स्कूली शिक्षा के समग्र विकास के लिये ‘समग्र शिक्षा’ योजना | 28 May 2018
चर्चा में क्यों?
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने स्कूली शिक्षा के लिये एक समेकित योजना ‘समग्र शिक्षा’ योजना लॉन्च की। यह योजना स्कूली शिक्षा की अवधारणा में महत्त्वपूर्ण बदलाव है और इसमें ‘स्कूल’ को स्कूल पूर्व प्राइमरी, अपर प्राइमरी, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तरों की निरंतरता के रूप में माना गया है।
लक्ष्य
- योजना का केंद्र बिंदु अंग्रेजी के टी शब्द – टीचर्स और टेक्नोलॉजी का एकीकरण करके सभी स्तरों पर गुणवत्ता में सुधार लाना है।
- समग्र का अर्थ संपूर्ण है, न कि विभिन्न भागों की संख्या। इस योजना का नामकरण सटीक है क्योंकि यह योजना विभिन्न स्तरों की शिक्षा को बाँटे बगैर स्कूल शिक्षा को समग्र दृष्टि से देखती है।
बजट परिव्यय
- पहली तीन योजनाओं अर्थात् एसएसए, आरएमएसए एवं शिक्षक की शिक्षा पर बजट 2017-18 में 28,000 करोड़ रुपए था। लेकिन नई योजना पर बजट परिव्यय 2018-19 में 34,000 करोड़ रुपए एवं 2019-20 में 41,000 करोड़ रुपए होगा, जो 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी है।
- लगभग एक मिलियन स्कूलों को पुस्तकालयों को सुदृढ़ बनाने के लिये 5,000 रुपए से 20,000 रुपए तक का पुस्तकालय अनुदान प्राप्त होगा, जिससे कि ‘पढ़ेगा भारत, बढ़ेगा भारत’ सुनिश्चित हो सके।
- प्रत्येक स्कूल को समग्र शिक्षा के तहत प्राथमिक के लिये 5,000 रुपए, उच्चतर प्राथमिक के लिये 10,000 रुपए तथा एसएससी और एचएससी स्कूलों के लिये 25,000 रुपए तक की कीमत के खेल उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे कि ‘खेलेगा भारत, खिलेगा भारत’ के स्वप्न को साकार किया जा सके।
- ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की प्रतिबद्धता को पूर्ण करने के लिये 2018-19 में 4385.60 करोड़ तथा 2019-20 में 4553.10 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) को विस्तारित कर कक्षा 6-8 से कक्षा 6-12 तक कर दिया गया है।
योजना की प्रमुख विशेषताएँ
- यह योजना ग्रेड अनुसार, विषय अनुसार शिक्षा प्राप्ति परिणामों पर आधारित होगी।
- शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये सरकार द्वारा जिला स्तर पर किये जा रहे कार्यों के बारे में रणनीति बनाने के लिये 2017-18 में सबसे बड़ा राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) कराया गया।
- इस सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी के आधार पर विद्यार्थियों को शिक्षा देने से लेकर उनकी योग्यता में वृद्धि करने जैसे मुद्दों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- योजना में सभी हितधारकों माता-पिता/अभिभावक, स्कूल प्रबंधन समिति सदस्य, समुदाय तथा राज्यकर्मी सभी की सक्रिय भागीदारी होगी ताकि बच्चों को गुणवत्ता संपन्न शिक्षा सुनिश्चित की जा सके।
शिक्षकों के परीक्षण पर विशेष बल
- शिक्षक, स्कूल शिक्षा प्रणाली की धुरी होता है। इस योजना में, इस महत्त्वपूर्ण स्तंभ को मज़बूत बनाने पर विशेष बल दिया गया है।
- शिक्षकों के प्रशिक्षण का कार्य नोडल एजेंसियों-एससीईआरटी तथा डीआईईटी के माध्यम से किया जाएगा।
- इन संस्थानों को भी मज़बूत बनाया जाएगा ताकि राज्यों में इन-सर्विस और प्री-सर्विस के एकीकरण पर बल दिया जा सके। इससे सभी स्तरों पर स्कूली शिक्षण की गुणवत्ता में मज़बूती आएगी।
टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना
- यह योजना टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अच्छी गुणवत्ता संपन्न शिक्षा की पहुँच को व्यापक बनाने में सहायक होगी।
- शिक्षकों के लिये राष्ट्रीय डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘दीक्षा’, शिक्षकों के उपयोग के लिये उच्च गुणवत्ता की शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराएगा।
- यह योजना पाँच वर्षों से अधिक सभी माध्यमिक विद्यालयों में ‘ऑपरेशन डिजिटल बोर्ड’ को समर्थन देगी ताकि स्मार्ट क्लास रूमों, डिजिटल बोर्डों तथा डीटीएच चैनलों के माध्यम से डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को बढ़ाया जा सके। शाला कोष, सगुन शाला. सारथी जैसी डिजिटल पहलों को मज़बूत बनाया जाएगा।
पुस्तिका और वेबसाइट का लोकार्पण
- इस अवसर पर समग्र शिक्षा योजना की पुस्तिका और वेबसाइट का भी लोकार्पण किया गया। इस पुस्तिका में योजनाओं की विशेषताओं का वर्णन किया गया है, जबकि वेबसाइट पर राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों, बच्चों, संस्थानों एवं व्यापक रूप से आम लोगों की सूचना के लिये योजना के बारे में विवरण दिया गया है।
- राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नवीनतम संदर्भ के लिये वेबसाइट पर सभी अधिसूचनाएँ, पत्राचार तथा सर्कुलरों को अपलोड किया गया है।
- परियोजना से एक ऑनलाइन परियोजना निगरानी प्रणाली जोड़ी गई है जो लक्ष्यों के संदर्भ में प्रगति को मापती है और एकीकृत योजना के विभिन्न कदमों के क्रियान्वयन प्रक्रिया की निगरानी करती है।
इस योजना के रूप में ‘सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा’ प्रदान करने की प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता के अनुरूप मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। साथ ही, इसके माध्यम से स्कूली शिक्षा की वर्तमान योजना को पूरी तरह बदल दिया है ताकि स्कूली शिक्षा को स्कूल पूर्व प्राइमरी, अपर प्राइमरी, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तरों की निरंतरता के रूप में माना जा सके।