श्रीविल्लीपुथुर-मेगामलाई टाइगर रिज़र्व और वैगई नदी: तमिलनाडु | 08 Jun 2021
प्रिलिम्स के लियेश्रीविल्लीपुथुर-मेगामलाई टाइगर रिज़र्व, वैगई नदी, मेगामलाई, अनामलाई टाइगर रिज़र्व, कलक्कड़ मुंडनथुराई टाइगर रिज़र्व, मुदुमलाई टाइगर रिज़र्व, सत्यमंगलम टाइगर रिज़र्व, पंड्या नाडु मेन्स के लियेनदी पारिस्थितिकीय तंत्र और प्रवाह का संरक्षण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में तमिलनाडु में घोषित श्रीविल्लीपुथुर-मेगामलाई टाइगर रिज़र्व (Srivilliputhur-Megamalai Tiger Reserve), वैगई नदी के प्राथमिक जलग्रहण क्षेत्र मेगामलाई (Megamalai) को सुरक्षा प्रदान करेगा, जिससे इस नदी के जल स्तर को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
प्रमुख बिंदु
वैगई नदी के विषय में:
- उद्गम और सहायक नदियाँ:
- इसका उद्गम पश्चिमी घाट (Western Ghat- वरुशनाद हिल्स) से होता है।
- यह तमिलनाडु के पंड्या नाडु (Pandya Nadu) क्षेत्र से होकर गुज़रती है।
- इसकी मुख्य सहायक नदियाँ सुरुलियारु, मुलैयारु, वरगनाधी, मंज़लारू, कोट्टागुडी, कृधुमाल और उप्पारू हैं।
- वैगई 258 किलोमीटर लंबी है और अंत में रामनाथपुरम ज़िले में पंबन पुल के पास पाक जलडमरूमध्य (Palk Strait) में जाकर समा जाती है।
- हेरिटेज़ रिवर:
- वैगई दक्षिणी तमिलनाडु में स्थित प्राचीन और समृद्ध पांड्य साम्राज्य की प्रसिद्ध राजधानी (4 - 11वीं सदी) मदुरै से होकर बहती थी।
- इस नदी का उल्लेख संगम साहित्य में भी मिलता है।
- महत्त्व:
- यह नदी तमिलनाडु के पाँच ज़िलों यथा- थेनी, मदुरै, रामनाथपुरम, शिवगंगई और डिंडीगुल में पेयजल की आवश्यकता को पूरा करती है।
- यह नदी 2,00,000 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई भी करती है।
वैगई का कायाकल्प:
- इस नदी का प्रवाह 18वीं शताब्दी के अंत से बिगड़ने लगा क्योंकि अंग्रेज़ों ने मेगामलाई क्षेत्र के वनों की कटाई शुरू कर दी जो वैगई के लिये एक प्रमुख जलग्रहण क्षेत्र के रूप में कार्य करता है। नतीजतन नदी में पानी का प्रवाह धीरे-धीरे कम हो गया।
- वर्ष 1876-77 के भयानक अकाल के दौरान इस क्षेत्र में लगभग 2,00,000 लोग मारे गए।
- इस अकाल के बाद ब्रिटिश क्राउन ने पेरियार नदी (केरल) को एक सुरंग के माध्यम से वैगई नदी से जोड़ने का प्रस्ताव रखा।
- वैगई को वर्तमान में लगभग 80% पानी पेरियार बाँध से मिलता है। शेष 20% पूर्वोत्तर मानसून के मौसम के दौरान मेगामलाई क्षेत्र के प्रमुख जलग्रहण क्षेत्र से प्राप्त होता है।
- श्रीविल्लीपुथुर-मेगामलाई टाइगर रिज़र्व जंगली जानवरों और प्राकृतिक जंगलों, साथ ही उनके आवासों की रक्षा करेगा जो जलग्रहण क्षेत्र के रूप में कार्य करते हैं।
श्रीविल्लीपुथुर-मेगामलाई टाइगर रिज़र्व:
- अवस्थापना:
- इस टाइगर रिज़र्व की स्थापना फरवरी 2021 में हुई थी। इसे केंद्र और तमिलनाडु दोनों सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से घोषित किया गया था।
- इसके लिये मेगामलाई डब्ल्यूएलएस (Megamalai WLS) और उससे सटे श्रीविल्लीपुथुर डब्ल्यूएलएस (Srivilliputhur WLS) को एक साथ जोड़ा गया था।
- यह टाइगर रिज़र्व तमिलनाडु का पाँचवाँ और भारत का 51वाँ टाइगर रिज़र्व है।
- पारिस्थितिक विविधता:
- यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख जानवर बंगाल टाइगर, हाथी, गौर, भारतीय विशालकाय गिलहरी, तेंदुआ, नीलगिरि तहर आदि हैं।
- इस रिज़र्व में उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन और अर्द्ध-सदाबहार वन, शुष्क पर्णपाती वन तथा नम मिश्रित पर्णपाती वन एवं घास के मैदान पाए जाते हैं।
तमिलनाडु के अन्य चार टाइगर रिज़र्व:
- अनामलाई टाइगर रिज़र्व
- कलक्कड़ मुंडनथुराई टाइगर रिज़र्व
- मुदुमलाई टाइगर रिज़र्व
- सत्यमंगलम टाइगर रिज़र्व