भारतीय इतिहास
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (statue of unity)
- 01 Nov 2018
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चर्चा में क्यों?
31 अक्तूबर, 2018 को प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती पर ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण कर, उसे देश को सौंपा। यह पूरे विश्व की अब तक की सबसे ऊँची प्रतिमा मानी जा रही है।
क्या है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
- गुजरात के वडोदरा के पास नर्मदा ज़िले में स्थित सरदार सरोवर बांध से 3.5 किमी. नीचे की तरफ, राजपिपाला के निकट साधुबेट नामक नदी द्वीप पर 182 मीटर ऊँची सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा लगाई गई।
मुख्य बिंदु
- मात्र 33 महीनों में तैयार हुई यह प्रतिमा, चीन के केंद्रीय हेनान प्रांत में स्थित स्प्रिंग टेंपल की 11 सालों में निर्मित 153 मीटर ऊँची प्रतिमा (अब तक विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा का दर्जा प्राप्त था) से भी ऊँची है और न्यूयॉर्क की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मी.) की ऊँचाई से करीब दोगुनी है।
- प्रतिमा के निर्माण के लिये भारत भर के किसानों से ‘लोहा कैंपेन’ के तहत, आवश्यक लोहे को इकट्ठा किया गया था।
- इस मूर्ति का डिज़ाइन पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित मूर्तिकार ‘राम वनजी सुतर’ ने तैयार किया था।
- प्रतिमा का निर्माण भारत की लार्सन एवं टूब्रो कंपनी तथा राज्य संचालित सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड द्वारा किया गया।
- इसके निर्माण के लिये गुजरात सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट (SVPRET) का गठन किया था।
स्टैच्यू की विशेषता
- इस स्टैच्यू में लिफ्ट की व्यवस्था की गई है जिससे पर्यटक प्रतिमा के हृदय स्थल तक जा सकेंगे। यहाँ एक गैलरी बनी हुई है जहाँ एक साथ 200 पर्यटक खड़े होकर सतपुड़ा और विंध्यांचल पहाड़ियों से घिरे नर्मदा नदी, सरदार सरोवर बांध और वहाँ स्थित फूलों की घाटी का नजारा भी देख सकेंगे।
- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से 3 किमी. की दूरी पर टेंट सिटी, फूलों की घाटी और श्रेष्ठ भारत भवन नामक एक कन्वेंशन सेंटर का भी निर्माण किया गया है।
- यह स्टैच्यू 180 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहेगा और 6.5 तीव्रता के भूकंप को सहने में सक्षम होगा।
- इस प्रतिमा के अंदर सरदार पटेल का म्यूजियम भी तैयार किया गया है जिसमें सरदार पटेल की स्मृति से जुड़ी कई चीज़ें रखी जाएंगी।
कुछ महत्त्पूर्ण तथ्य
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सरदार पटेल की राजनीतिक जीवनी
- 31 अक्तूबर, 1875 को गुजरात के नडियाड में जन्मे सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में पहला योगदान, 1918 में गुजरात के खेड़ा संघर्ष में दिया था।
- उन्होंने बोरसद सत्याग्रह के द्वारा बोरसद तालुका की जनता को ‘हदीया’ नामक एक दंडात्मक कर से मुक्त कराया।
- सरदार पटेल ने 1923 में, नागपुर में राष्ट्रीय झंडा आंदोलन का सफल नेतृत्व किया।
- बारदोली के किसानों के लगान में सरकार द्वारा की गई वृद्धि के खिलाफ 1928 में सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व पटेल ने किया जहाँ इन्हें महिलाओं ने ‘सरदार’ की उपाधि दी।
- 1931 में इन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कराची अधिवेशन की अध्यक्षता की और असहयोग आंदोलन, स्वराज आंदोलन, दांडी यात्रा तथा भारत छोड़ो आंदोलन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- सरदार पटेल स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री बने तथा साथ ही गृह, सूचना एवं प्रसारण मंत्री का प्रभार भी संभाला।
- आज़ादी प्राप्त होने के बाद, भारत की देशी रियासतों के राष्ट्रीय एकीकरण में सरदार पटेल की प्रमुख भूमिका रही और बिना युद्ध के इन्होंने लगभग 562 देशी रिशसतों का देश में विलय कराया।
- विलय समझौते के लिये असहमत जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद एवं जूनागढ़ को भी सरदार पटेल ने अपनी कूटनीतिक समझदारी का परिचय देते हुए नवंबर 1947 तक देश में मिला लिया।
- भारत के एकीकरण में पटेल के योगदान को देखते हुए उन्हें ‘लौह पुरुष’ की उपाधि प्राप्त हुई।
- 1991 में मरणोपरांत इन्हें ‘भारत रत्न’ सम्मान दिया गया।