‘साँस’ अभियान | 18 Nov 2019
प्रीलिम्स के लिये
साँस (SAANS) अभियान क्या है?
मेन्स के लिये
भारत में निमोनिया के नियंत्रण के लिये किये जाने वाले प्रयास।
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने साँस (SAANS) अभियान की शुरुआत की।
मुख्य बिंदु:
- साँस (Social Awareness and Action to Neutralise Pneumonia Successfully-SAANS) अभियान का उद्देश्य नवजात शिशुओं में निमोनिया से होने वाली मौतों को कम करना है।
- भारत में पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की कुल मौतों में 15 प्रतिशत की मौत निमोनिया की वजह से होती है।
- स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (Health Management Information System-HMIS) द्वारा प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार, भारत में पाँच वर्ष से कम आयु के प्रति 1000 जीवित बच्चों में 37 की मौत हो जाती है जिसमें 5.3 मौतें सिर्फ निमोनिया की वजह से होती हैं।
- HMIS के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018-19 में बच्चों में निमोनिया से होने वाली मौतों के सर्वाधिक मामले मध्य प्रदेश में दर्ज किये गए, जबकि गुजरात दूसरे स्थान पर रहा।
- सरकार ने बच्चों में निमोनिया से होने वाली मौतों के नियंत्रण हेतु वर्ष 2025 तक प्रति 1000 जीवित बच्चों पर होने वाली मौतों को 3 से कम करने का लक्ष्य रखा है।
- इस अभियान द्वारा बच्चों में होने वाले निमोनिया पर नियंत्रण के लिये सरकार प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों तथा अन्य हितधारकों के माध्यम से उपचार मुहैया कराएगी।
- इसके अलावा निमोनिया से ग्रसित बच्चों को आशा (Accredited Social Health Activist-ASHA) कार्यकर्ता द्वारा अमोक्सीसीलीन (Amoxicillin) नामक एंटीबायोटिक की खुराक दी जाएगी।
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पल्स-ऑक्सीमीटर (Pulse-Oximeter) द्वारा बच्चों के रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा का पता लगाया जाएगा तथा आवश्यकता पड़ने पर ऑक्सीजन सिलिंडर के प्रयोग से उसका उपचार किया जाएगा।
पल्स-ऑक्सीमीटर (Pulse-Oximeter) - यह एक यंत्र है जिसके माध्यम से मानव शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा का पता लगाया जाता है।
- इसके तहत बच्चों में निमोनिया के उन्मूलन हेतु स्तनपान तथा आयु के अनुसार पूरक आहार पर बल देने के लिये प्रचार एवं जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।