वोल्बाचिया बैक्टीरिया के माध्यम से डेंगू प्रसार पर नियंत्रण | 28 Aug 2020

प्रिलिम्स के लिये: 

वोल्बाचिया बैक्टीरिया, एडीज़ एजिप्टी, राष्ट्रीय वेक्टर-जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम

मेन्स के लिये:

वेक्टर जनित रोग और उनके नियंत्रण के प्रयास 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इंडोनेशिया के कुछ शोधकर्त्ताओं ने एक परीक्षण के दौरान मच्छरों के ‘वोल्बाचिया’ (Wolbachia) नामक बैक्टीरिया से संक्रमित होने पर डेंगू के मामलों में भारी गिरावट दर्ज की है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस शोध के तहत वैज्ञानिकों ने दो वर्ष पहले मादा मच्छरों के एक समूह को ‘वोल्बाचिया’ (Wolbachia) नामक बैक्टीरिया से संक्रमित कर इंडोनेशिया के ‘योग्याकार्ता’ (Yogyakarta) शहर के कुछ हिस्सों में छोड़ दिया था।
  • 26 अगस्त, 2020 को वैज्ञानिकों द्वारा जारी परिणाम के अनुसार, इस शोध में शामिल किये गए शहर के हिस्सों में डेंगू के मामलों में 77% की गिरावट देखी गई है।
  • इस शोध के सकारात्मक परिणाम से डेंगू के साथ मच्छर जनित कुछ अन्य बीमारियों के बड़े पैमाने पर नियंत्रित करने की संभावनाएँ देखी जा रहीं हैं।

वोल्बाचिया बैक्टीरिया:   

  • यह बैक्टीरिया कीड़ों की कुछ प्रजातियों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है जिनमें मच्छरों की भी कुछ प्रजातियाँ शामिल हैं।
  • हालाँकि यह बैक्टीरिया एडीज़ एजिप्टी प्रजाति के मच्छरों में नहीं पाया जाता है।
    • ध्यातव्य है कि ‘एडीज़ एजिप्टी’ (Aedes Aegypti) प्रजाति के मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया, ज़िका (Zika) और पीत ज्वर (Yellow Fever) जैसी गंभीर बीमारियों के प्रसार के लिये उत्तरदायी हैं।   
  • वर्ष 2008 में ऑस्ट्रेलिया के एक अनुसंधान/शोध समूह ‘वर्ल्ड मॉस्किटो प्रोग्राम’ (World Mosquito Program- WMP) द्वारा एडीज़ एजिप्टी’ प्रजाति के मच्छरों में वोल्बाचिया बैक्टीरिया की भूमिका पर शोध किया गया। 
  • इस शोध में पाया गया कि यदि एडीज़ एजिप्टी मच्छर वोल्बाचिया बैक्टीरिया से संक्रमित हों तो ये डेंगू फैलाने में सक्षम नहीं होते हैं।
  • एडीज़ एजिप्टी’ मच्छरों में इस बैक्टीरिया के उपस्थित होने पर डेंगू के विषाणुओं को अपनी प्रतिकृति तैयार करने में कठिनाई होती है।   

वोल्बाचिया बैक्टीरिया द्वारा डेंगू पर नियंत्रण:

  • वोल्बाचिया बैक्टेरिया से संक्रमित मच्छर को किसी क्षेत्र में छोड़ा जाता है तो वे अन्य स्थानीय जंगली मच्छरों के साथ संकरण (Interbreeding) करते हैं।
  • इस प्रकार समय के साथ धीरे-धीरे मच्छरों की कई पीढ़ियाँ प्राकृतिक रूप से वोल्बाचिया बैक्टीरिया से संक्रमित होने लगती हैं।
  • इस प्रक्रिया में एक ऐसी स्थिति आएगी जब उस क्षेत्र में मच्छरों की आबादी का एक बड़ा हिस्सा वोल्बाचिया बैक्टीरिया से संक्रमित होगा, जिससे मच्छरों के काटने से लोगों को डेंगू होने की संभावनाएँ कम हो जाएंगी।
  • इंडोनेशिया में किये गए परीक्षण के दौरान शोधार्थियों ने ‘योग्याकार्ता’ (Yogyakarta) शहर को 24 क्लस्टर में बाँट दिया और अगले कुछ महीनों के दौरान इनमें से अनियमित रूप से चुने 12 क्लस्टरों में वोल्बाचिया मच्छरों को छोड़ा गया।
  • इन मच्छरों के कारण क्षेत्र के अधिकांश मच्छर वोल्बाचिया बैक्टीरिया से संक्रमित हो गए और 27 महीनों बाद एकत्र किये गए आँकड़ों में शोधार्थियों द्वारा वोल्बाचिया संक्रमित मच्छरों वाले क्षेत्र में गैर-वोल्बाचिया संक्रमित मच्छरों वाले क्षेत्र की तुलना में डेंगू के मामलों में 77% तक गिरावट देखी गई। 

