स्‍टार्टअप्‍स को ‘एंजेल टैक्स’ पर राहत | 18 Jan 2019

चर्चा में क्यों ?


हाल ही में केंद्र सरकार ने एक अंतर-मंत्रालयीय निकाय से प्रमाणन की आवश्यकता को समाप्त करके ‘एंजेल टैक्स’ (Angel Tax) नोटिस से छूट पाने के लिये स्टार्टअप्स की प्रक्रिया को सरल बनाया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • यह कदम नए शेयरों की बिक्री के माध्यम से पूंजी जुटाने के समय प्राप्त शेयर प्रीमियम पर स्टार्टअप की चिंताओं को कम करने का प्रयास करता है।
  • आने वाले समय में औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग (DIPP) के माध्यम से छूट के लिये ऐसे आवेदन केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा 45 दिनों के भीतर संसाधित (Processed) किये जाएंगे।
  • मूल्यांकन के लिये किसी समिति या प्रमाणपत्र की ज़रुरत नही होगी, इसमें अतीत और भविष्य के सभी निवेश शामिल है। अप्रैल 2016 से पहले शामिल स्टार्टअप भी इसके तहत कवर किये गए हैं।
  • स्टार्टअप्स के लिये यह समस्या 2012 में आयकर अधिनियम में पेश किये गए एक विरोधी दुरुपयोग प्रावधान के बाद आई इस प्रावधान में नेताओं द्वारा स्थापित गैर-सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा शेयर प्रीमियम की आड़ में रिश्वत लेने जैसे कृत्यों पर रोक लगाने की कोशिश की गई।
  • आयकर अधिनियम की धारा 56 (2) के उपभाग (viib) के तहत शेयर, प्रीमियम के कराधान के लिये प्रदान किया जाता है जो शेयरों के उचित मूल्यांकन के ऊपर ‘अन्य आय’ के रूप में होता है, चूँकि स्टार्टअप नए विचारों,तकनीकी के भिन्न-भिन्न प्रयोगों की व्यावसायिक क्षमता के आधार पर मूल्यवान होते हैं (जो समय के साथ बदल सकते हैं)। ऐसे में उन्हें प्राप्त शेयर प्रीमियम को सही ठहराना एक कठिन कार्य है।
  • हालाँकि, स्टार्टअप से जुड़े लोगों के अनुसार सरकार द्वारा किया गया समाधान अव्यावहारिक है। क्योंकि स्टार्टअप्स को एक बड़े समाधान की ज़रूरत थी जिसमें (DIPP) से मान्यताप्राप्त स्टार्टअप्स को और ज़्यादा से ज़्यादा छूट प्राप्त होने चाहिये थे।

क्या है ‘एंजेल टैक्स’?

  • स्टार्टअप से जुड़े लोगों को सामान्यतः अपने कारोबार के विस्तार के लिये पैसे की आवश्यकता होती है जिसके लिये वे पैसे देने वाली कंपनी या संस्था को शेयर जारी करते हैं। अक्सर ये शेयर उचित कीमत से कही ज्यादा कीमत पर जारी किये जाते हैं। शेयर की अतिरिक्त कीमत को उनकी आय (Income) माना जाता है तथा इस आय पर टैक्स लगाया जाता है, जिसे ‘एंजेल टैक्स’ (Angel Tax) कहा जाता है।
  • स्टार्टअप को इस तरह मिले पैसे को ‘एंजेल फंड’ (Angel Fund) कहते हैं।
  • एंजेल टैक्स की वसूली आयकर विभाग करता है।
  • एंजल टैक्स की शुरुआत 2012 में हुई थी। तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट में इसका एलान किया था, इसका उद्देश्य मनी लाउड्रिंग पर रोक लगाना था।

औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग (DIPP) Department of Industrial Policy & Promotion

  • औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग की स्थापना 1995 में हुई थी तथा औद्योगिक विकास विभाग के विलय के साथ वर्ष 2000 में इसका पुनर्गठन किया गया था।
  • इससे पहले अक्तूबर 1999 में लघु उद्योग तथा कृषि एवं ग्रामीण उद्योग (Small Scale Industries & Agro and Rural Industries -SSI&A&RI) और भारी उद्योग तथा सार्वजनिक उद्यम (Heavy Industries and Public Enterprises- HI&PE) के लिये अलग-अलग मंत्रालयों की स्थापना की गई थी।

स्रोत – लाइव मिंट