दक्षिण चीन सागर विवाद में अमेरिका द्वारा मध्यस्थता का प्रस्ताव | 14 Nov 2017
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका ने दक्षिणी-चीन सागर विवाद में मध्यस्थता करने का प्रस्ताव रखा है। साथ ही दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के नेता विवादित दक्षिण चीन सागर में एक ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ पर चीन के साथ वार्ता शुरू करने की योजना बना रहे हैं। हालाँकि, चीन कानूनी रूप से बाध्यकारी किसी भी कोड का विरोध कर रहा है।
क्यों है विवाद?
- चीन दक्षिण-चीन सागर के 90% हिस्से को अपना मानता है। यह एक ऐसा समुद्री क्षेत्र जहाँ प्राकृतिक तेल और गैस प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
- चीन, ताइवान और वियतनाम ने स्प्राटल द्वीप समूह पर दावेदारी कर रखी है। विदित हो कि स्प्राटल, दक्षिण चीन सागर का दूसरा सबसे बड़ा द्वीपसमूह है।
- एक रिपोर्ट के अनुसार इसकी परिधि में करीब 11 अरब बैरल प्राकृतिक गैस और तेल तथा मूंगे के विस्तृत भंडार मौज़ूद हैं।
- मछली व्यापार में शामिल देशों के लिये यह जलक्षेत्र महत्त्वपूर्ण तो है ही साथ ही इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण इसका सामरिक महत्त्व भी बढ़ जाता है। यही कारण है कि चीन इस क्षेत्र में अपना प्रभुत्व कायम रखना चाहता है।
- विदित हो कि ‘नाइन डैश लाइन’ के ज़रिये चीन ने दक्षिण चीन सागर की घेराबंदी कर रखी है। यह लाइन चीन ने 1947 में जापान के आत्मसमर्पण के बाद खिंची थी।
दक्षिण चीन सागर की भौगोलिक स्थिति
- दक्षिण चीन सागर प्रशांत महासागर के पश्चिमी किनारे से लगा हुआ और एशिया के दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
- यह चीन के दक्षिण में स्थित एक सीमांत सागर जो सिंगापुर से लेकर ताइवान की खाड़ी तक लगभग करीब 1.4 मिलियन वर्ग मील क्षेत्र में विस्तृत है और इसमें स्प्राटल और पार्सल जैसे द्वीप समूह शामिल हैं।
- इसके इर्द–गिर्द इंडोनेशिया का करिमाता, मलक्का, फारमोसा जलडमरू मध्य और मलय व सुमात्रा प्रायद्वीप आते हैं। दक्षिणी इलाका चीनी मुख्यभूमि को छूता है, तो दक्षिण–पूर्वी हिस्से पर ताइवान की दावेदारी है।
- दक्षिण चीन सागर के पूर्वी तट वियतनाम और कंबोडिया को छूते हैं। पश्चिम में फिलीपींस है, तो दक्षिण चीन सागर के उत्तरी इलाके में इंडोनेशिया के बंका व बैंतुंग द्वीप लगे हैं।