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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

श्रीलंका ने मंज़ूर किया हंबनटोटा बंदरगाह से संबंधित संशोधित मसौदा

  • 26 Jul 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों

  • विदित हो कि श्रीलंका ने एक संशोधित समझौता मंज़ूर किया है, जिसमें हंबनटोटा बंदरगाह को विकसित करने का प्रस्ताव है।
  • वर्तमान विश्व व्यवस्था में महासागरीय कूटनीति (ocean diplomacy) का महत्त्व और भी बढ़ गया है और इसी कूटनीति के तहत चीन हिन्द महासागर में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है।
  • लेकिन, इस घटनाक्रम के बाद चीन की इस कोशिश को झटका पहुँचा है जब कुछ दिन पहले हंबनटोटा बंदरगाह में चीनी निवेश के खिलाफ हिंसक संघर्ष शुरू हो गया था।

नए मसौदे में क्या ?

  • नए समझौते के मुताबिक श्रीलंका दक्षिणी बंदरगाह का 70 फीसद हिस्सा 1.12 बिलियन डॉलर की कीमत पर चीन की एक कंपनी को बेचेगा। बंदरगाह पर वाणिज्यिक परिचालन के बँटवारे के लिये दो कंपनियां बनाई जा रही हैं।
  • सहयोगी देशों मुख्य तौर पर भारत, जापान और अमेरिका की चिंताओं का ख्याल रखते हुए व्यवस्था की गई है कि इसका इस्तेमाल मिलिटरी उद्देश्यों को पूरा करने के लिए नहीं किया जाएगा।
  • हंबनटोटा बंदरगाह में सुरक्षा संबंधित गतिविधियों का ज़िम्मा मुख्य तौर पर श्रीलंका के पास ही होगा।

क्या होगा प्रभाव ?

  • चीन ने भारत को घेरने के लिये श्रीलंका के दक्षिण में स्थित हंबनटोटा बंदरगाह को विकसित करने और वहाँ निवेश करने संबंधी करार किया था।
  • इसमें अहम बात यह थी कि चीन इस बंदरगाह को सैन्य गतिविधियों के लिये भी इस्तेमाल करना चाहता था। 
  • इस बंदरगाह को विकसित करने में चीनी कंपनी 1.5 अरब डॉलर का निवेश करने जा रही थी परन्तु स्थानीय जनता के विरोध को देखते हुए श्रीलंका सरकार ने बंदरगाह के संचालन पर चीन की भूमिका को सीमित कर दिया है।
  • साथ ही, अब चीन इस बंदरगाह को सैन्य मकसद के लिये उपयोग नहीं कर सकेगा। श्रीलंका के इस कदम से भारत के साथ ही जापान और अमेरिका की चिंता दूर होगी।
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