसे राज्यों में प्रतीक रूप में जनजातीय संग्रहालय का निर्माण किया जाएगा जिससे आने वाली पीढियाँ यह जान सकें कि किस प्रकार राष्ट्र निर्माण में हमारे जनजातिय समाज द्वारा अपने बलिदान से इतिहास की एक साहसी एवं प्रेरणादायी दास्तां लिखी गई|
- यही कारण है कि गुजरात में “स्टेट ऑफ़ आर्ट ट्राइबल म्यूजियम” का निर्माण किये जाने का निर्णय लिया गया है, इसके अंतर्गत आने वाले कुल 75 करोड़ खर्च में से तकरीबन 50 करोड़ राशि का भुगतान जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा किया जाएगा|
अति-संवेदनशील जनजाति समूहों हेतु शुरू की गई महत्त्वपूर्ण पहल
- मंत्रालय अति-संवेदनशील जनजाति समूहों के विकास हेतु आवंटित 270 (2016-17) करोड़ की धनराशि को बढाकर 340 (2017-18) करोड़ कर दिया गया है |
- वस्तुतः केंद्र सरकार द्वारा इस कार्य हेतु राज्य सरकारों को विभिन्न स्तरों पर खर्च करने की आज़ादी दी गई है|
- इस समुदाय के विकास के सर्वांगीण विकास के लिये सूक्ष्म-स्तर की योजना तैयार करने पर ज़ोर दिया जा रहा है| अति-संवेदनशील जनजाति समूहों के पारंपरिक शिल्प, पारंपरिक औषधीय प्रक्रिया, खानपान एवं सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने पर ध्यान दिया जा रहा है|
छात्रवृत्तियाँ
प्री-मेट्रिक छात्रवृत्ति
- राज्य द्वारा अपने पोर्टल/राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का इस्तेमाल ऑनलाइन आवेदन के लिये किया जा रहा हैं|
- इसके तहत आर्थिक सहायता को 212.19 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 265.00 करोड़ रुपए कर दिया गया है|
पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृत्ति
- इसके लिये राज्य द्वारा अपने पोर्टल/राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का इस्तेमाल ऑनलाइन आवेदन के लिये किया जा रहा है|
- इसके तहत आर्थिक सहायता 212.19 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 265.00 करोड़ रुपए कर दिया गया है|
जनजातिय विद्यार्थियों के लिये उच्च शिक्षा हेतु राष्ट्रीय अनुदान एवं छात्रवृत्ति योजना
- इस योजना के लिये आर्थिक सहायता राशि को 80 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 120 करोड़ रुपए कर दिया गया है|
छात्रवृत्ति योजना
- उच्च दक्षता वाले विद्यार्थियों के आवेदन के लिये एन.एस.पी. (National Scholarship Portal) का इस्तेमाल किया जा रहा है|
- इसके तहत ट्यूशन फीस संस्थानों को सीधा भेजी जा रही है|
- इस योजना के तहत शामिल विद्यार्थियों की कुल पारिवारिक आय की सीमा को 4.50 लाख से बढ़कर 6.00 लाख रुपए कर दिया गया है|
अनुदान योजना
- मंत्रालय द्वारा इस योजना को यू.जी.सी. से अपने हाथो में लिया गया है, ऐसा करने का एकमात्र उद्देश्य विद्यार्थियों तक समय से धनराशि पहुँचाना है|
- इसके अंतर्गत एन.एफ.एस.टी. (National Fellowship for Scheduled Tribes - NFST) पोर्टल को विकसित करके मंत्रालय के NIC (Network Interface Controller- NIC) सर्वर का इस्तेमाल ऑनलाइन माध्यम से नए आवेदनों के लिये किया जा रहा है |
- पी.एफ.एम.एस Public Financial Management System (PFMS) , बैंकों तथा एन.एस.पी. टीमों के सहयोग से विद्यार्थियों की बहुत सारी समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जा रहा है| इसके तहत सबसे अधिक प्राथमिकता दिव्यान्गों को जा रही है |
डीबीटी
- इसके अतिरिक्त मंत्रालय द्वारा 9 योजनाओं को डीबीटी (Direct Benefits Transfer -DBT) के तहत लागू किया गया है| इस संबंध में प्रतिमाह आंकड़े इकट्ठे कर के डी.बी.टी. के ‘भारत पोर्टल’ पर अपडेट किये जा रहे हैं|
आदि महोत्सव
- 16 नवम्बर 2017 से 30 नवम्बर 2017 तक जनजातिय कार्य मंत्रालय द्वारा ट्रिफेड (TRIFED) के सहयोग से एक राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव का आयोजन किया गया|
- इस महोत्सव की शुरुआत महान आदिवासी जन नेता और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के 142वें जन्मदिवस पर की गई|
- यह महोत्सव मुख्य से आदिवासी संस्कृति कला, शिल्प, खानपान और व्यवसाय के प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध है| इसके तहत 27 राज्यों से आए तकरीबन 800 कलाकारों और कारीगरों द्वारा भाग लिया गया|
गैर सरकारी अनुदान
- मंत्रालय द्वारा ऐसे गैर-सरकारी संगठनों को विशेष अनुदान राशि प्रदान की जा रही है जो स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं| इस विषय में पारदर्शिता लाने और सरकार की नीतियों का पालन करने के लिये एक एन.जी ओ ग्रांट पोर्टल भी शुरू किया गया है|
लघु वन उत्पाद के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य
- वर्ष 2013-14 में इस योजना की शुरुआत 10 लघु वन उत्पादों हेतु की गई थी, बाद में इसके अंतर्गत कई अन्य उपादों को भी जोड़ा गया|
- पहले यह योजना पाँचवी अनुसूची वाले राज्यों में ही लागू थी, परंतु वर्ष 2016 में इसे देश भर में लागू किया गया|
- साथ ही साल के बीज, साल की पत्तियों, बीज के साथ चिरौंजी की पौध, रंगीनी लाख और कुसुमी लाख जैसे पाँच उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में नवम्बर 2017 में वृद्धि की गई|