सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करना | 09 May 2017
संदर्भ
केंद्र सरकार प्राचीन नदियों को पुनर्जीवित करने के लिये ग्रामीण रोज़गार गारंटी कोष का उपयोग करने की योजना बना रही है।
प्रमुख बिंदु
- केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती का कहना है कि जल,पर्यावरण और ग्रामीण विकास मंत्रालयों के सचिवों की एक समिति का गठन यह जानने के लिये किया गया है कि मनरेगा (महात्मा गांधी ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना) कोष के 48,000 करोड़ रुपये का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।
- ऐसे प्राचीन नहरों का नवीकरण करने से ये न केवल सिंचाई के लिये उपयोगी होंगी बल्कि यह भूमिगत जल के संग्रहण में भी सुधार कर सकती हैं।
- सतलज नदी सरस्वती नदी की पश्चिमी शाखा को प्रदर्शित करती है।
- इस नदी की पूर्वी शाखा मारकंडा और सरसुती नदियाँ हैं जिन्हें वर्तमान में टोंस-यमुना नदी कहा जाता है, ये शाखाएँ शत्राना (Shatrana) में मिलती हैं। शत्राना पटियाला से दक्षिण दिशा में 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इनका प्रवाह एक बड़ी नदी के रूप में होता है। यह कच्छ के रण में गिरती है।
- समिति को देश में इस नदी पर प्राचीन नहरों को पुनर्जीवित करने का कार्य सौंपा गया है। ध्यातव्य है कि जहाँ भी ये नहरें थीं वहाँ की मिट्टी सामान्यतः मुलायम है अतः उनसे भूमिगत जल आसानी से रिस सकता है तथा इससे भूमिगत जल के स्तर में वृद्धि होने की संभावना है।
- केन्द्रीय भूमिगत जल बोर्ड के अध्यक्ष के.बी.बिस्वास के अनुसार,उनका विभाग जल के इन तंत्रों को पूर्वावस्था में लाने के लिये मनरेगा कोष का उपयोग करेगा। उनकी रुचि रिसने वाले टैंक और तालाब बनाने में है जिससे भूमिगत जलस्तर में वृद्धि होगी।
प्राचीन नहरें क्या हैं?
प्राचीन नहरें पुरानी नदियाँ हैं जो सूख चुकी हैं तथा यह अवसादों से भी भरी हैं। पिछले अक्टूबर जलविज्ञानी, भूवैज्ञानिक और पुरातत्त्वविदों की एक समिति(जल संसाधन मंत्रालय द्वारा किये गए एक अध्ययन के एक भाग के रूप में) ने इसके प्रमाण सरस्वती नदी में भी देखे हैं। इस नदी का उल्लेख ऋग्वेद और हिंदू पौराणिक कथाओं में किया गया है।
सरस्वती नदी
वेदों और महाभारत में यह कहा गया है कि सरस्वती नदी रेगिस्तान (संभवतः थार के मरूस्थल) में सूख गई थी। यद्यपि हिंदू मत यह है कि सरस्वती नदी का प्रवाह आज भी भूमि के नीचे होता है और यह इलाहाबाद(प्रयाग) में गंगा और यमुना से मिलती है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि दक्षिणी अफगानिस्तान की हेलमंड नदी सरस्वती नदी के समान है।
क्या है सरस्वती नदी के सूख जाने का कारण?:
- सरस्वती के जल का अन्य सहायक नदियों जैसे सतलज और यमुना में मिल जाना।
- सिन्धु सभ्यता के दौरान सरस्वती एक बड़ी नदी थी जिसे सतलज और यमुना से जल की प्राप्ति होती थी। परन्तु इस क्षेत्र में हुई भूगर्भीय हलचलों के कारण सिन्धु तंत्र से यमुना पृथक हो गई। इसके पश्चात सरस्वती में जल का प्रवाह कम हो गया तथा इसके अपवाह क्षेत्र में कमी आ गई और यह सूख गई।
- नदी में अवसादों का अत्यधिक जमाव।
- किनारों पर हुआ अत्यधिक अपरदन जिससे इसके किनारे टूट गए और इस नदी का जल अन्य नदियों में मिलने लगा। इस प्रकार यह सूख गई।
- इसमें जल का अभाव हो गया था जबकि नदी को बचाए रखने के लिये वनस्पतियाँ आवश्यक थी।