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आकांक्षी ज़िलों की दूसरी डेल्‍टा रैंकिंग

  • 28 Dec 2018
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?


नीति आयोग (National Institution for Transforming India- NITI Aayog) ने जून से लेकर अक्तूबर, 2018 तक के महीनों के दौरान बेहतर प्रदर्शन के आधार पर आकांक्षी ज़िलों (Aspirational Districts) की दूसरी रैंकिंग जारी की है।

प्रमुख बिंदु

  • इस रैंकिंग में पहली बार ‘परिवारों के बीच कराए गए सर्वेक्षणों’ के सत्‍यापित आँकड़े शामिल किये गए हैं। ये सर्वेक्षण नीति आयोग के ज्ञान साझेदारों जैसे कि टाटा ट्रस्‍ट्स (TATA Trusts) और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill & Melinda Gates Foundation) द्वारा कराए गए हैं।
  • जून माह के दौरान सभी आकांक्षी ज़िलों में कराए गए इन सर्वेक्षणों के तहत 1,00,000 से भी अधिक परिवारों को कवर किया गया।
  • ज़िलों को श्रेणीबद्ध करने का काम चैंपियंस ऑफ चेंज (Champions of the Change) डैशबोर्ड के ज़रिये सार्वजनिक रूप से उपलब्‍ध आँकड़ों पर आधारित है, जिसमें वास्‍तविक समय के आधार पर ज़िला स्‍तर के आँकड़े शामिल किये गए हैं।

Ranking

जिन ज़िलों ने जून 2018 से अक्तूबर 2018 के बीच बड़ी पहल करते हुए अपनी रैंकिंग में गुणात्मक छलांग लगाई है उन्हें फास्ट मूवर्स (Fast Movers) की संज्ञा दी गई है, जो इस प्रकार है-

Ranking1डेल्टा रैंकिंग की शुरुआत

  • नीति आयोग ने आकांक्षी ज़िलों की पहली डेल्टा रैंकिंग जून 2018 में जारी की थी जिसमें 31 मार्च, 2018 से 31 मई, 2018 के बीच नीति आयोग द्वारा स्वयं दर्ज किये गए आँकड़ों के आधार पर रैंकिंग की गई थी।
  • यह रैंकिंग आकांक्षी ज़िलों में स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, वित्तीय समावेशन, कौशल विकास तथा बुनियादी अवसंरचना जैसे विकासात्मक क्षेत्रों में वृद्धिशील प्रगति दर्शाने के लिये शुरू की गई थी।

आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम

  • आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम की शुरूआत 5 जनवरी, 2018 को हुई थी।
  • इसका उद्देश्‍य उन ज़िलों में तेज़ी से बदलावा लाना है, जिन्‍होंने प्रमुख सामाजिक क्षेत्रों में तुलनात्‍मक रूप से कम प्रगति की है और वे अल्‍पविकसित ज़िलों के रूप में उभरकर सामने आए हैं, जिसके कारण वे संतुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित करने की राह में चुनौती बने हुए हैं।

स्रोत : पी.आई.बी

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