प्रधानमंत्री जन धन योजना के सात वर्ष | 30 Aug 2021
प्रिलिम्स के लिये:वित्तीय समावेशन, कोर बैंकिंग प्रणाली, प्रधानमंत्री जन धन योजना मेन्स के लिये:प्रधानमंत्री जन धन योजना की उपलब्धियांँ और चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में सरकार ने बैंकों से कहा है कि वे प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) में फ्लेक्सी-आवर्ती योजनाओं की तरह खाताधारकों की माइक्रो-क्रेडिट और सूक्ष्म निवेश उत्पादों तक पहुंँच में सुधार सुनिश्चित करें।
- PMJDY जो कि वित्तीय समावेशन के लिये एक राष्ट्रीय मिशन है, ने अपने कार्यान्वयन के सात वर्ष सफलतापूर्वक पूरे कर लिये हैं।
प्रमुख बिंदु
- PMJDY के उद्देश्य:
- समाज के वंचित वर्गों अर्थात् कमज़ोर वर्ग और निम्न आय वर्ग हेतु किफायती कीमत पर विभिन्न वित्तीय सेवाओं तक पहुंँच सुनिश्चित करना और इसके लिये प्रौद्योगिकी का उपयोग करना।
- योजना के छह स्तंभ:
- बैंकिंग सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंँच - शाखा और बैंकिंग संवाददाता।
- खोले गए खाते बैंकों की कोर बैंकिंग प्रणाली से ऑनलाइन जुड़े खाते हैं।
- योजना का मुख्य फोकस 'हर घर' (Every Household) से हटकर हर बैंक रहित वयस्क ( Every Unbanked Adult) पर हो गया है।
- रुपए की ओवरड्राफ्ट (OD) सुविधा के साथ हर घर से 10,000 रुपए की मूल बचत के साथ बैंक खाते।
- वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम- बचत को बढ़ावा देना, एटीएम का उपयोग, बैंकिंग कार्य हेतु बुनियादी मोबाइल फोन का उपयोग करना आदि।
- रुपे (RuPay) डेबिट कार्ड या आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) के माध्यम से इंटरऑपरेबिलिटी की सुविधा।
- क्रेडिट गारंटी फंड का निर्माण- बकाया मामले में बैंकों को कुछ गारंटी प्रदान करने के लिये।
- बीमा- अगस्त 2018 के बाद खोले गए PMJDY खातों के लिये रुपे कार्ड पर मुफ्त दुर्घटना बीमा कवर राशि को एक लाख रुपए से बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया गया है।
- असंगठित क्षेत्र के लिये पेंशन योजना
- बैंकिंग सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंँच - शाखा और बैंकिंग संवाददाता।
- उपलब्धियांँ:
- लेखा-जोखा:
- अगस्त 2021 में खातों की संख्या बढ़कर 43.04 करोड़ हो गई, जो अगस्त 2015 में 17.9 करोड़ थी।
- इसमें से 55.47% जन धन खाताधारक महिलाएंँ हैं और 66.69% खाताधारकों में ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों के लोग शामिल हैं।
- जमा राशि:
- वर्ष 2015-2021 के दौरान जमा राशि 22,901 करोड़ रुपए से बढ़कर 1.46 लाख करोड़ रुपए हो गई हैं।
- सक्रिय खाते:
- भारतीय रिज़र्व बैंक के मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, एक पीएमजेडीवाई खाते को उस स्थिति में निष्क्रिय माना जाता है यदि खाते में दो वर्ष से अधिक समय तक कोई ग्राहक प्रेरित लेन-देन नहीं होता है।
- अगस्त 2021 में कुल 43.04 करोड़ PMJDY खातों में से 36.86 करोड़ (85.6%) सक्रिय थे।
- सक्रिय खातों के प्रतिशत में निरंतर वृद्धि इस बात का संकेत है कि इनमें से अधिक-से- अधिक खाते ग्राहकों द्वारा नियमित रूप से उपयोग किये जा रहे हैं।
- भारतीय रिज़र्व बैंक के मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, एक पीएमजेडीवाई खाते को उस स्थिति में निष्क्रिय माना जाता है यदि खाते में दो वर्ष से अधिक समय तक कोई ग्राहक प्रेरित लेन-देन नहीं होता है।
