आत्मनिर्भर भारत अभियान तथा आर्थिक प्रोत्साहन | 14 May 2020

प्रीलिम्स के लिये:     

आत्मनिर्भर भारत अभियान, क्रेडिट गारंटी, MSMEs की नवीन परिभाषा

मेन्स के लिये:

आत्मनिर्भर भारत अभियान

चर्चा में क्यों?

भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा COVID-19 महामारी के दौरान देश को संबोधित करते हुए 'आत्मनिर्भर भारत अभियान' की चर्चा की गई तथा आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की गई।

प्रमुख बिंदु:

  • प्रधानमंत्री ने COVID-19 महामारी से पहले तथा बाद की दुनिया के बारे में बात करते हुए कहा कि 21 वीं सदी के भारत के सपने को साकार करने के लिये देश को आत्मनिर्भर बनाना ज़रूरी है।
  • प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि भारत को COVID-19 महामारी संकट को एक अवसर के रूप में देखना चाहिये।

आत्मनिर्भर भारत:

  • वर्तमान वैश्वीकरण के युग में आत्मनिर्भरता (Self-Reliance) की परिभाषा में बदलाव आया है। आत्मनिर्भरता (Self-Reliance), आत्म-केंद्रित (Self-Centered) से अलग है।
  • भारत 'वसुधैव कुटुंबकम्' की संकल्पना में विश्वास करता है।  चूँकि भारत दुनिया का ही एक हिस्सा है, अत: भारत प्रगति करता है तो ऐसा करके वह दुनिया की प्रगति में भी योगदान देता है। 
  • ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्करण नहीं किया जाएगा अपितु दुनिया के विकास में मदद की जाएगी।

मिशन के चरण:

  • मिशन को दो चरणों में लागू किया जाएगा:
  • प्रथम चरण: 
    • इसमें चिकित्सा, वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, खिलौने जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके।
  • द्वितीय चरण: 
    • इस चरण में रत्न एवं आभूषण, फार्मा, स्टील जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

आत्मनिर्भर भारत के पाँच स्तंभ:

  • आत्मनिर्भर भारत पाँच स्तंभों पर खड़ा होगा: 
  • अर्थव्यवस्था (Economy): 
    • जो वृद्धिशील परिवर्तन (Incremental Change) के स्थान पर बड़ी उछाल (Quantum Jump) पर आधारित हो;  
  • अवसंरचना (Infrastructure):
    • ऐसी अवसंरचना जो आधुनिक भारत की पहचान बने;
  • प्रौद्योगिकी (Technolog): 
    • 21 वीं सदी प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्था पर आधारित प्रणाली; 
  • गतिशील जनसांख्यिकी (Vibrant Demography):
    • जो आत्मनिर्भर भारत के लिये ऊर्जा का स्रोत है; 
  • मांग (Demand):
    • भारत की मांग और आपूर्ति श्रृंखला की पूरी क्षमता का उपयोग किया जाना चाहिये।

आत्मनिर्भर भारत के लिये आर्थिक प्रोत्साहन:

  • प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। यह पैकेज COVID-19 महामारी की दिशा में सरकार द्वारा की गई 
  • पूर्व घोषणाओं तथा RBI द्वारा लिये गए निर्णयों को मिलाकर 20 लाख करोड़ रुपये का है, जो भारत की ‘सकल घरेलू उत्पाद’ (Gross domestic product- GDP) के लगभग 10% के बराबर है। पैकेज में भूमि, श्रम, तरलता और कानूनों (Land, Labour, Liquidity and Laws- 4Is) पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

आर्थिक पैकेज का विश्लेषण:

  • घोषित किया गया पैकेज वास्तविकता में घोषित मूल्य से बहुत कम माना जा रहा है क्योंकि इसमें सरकार के 'राजकोषीय' पैकेज के हिस्से के रूप में RBI द्वारा पूर्व में की गई घोषणाओं को भी शामिल किया गया हैं।
  • सरकार द्वारा पैकेज के तहत घोषित प्रत्यक्ष उपायों में सब्सिडी, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, वेतन का भुगतान आदि शमिल होते हैं। जिसका लाभ वास्तविक लाभार्थी को सीधे प्राप्त होता है। परंतु सरकार द्वारा की जाने वाली अप्रत्यक्ष सहायता जैसे 'भारतीय रिजर्व बैंक' के ऋण सुगमता उपायों का लाभ सीधे लाभार्थी तक नहीं पहुँच पाता है। 
  • RBI द्वारा दी जाने वाली सहायता को बैंक ऋण देने के बजाय पुन: RBI के पास सुरक्षित रख सकते हैं। हाल ही में भारतीय बैंकों ने केंद्रीय बैंक में 8.5 लाख करोड़ रुपए जमा किये हैं। 
  • इस प्रकार घोषित राशि GDP के 10% होने के बावजूद GDP के 5% से भी कम राशि प्रत्यक्ष रूप में लोगों तक पहुँचने होने की उम्मीद है। 

