मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम हेतु दक्षिण अफ्रीका को DDT की आपूर्ति | 22 Jul 2020
प्रीलिम्स के लिये:ओथमार ज़ाइडलर, मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम मेन्स के लिये:मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम हेतु दक्षिण अफ्रीका को DDT की आपूर्ति का उपाय |
चर्चा में क्यों?
रसायन और उर्वरक मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम हिंदुस्तान इंसेक्टिसाइड्स लिमिटेड (Hindustan Insecticides Limite-HIL) ने मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के लिये दक्षिण अफ्रीका को 20.60 मिट्रिक टन DDT (Dichlorodiphenyltrichloroethane) की आपूर्ति की है।
प्रमुख बिंदु
- HIL इंडिया वित्त वर्ष 2020-21 में ज़िम्बाब्वे को 128 मीट्रिक टन DDT 75%WP (Wettable Powder) तथा जाम्बिया को 113 मीट्रिक टन DDT की आपूर्ति करने की प्रक्रिया में है।
- DDT:
- यह एक रंगहीन, स्वादहीन और लगभग गंधहीन क्रिस्टलीय रासायनिक यौगिक है।
- इसे पहली बार वर्ष 1874 में ऑस्ट्रिया के रसायनज्ञ ओथमार ज़ाइडलर (Othmar Zeidler) द्वारा संश्लेषित किया गया था।
- इसके कीटनाशक प्रभाव की खोज स्विस रसायनज्ञ पॉल हरमन मुलर ने वर्ष 1939 में की थी।
- वर्ष 1948 में इन्हें फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
- मूल रूप से एक कीटनाशक के रूप में विकसित DDT अपने पर्यावरणीय प्रभावों के लिये चर्चा में रहता है।
- स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों पर स्टॉकहोम कन्वेंशन (Stockholm Convention on Persistent Organic Pollutants) के तहत कृषि में DDT के उपयोग को प्रतिबंधित किया गया है।
- हालाँकि रोग वेक्टर नियंत्रण में इसका सीमित उपयोग अभी भी जारी है, क्योंकि मलेरिया संक्रमण को कम करने में यह काफी प्रभावी है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों से निपटने के लिये DDT को एक प्रभावी रसायन (Indoor Residual Spraying-IRS) के रूप में मानते हुए इसके इस्तेमाल का सुझाव दिया है। ऐसे में इसका उपयोग ज़िम्बाब्वे, जांबिया, नामीबिया, मोज़ाम्बिक आदि दक्षिणी अफ्रीकी देशों द्वारा व्यापक रूप से किया जाता है। भारत में भी मलेरिया से निपटने के लिये DDT का इस्तेमाल व्यापक रूप से किया जाता है।
- दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य विभाग ने मलेरिया से सर्वाधिक प्रभावित मोज़ाम्बिक से सटे तीन प्रांतों में DDT का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने की योजना बनाई है।
- इस क्षेत्र में हाल के वर्षों में मलेरिया का काफी प्रकोप रहा है और इससे बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हुई है।
- दूसरे देशों को आपूर्ति:
- HIL इंडिया ने गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट स्तर पर ईरान को टिड्डी नियंत्रण कार्यक्रम (Locust Control Programme) के तहत 25 मीट्रिक टन मैलाथियान (Malathion) की तथा लैटिन अमेरिकी क्षेत्र को 32 मीट्रिक टन फंफूद नाशक कृषि रसायनों (Agrochemical-fungicide) की आपूर्ति की है।
मलेरिया
- मलेरिया पूरी दुनिया में एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या रहा है।
- यह प्लास्मोडियम परजीवियों (Plasmodium Parasites) के कारण होने वाला मच्छर जनित रोग है।
- यह परजीवी संक्रमित मादा एनोफिलीज़ मच्छर (Anopheles Mosquitoes) के काटने से फैलता है।
- यह रोग मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में प्रभावी होता है।
- वेक्टर नियंत्रण (Vector Control) मलेरिया संचरण को रोकने और कम करने का मुख्य तरीका है।
- प्रभाव:
- वर्ष 2018 में दुनिया में मलेरिया के अनुमानित 228 मिलियन मामले हुए।
- इससे अधिकांश मौतें (93%) अफ्रीकी क्षेत्र में हुई।
- दक्षिण पूर्व एशिया में, मलेरिया के अधिकांश मामले भारत में रहे और यहाँ इस बीमारी से मरने वालों की संख्या भी सबसे अधिक रही।
- मानव आबादी वाले क्षेत्र में कीटनाशकों का छिड़काव (IRS) मच्छरों को खत्म करने का प्रभावी माध्यम साबित हुआ है।
- विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2019 के अनुसार, भारत में वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2018 में 2.6 मिलियन कम मामले दर्ज किये गए। इस प्रकार देश में मलेरिया के कुल मामलों में कमी देखने को मिली है।
- हालाँकि भारत में दर्ज किये जाने वाले कुल मामलों में से लगभग 90%, 7 राज्यों (उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, गुजरात, ओडिशा और मध्य प्रदेश) से हैं।
HIL इंडिया
- HIL (इंडिया) विश्व में DDT का निर्माण करने वाली एकमात्र कंपनी है।
- भारत सरकार के मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को DDT की आपूर्ति के लिये वर्ष 1954 में इस कंपनी का गठन किया गया था।