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सेटकॉम तकनीक

  • 02 Jan 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

सेटकॉम तकनीक

मेन्स के लिये:

शिक्षा के क्षेत्र में सेटकॉम तकनीक की प्रासंगिकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राजस्थान सरकार ने शैक्षिक संस्थानों में सीखने के परिणामों में वृद्धि करने और सामाजिक कल्याण योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिये बड़े पैमाने पर उपग्रह संचार तकनीक (Satellite Communication Technology-Satcom) का उपयोग शुरू किया है।

मुख्य बिंदु:

  • राजस्थान सरकार द्वारा इस पहल में नीति आयोग (NITI Aayog) द्वारा चयनित पाँच आकांक्षी ज़िलों को प्राथमिकता दी जा रही है।
  • राजस्थान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने दूरदराज़ के क्षेत्रों में (जहाँ इंटरनेट की सुविधा नहीं हैं) सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँचाने तथा सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में विषय विशेषज्ञों की सेवाएँ प्राप्त करने के लिये ‘रिसीव ऑनली टर्मिनल्स’ (Receive Only Terminals-ROT) एवं ‘सैटेलाइट इंटरेक्टिव टर्मिनल्स’ (Satellite Interactive Terminals-SIT) की सुविधा प्रदान करने हेतु यह पहल की है।

रिसीव ऑनली टर्मिनल्स:

  • ये ऐसे उपकरण होते हैं, जिनके द्वारा डेटा को स्वीकार किया जा सकता है, परंतु ये स्वंय डेटा निर्माण में अक्षम होते हैं।
  • ऐसे उपकरणों के माध्यम से दूरदराज़ के क्षेत्रों में विभिन्न जानकारियाँ पहुँचाने में सहायता मिलती है।

सैटेलाइट इंटरेक्टिव टर्मिनल्स:

  • सैटेलाइट इंटरेक्टिव टर्मिनल्स एक छोटे प्रकार का ‘सैटेलाइट डिश’ (Satellite Dish) होता है।
  • यह ‘सैटेलाइट टेलीविज़न के समान होता है, परंतु इसमें एक ‘रेडियो फ्रीक्वेंसी मॉड्यूलर’ (Radio Frequency Moduler) लगा होता है जो कि रेडियो तरंगों को प्राप्त कर सकता है तथा उन्हें वापस भी भेज सकता है।

पहल का विस्तार क्षेत्र:

  • पहले चरण के दौरान इस तकनीक का उपयोग विभिन्न विभागों, जैसे शिक्षा, उच्च शिक्षा, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण, महिला एवं बाल विकास और आदिवासी क्षेत्र के विकास के तहत आने वाले लगभग 2,000 संस्थानों में किया जाएगा।

विषय विशेषज्ञों की उपलब्धता तथा अन्य विशेषताएँ:

  • सरकारी शिक्षण संस्थानों में अंग्रेज़ी और विज्ञान विषयों का अध्ययन करने वाले छात्रों को ROT और SIT के माध्यम से विषय विशेषज्ञों की सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी।
  • दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर परिणाम पाने के लिये छठी कक्षा से बारहवीं तक के छात्रों के बीच अंग्रेज़ी और विज्ञान विषयों का स्तर बढ़ाया जाएगा।
  • इस नए कार्यक्रम की सुविधा सभी 134 मॉडल विद्यालयों, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों, समाज कल्याण विभाग के छात्रावासों, बालगृहों और प्रत्येक ज़िले के सरकारी कॉलेजों के छात्रों को प्रदान की जाएगी।
  • विशेष रूप से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे संस्थानों के छात्रों को सेटकॉम तकनीक के माध्यम से सहायता मिलेगी।
  • इस पहल में नीति आयोग द्वारा चयनित पाँच आकांक्षी ज़िलों- करौली, धौलपुर, बारां, जैसलमेर और सिरोही पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • इन ज़िलों में वृद्धाश्रम और बालगृहों में भी उपग्रह संचार संबंधी उपकरण लगाए जाएंगे।
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संचालित आठ सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से इन ज़िलों में शिक्षा से संबंधित योजनाओं को प्रसारित किया जाएगा।

सेटकॉम तकनीक:

  • पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों के बीच संचार लिंक प्रदान करने के लिये कृत्रिम उपग्रहों का उपयोग करना ही ‘उपग्रह संचार तकनीक’ कहलाता है। उपग्रह संचार वैश्विक दूरसंचार प्रणाली में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

स्रोत- द हिंदू

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