उद्योगों क लिये विशेष प्रोत्साहन:

MSME

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग’ के लिये क्रेडिट गारंटी:

(Micro, Small and Medium Enterprises- MSMEs)

  • हाल ही में  MSMEs तथा अन्य क्षेत्रों के लिये सरकार द्वारा विभिन्न क्रेडिट गारंटी योजनाओं की घोषणा की गई। 
  • क्रेडिट गारंटी:
    • बैंकों द्वारा MSMEs को दिया जाने वाला अधिकतर ऋण MSMEs की परिसंपत्तियों (संपार्श्विक के रूप में) के आधार पर दिया जाता है। लेकिन किसी संकट के समय इस संपत्ति की कीमतों में गिरावट हो सकती है तथा इससे MSMEs की ऋण लेने की क्षमता बाधित हो सकती है। अर्थात किसी संकट के समय परिसंपत्तियों की कीमतों में गिरावट होने से बैंक इन उद्यमों की ऋण देना कम कर देते हैं।
    • सरकार द्वारा इस संबंध में बैंकों को क्रेडिट गारंटी दी जाती है कि यदि MSMEs उद्यम ऋण चुकाने में सक्षम नहीं होते हैं तो ऋण सरकार द्वारा चुकाया जाएगा। उदारणतया यदि सरकार द्वारा एक फर्म को 1 करोड़ रुपए तक के ऋण पर 100% क्रेडिट गारंटी दी जाती है इसका मतलब है कि बैंक उस फर्म को 1 करोड़ रुपए उधार दे सकता है। यदि फर्म वापस भुगतान करने में विफल रहती है, तो सरकार 1 करोड़ रुपए का भुगतान बैंकों को करेगी।

MSMEs की परिभाषा में बदलाव:

  • परिभाषा में बदलाव क्यों?
    • MSME की परिभाषा में बदलाव किया गया है क्योंकि ‘आर्थिक सर्वेक्षण’ के अनुसार लघु उद्यम लघु ही बने रहना चाहते हैं क्योंकि इससे इन उद्योगों को अनेक लाभ मिलते हैं। अत: MSME की परिभाषा में बदलाव की लगातार मांग की जा रही है।
  • परिभाषा के नवीन मापदंड:
    • निवेश सीमा को संशोधित किया गया है। 
    • कंपनी के टर्नओवर को मापदंड के रूप में जोड़ा गया है। 
    • निर्माण और सेवा क्षेत्र के बीच अंतर को समाप्त किया गया है।
    • हालाँकि नवीन परिभाषा के लिये अभी आवश्यक कानूनों में संशोधन करना होगा। 

मौजूदा MSME वर्गीकरण

मानदंड: संयंत्र एवं मशीनरी या उपकरण में निवेश

वर्गीकरण

सूक्ष्म 

लघु 

मध्यम 

विनिर्माण उद्यम

निवेश < 25 लाख रुपए

निवेश < 5 करोड़ रुपए

निवेश < 10 करोड़ रुपए

सेवा उद्यम 

निवेश < 10 लाख रुपए

निवेश < 2 करोड़ रुपए

निवेश < 5 करोड़ रुपए

 

संशोधित MSME वर्गीकरण

समग्र मानदंड (Composite Criteria): निवेश और वार्षिक कारोबार (टर्नओवर)


वर्गीकरण

सूक्ष्म 

लघु 

मध्यम 

विनिर्माण और सेवा 

निवेश < 1 करोड़ रुपए और टर्नओवर < 5 करोड़ रुपए

निवेश < 10 करोड़ रुपए और टर्नओवर < 50 करोड़ रुपए

निवेश < 20 करोड़ रुपए और टर्नओवर < 100 करोड़ रुपए

नवीन परिभाषा की आलोचना:

  • MSMEs की नवीन परिभाषा से उद्यमों को उनके आकार के कारण प्राप्त होने वाले लाभ संबंधी समस्या का समाधान संभव हो पाएगा। 
  • हालाँकि इस बदलाव की आलोचना की जा रही है, क्योंकि नवीन MSME की परिभाषा वैश्विक स्तर के अनुसार होनी चाहिये। नवीन परिभाषा में 5 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाली कंपनियों को लघु माना जाएगा परंतु वैश्विक स्तर पर 75 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाले उद्यमों को लघु माना जाता है।

भारत में MSMEs की स्थिति:

Estimated

MSME की ग्रामीण-नगरीय स्थिति:

Distribution

स्रोत: पीआईबी