महत्त्व:

  • इस प्रयोग के माध्यम से वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया है कि यह विधि एक शहर में डेंगू के नियंत्रण में सफल रही है, ऐसे में यदि इसे व्यापक पैमाने पर अपना कर विश्व के अनेक हिस्सों से अगले कई वर्षों के लिये डेंगू को समाप्त किया जा सकता है। 
  • वैज्ञानिकों के अनुसार, यह विधि केवल एक विषाणु को ही नहीं बल्कि कई फ्लेवीवायरस (Flaviviruses) को रोकती है, ऐसे में यह ‘एडीज़ एजिप्टी’ से फैलने वाली अन्य बीमारियों को भी रोकने में प्रभावी होगी। 

अन्य देश की प्रतिक्रिया:  

  • वर्ल्ड मॉस्किटो प्रोग्राम द्वारा इससे पहले ऑस्ट्रेलिया और अन्य 11 देशों में भी छोटे स्तर पर ऐसे परीक्षण किये जा चुके हैं परंतु इंडोनेशिया में पहली बार यादृच्छिक नियंत्रित परीक्षण (Randomised Controlled Trial) का प्रयोग किया गया। 
  • फ्राँस की इनोवाफीड (InnovaFeed) नामक एक कंपनी ने पहली बार औद्योगिक स्तर पर वोल्बाचिया बैक्टीरिया से संक्रमित मच्छरों के विकास हेतु वर्ल्ड मॉस्किटो प्रोग्राम के साथ एक साझेदारी की है।  

डेंगू (Dengue):

  • डेंगू बुखार और डेंगू रक्तस्रावी बुखार (Dengue Haemorrhagic Fever) एक तीव्र बुखार है जो चार अलग-अलग डेंगू वायरस सिरोटाइप (डेन 1,2,3 और4) के कारण होता हैं। 
  • यह वायरस एडीज़ एजिप्टी प्रजाति के मादा मच्छरों से फैलता है।
  • वेक्टर एडीज़ एजिप्टी घरों के आसपास इकट्ठा स्वच्छ जल में प्रजनन करती हैं और ये शहरी तथा ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पाई जाती हैं ।    
  • ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (World Health Organisation)के अनुसार, हाल के कुछ दशकों में वैश्विक स्तर पर डेंगू के मामलों में तीव्र वृद्धि देखी गई है, हालाँकि इनमें से अधिकांश मामले आधिकारिक रूप से दर्ज नहीं किये जाते।   
  • WHO के अनुमान के अनुसार, विश्व भर में प्रतिवर्ष डेंगू संक्रमण के लगभग 39 करोड़ मामले देखे जाते हैं जिनमें से सिर्फ 9.6 करोड़ मामलों में डेंगू के लक्षण स्पष्ट होते हैं।
  • ‘राष्ट्रीय वेक्टर-जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम’ (National Vector-Borne Disease Control Programme) के अनुसार, वर्ष 2018 में भारत में डेंगू के 1 लाख से अधिक मामले दर्ज किये गए जबकि वर्ष 2019 में इनकी संख्या बढ़कर 1.5 लाख से अधिक पहुँच गई थी।

मच्छर जनित अन्य बीमारियाँ:

  • एडीज़ एजिप्टी  के अतिरिक्त मादा एनाफिलीज मच्छर (Anopheles Mosquitoes)-मलेरिया और क्यूलेक्स प्रजाति जापानी इन्सेफेलाइटिस, लिम्फेटिक फाइलेरिया तथा वेस्ट नाइल फीवर के लिये उत्तरदाई होते हैं।

राष्ट्रीय वेक्टर-जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम’

(National Vector-Borne Disease Control Programme): 

  • राष्ट्रीय वेक्टर-जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2003-04 में की गई थी।
  •  राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम , राष्ट्रीय फाइलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम और कालाजार नियंत्रण कार्यक्रम का विलय कर इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी।
  • इस कार्यक्रम के तहत जापानी इंसेफलाइटिस (Japanese Encephalitis) और डेंगू (Dengue) को भी शामिल किया गया है।

उद्देश्य: 

  • रोग और प्रकोप की निगरानी। 
  • त्वरित निदान और  प्रबंधन। 
  • सामुदायिक भागीदारी और सामाजिक गतिशीलता के माध्यम से वेक्टर नियंत्रण। 
  • क्षमता निर्माण। 

विश्व मच्छर दिवस (World Mosquito Day): ब्रिटिश चिकित्सक, सर रोनाल्ड रॉस की स्मृति में प्रतिवर्ष 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता है।  सर रोनाल्ड रॉस ने 20अगस्त, 1897 में मनुष्यों में मलेरिया के संक्रमण के लिये मादा मच्छरों के उत्तरदायी होने की खोज की थी। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस