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सडेन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम

  • 19 May 2022
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सडेन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम, ब्यूटिरिलकोलिनेस्टरेज़।

मेन्स के लिये:

सडेन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम और इसकी सीमाओं के बारे में नवीन अध्ययन।

चर्चा में क्यों? 

ऑस्ट्रेलिया में शोधकर्त्ताओं की टीम ने रक्त में एक जैव रासायनिक मार्कर की पहचान की है जो नवजात शिशुओं में सडेन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) के जोखिम को पहचानने में मदद कर सकता है।

  • शोधकर्त्ताओं ने नवजात शिशुओं के सूखे खून के धब्बों का इस्तेमाल किया और BChE (ब्यूटिरिलकोलिनेस्टरेज़) स्तर तथा कुल प्रोटीन सामग्री के लिये नमूनों की जाँच की।

SIDS:

  • SIDS स्पष्ट रूप से स्वस्थ शिशु की अप्रत्याशित मृत्यु है।
  • सामान्यतः यह तब होता है जब बच्चा सो रहा होता है, हालाँकि दुर्लभ मामलों में यह तब भी हो सकता है जब बच्चा जग रहा हो।
  • इस स्थिति को "कॉट डेथ" भी कहा जाता है 
  • समय से पूर्व जन्मे या जन्म के समय कम वज़न वाले नवजात शिशुओं को SIDS का अधिक खतरा होता है।
  • SIDS का स्पष्ट कारण अज्ञात है, हालांँकि नए शोध के परिणाम आशाजनक दिखते हैं।

निष्कर्ष: 

  • SIDS से मरने वाले शिशुओं में जन्म के तुरंत बाद BChE एंजाइम का निम्न स्तर देखा गया है।
    • BChE  एंजाइम का निम्न स्तर एक सोते हुए शिशु की जागने या अपने वातावरण के प्रति प्रतिक्रिया करने की क्षमता को प्रभावित करता है।
    • यह एंजाइम शरीर के स्वायत्त तंत्रिका तंत्र का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है और अचेतन तथा अनैच्छिक कार्यों को नियंत्रित करता है। 
  • पूर्व के अध्ययनों में पाया गया है कि कम BChE गतिविधि गंभीर सूजन ,सेप्सिस और हृदय संबंधी घटनाओं के बाद अधिक मृत्यु दर से जुड़ी है।
    • इस SIDS अनुसंधान से पहले सूज़न ( Inflammation) को SIDS मामलों में कारक माना जाता था।
  • 1889 की शुरुआत में SIDS शिशुओं में फेफड़ों के वायु मार्ग की दीवारों पर हल्का सूज़न देखा गया था। 
  • समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों में SIDS का उच्च जोखिम माना जाता है, हालांँकि 1957 में बीसीएचई का मूल्यांकन करने वाले अध्ययन में पाया गया कि समय से पहले और परिपक्व नवजात शिशुओं में एंजाइम के स्तर में कोई अंतर नहीं था। 
  • गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान SIDS की घटनाओं में वृद्धि से संबंधित है।

अध्ययन की सीमाएंँ:

  • हालांँकि बीसीएचई का स्तर SIDS का संभावित कारण हो सकता है, शोध के अनुसार, नमूने (Sample) दो साल से अधिक पुराने थे, इसलिये ताज़ा सूखे रक्त के नमूनों में बीसीएचई विशिष्ट गतिविधि को सटीक रूप से प्रतिबिंबित नहीं करेगा।
  • शोधकर्त्ताओं ने यह भी कहा कि 600 से अधिक नियंत्रण नमूनों का विश्लेषण करने के बावजूद वे इस बात से अनभिज्ञ हैं कि व्यापक आबादी में सामान्य असामान्यता कितनी है।
  • इसके अलावा अध्ययन के विषयों में शव परीक्षण विवरण का उपयोग नहीं किया गया, लेकिन ‘कोरोनर्स डायग्नोसिस’ का उपयोग किया गया (जब कोरोनर को मृत्यु की सूचना दी जाती है, तो कोरोनर जाँच करता है कि कहाँ, कब और कैसे मृत्यु हुई। यदि मृत्यु का कारण स्पष्ट नहीं है, तो संभव है कोरोनर पोस्टमार्टम का आदेश देगा)।

स्रोत: द हिंदू

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