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डेली न्यूज़


भारतीय इतिहास

सर सैयद दिवस

  • 24 Oct 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

अलीगढ़ आंदोलन

मेन्स के लिये:

एक समाज सुधारक के तौर पर सर सैयद अहमद खान का योगदान 

चर्चा में क्यों?

17 अक्तूबर, 2020 को सर सैयद अहमद खान (Sir Syed Ahmad Khan) की जयंती को सर सैयद दिवस (Sir Syed’s Day) के रूप में मनाया गया।

प्रमुख बिंदु

  • प्रारंभिक जीवन: सर सैयद अहमद खान का जन्म वर्ष 1817 में एक ऐसे परिवार में हुआ जो मुगल दरबार के करीब था। वह कई प्रतिभाओं के धनी ( सिविल सेवक, पत्रकार, शिक्षाविद, समाज सुधारक इतिहासकार) थे ।
    • वर्ष 1857 के विद्रोह से पहले वह ब्रिटिश प्रशासन की सेवा में कार्यरत थे।
    • उन्होंने भारतीय परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 1857 के विद्रोह के कारणों को स्पष्ट करने के लिये ‘द कॉज़ेज ऑफ द इंडियन रिवॉल्ट’(The Causes of the Indian Revolt) नामक पुस्तक लिखी ।
  • शिक्षाविद: सर सैयद को उन महत्त्वपूर्ण मुस्लिम सुधारकों के रूप में जाना जाता है जिन्होंने मुस्लिम समाज के सुधार के लिये शैक्षिक अवसरों को बदलने में अग्रणी भूमिका निभाई।
    • सर सैयद ने महसूस किया कि अगर मुसलमान समुदाय आधुनिक शिक्षा को ग्रहण करता है तो उनकी प्रगति संभव हैं। इसके लिये उन्होंने अलीगढ़ आंदोलन की शुरुआत की।
  • सामाजिक सुधार: सर सैयद अहमद खान द्वारा सामाजिक सुधार कार्यों पर ज़ोर दिया गया, साथ ही वे लोकतांत्रिक आदर्शों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर थे।
    • वे धार्मिक असहिष्णुता, अज्ञानता और तर्कहीनता के खिलाफ थे । उन्होंने पर्दाप्रथा, बहु-विवाह और तीन तलाक जैसी प्रथाओं की निंदा की ।
    • अपनी पत्रिका तहज़ीब अखलाक (अंग्रेज़ी में सोशल रिफॉर्मर) के माध्यम से उन्होंने बहुत ही भावपूर्ण/मार्मिक तरीके से सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर लोगों को जाग्रत करने की कोशिश की।

स्वतंत्रता आंदोलन के आलोचक :

  • बाद के वर्षों में सर सैयद द्वारा भारतीय मुसलमानों को राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल नहीं होने के लिये प्रोत्साहित किया गया। 
  • इस प्रकार उनके द्वारा एक स्तर पर सांप्रदायिकता और अलगाववाद की विचारधारा को प्रोत्साहित किया गया।

अलीगढ़ आंदोलन

  • यह एक व्यवस्थित आंदोलन था जिसका मूल उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक पहलुओं में सुधार करना था।
  • यह आंदोलन सिर्फ पारंपरिक शिक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अंग्रेज़ी सीखने और पश्चिमी शिक्षा के माध्यम से मुस्लिम शिक्षा को आधुनिक शिक्षा में तब्दील करने के लिये शुरू किया गया था।
  • सर सैयद द्वारा वर्ष 1864 में अलीगढ़ में पश्चिमी कार्यों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद करने, मुस्लिमों को पश्चिमी शिक्षा को अपनाने तथा मुस्लिमों के बीच वैज्ञानिक मनोभाव को विकसित करने के लिये साइंटिफिक सोसाइटी (Scientific Society) की स्थापना की गई।
    • अलीगढ़ इंस्टीट्यूट गजट, सर सैयद द्वारा प्रकाशित पत्रिका साइंटिफिक सोसाइटी का ही एक अंग था।
  • वर्ष 1877 में इनके द्वारा ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों की तर्ज पर मुहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज (Muhammadan Anglo Oriental College) की स्थापना की गई जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ।
  • अलीगढ़ आंदोलन ने मुस्लिमों के पुनरुत्थान के लिये कार्य किया, साथ ही इस आंदोलन द्वारा मुस्लिम समाज को एक आम भाषा (उर्दू) दी गई।

स्रोत: द हिंदू

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