- RuPay कार्ड का प्रयोग:
- RuPay कार्ड की संख्या और उनका उपयोग भी समय के साथ बढ़ा है।
- जन-धन दर्शक एप:
- इस एप का उपयोग उन गाँवों की पहचान करने के लिये किया जा रहा है, जहाँ 5 किमी. के भीतर बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप ऐसे गाँवों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।
- PMJDY महिलाओं हेतु प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (PMGKP):
- पीएमजीकेपी के तहत कुल 30,945 करोड़ रुपए कोविड लॉकडाउन के दौरान महिला PMJDY खाताधारकों के खातों में जमा किये गए हैं।
- सुचारु DBT लेन-देन:
- लगभग 5 करोड़ PMJDY खाताधारक विभिन्न योजनाओं के तहत सरकार से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) प्राप्त करते हैं।
- लेखा-जोखा:
- प्रभाव:
- वित्तीय समावेशन में वृद्धि:
- PMJDY जन-केंद्रित आर्थिक पहलों की आधारशिला रही है। चाहे वह डीबीटी हो या कोविड-19 वित्तीय सहायता, पीएम-किसान, मनरेगा के तहत बढ़ी हुई मज़दूरी, जीवन और स्वास्थ्य बीमा कवर, इन सभी पहलों का पहला कदम प्रत्येक वयस्क को एक बैंक खाता प्रदान करना है, जिसे पीएमजेडीवाई ने लगभग पूरा कर लिया है।
- वित्तीय प्रणाली का औपचारिकरण:
- यह गरीबों को उनकी बचत को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने का एक अवसर प्रदान करती है, गाँवों में उनके परिवारों को धन भेजने के अलावा उन्हें सूदखोर साहूकारों के चंगुल से बाहर निकालने का अवसर भी प्रदान करती है।
- लीकेज को रोकना:
- ‘प्रधानमंत्री जन धन खातों’ के माध्यम से ‘प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण’ की सुविधा देकर यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रत्येक रुपया अपने निर्धारित लाभार्थी तक ही पहुँचे और प्रणालीगत रिसाव या लीकेज को रोका जा सके।
- वित्तीय समावेशन में वृद्धि:
- चुनौतियाँ
- कनेक्टिविटी:
- फिज़िकल और डिजिटल कनेक्टिविटी की कमी ग्रामीण भारत के लिये वित्तीय समावेशन प्राप्त करने में एक बड़ी बाधा बन रही है।
- तकनीकी मुद्दे:
- खराब कनेक्टिविटी, नेटवर्किंग और बैंडविड्थ जैसी समस्याओं से लेकर देश भर के विभिन्न बैंकों, खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल बुनियादी अवसंरचना को बनाए रखने हेतु लागत प्रबंधन संबंधी तकनीकी मुद्दे बैंकों को प्रभावित कर रहे हैं।
- अस्पष्ट प्रक्रिया:
- अधिकांश लोग जागरूक हैं, किंतु इसके बावजूद कई लोगों के व्यवहार में परिवर्तन नहीं आया है, क्योंकि वे खाता खोलने की उचित प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेज़ों से अवगत नहीं हैं।
- कनेक्टिविटी:
आगे की राह
- सूक्ष्म बीमा योजनाओं के तहत ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ खाताधारकों का कवरेज सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाना चाहिये।
- पात्र खाताधारकों को ‘प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना’ (PMJJBY) और ‘प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना’ (PMSBY) के तहत कवर किया जा सकता है।
- भारत भर में स्वीकृत बुनियादी अवसंरचना के निर्माण के माध्यम से ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ खाताधारकों के बीच ‘रुपे डेबिट कार्ड’ के उपयोग सहित डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।