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भारत और कैंसर

  • 19 Aug 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये

कैंसर, विश्व कैंसर दिवस, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद

मेन्स के लिये

एक गंभीर रोग के रूप में कैंसर, इलाज़ और उपचार, संबंधित तथ्य

चर्चा में क्यों?

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR) और राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान और अनुसंधान केंद्र (National Centre for Disease Informatics and Research-NCDIR) द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार,, वर्तमान प्रवृत्तियों के लिहाज़ से वर्ष 2025 तक भारत में कैंसर के मामलों की संख्या बढ़कर 15.6 लाख होने की संभावना है, इस प्रकार वर्ष 2025 तक वर्तमान अनुमानित मामलों में तकरीबन 12 प्रतिशत की वृद्धि होगी।

प्रमुख बिंदु

  • इस संबंध में जारी रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में कैंसर के कुल मामलों में तंबाकू के कारण होने वाले कैंसर का योगदान अनुमानतः 27.1 प्रतिशत हो सकता है।
    • रिपोर्ट में कहा गया है कि तंबाकू जनित कैंसर देश के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सबसे अधिक है।
  • रिपोर्ट का अनुमान है कि वर्ष 2020 के अंत तक देश में कैंसर के कुल मामले 13.9 लाख तक पहुँच जाएंगे, अनुमान के मुताबिक वर्ष में तंबाकू जनित कैंसर से पीड़ित लोगों की संख्या 3.7 लाख से अधिक हो सकती है।
  • पुरुषों में फेफड़े, मुंह, पेट और ग्रासनली (Oesophagus) के कैंसर सबसे आम कैंसर हैं, जबकि महिलाओं में स्तन कैंसर (Breast Cancers) तथा गर्भाशय ग्रीवा (Uterine Cervix) कैंसर काफी आम हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, देश भर की महिलाओं में स्तन कैंसर के कुल 2.0 लाख (14.8 प्रतिशत) और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के कुल 0.75 लाख (5.4 प्रतिशत) मामले होने का अनुमान है।
    • वहीं देश भर के पुरुषों और महिलाओं दोनों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर (Gastrointestinal Cancer) के कुल मामले लगभग 2.7 लाख (19.7 प्रतिशत) हैं।
  • भारत में प्रति एक लाख पुरुषों पर कैंसर की सबसे अधिक दर (269.4) मिज़ोरम के आइज़ोल (Aizawl) में पाई गई, जबकि कैंसर की सबसे कम दर (39.5) महाराष्ट्र के उस्मानाबाद और बीड ज़िले में दर्ज की गई।
  • इसी तरह भारत में प्रति एक लाख महिलाओं पर कैंसर की सबसे अधिक दर (219.8) अरुणाचल प्रदेश के पपुमपारे ज़िला (Papumpare District) में पाई गई, जबकि कैंसर की सबसे कम दर (49.4) महाराष्ट्र के उस्मानाबाद और बीड ज़िले में ही दर्ज की गई।
  • तंबाकू के किसी भी प्रकार के उपयोग से संबंधित कैंसर देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में और खासतौर पर पुरुषों में सबसे अधिक पाया गया।

कैंसर का अर्थ?

  • सामान्य शब्दों में कहें तो कैंसर (Cancer) शब्द का प्रयोग कई सारी बीमारियों के एक समूह के लिये किया जाता है। यह शरीर में लगभग कहीं भी विकसित हो सकता है।
  • आमतौर पर, मानव कोशिकाएँ बढ़ती हैं और मानव शरीर की आवश्यकता के अनुरूप नई कोशिकाओं को बनाने के लिये विभाजित होती हैं।
  • जब कोशिकाएँ पुरानी हो जाती हैं अथवा क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो वे स्वतः ही मर जाती हैं और नई कोशिकाएँ उनका स्थान ले लेती हैं।
  • हालाँकि कैंसर की स्थिति में यह क्रमबद्ध प्रक्रिया बाधित हो जाती है, ऐसी स्थिति में पुरानी अथवा क्षतिग्रस्त कोशिकाएँ समाप्त नहीं होती हैं, या फिर यह भी हो सकता है कि एक नई कोशिका उस समय विकसित हो जाए जब उसकी आवश्यकता न हो।
  • यही अतिरिक्त कोशिकाएँ बिना रूके विभाजित होती रहती हैं और ‘ट्यूमर’ (Tumors) का निर्माण कर सकती हैं।

कैंसर के प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:

  • भौतिक कारक, जैसे- पराबैंगनी और आयनकारी विकिरण के संपर्क में आने से कैंसर होने का खतरा रहता है।
  • रासायनिक कारक, जैसे- एस्बेस्टस, तंबाकू के धुएँ के घटक, एफ्लाटॉक्सिन (एक खाद्य संदूषक) और आर्सेनिक युक्त जल का उपयोग कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है।
  • जैविक कारक, जैसे- वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी से संक्रमण भी कैंसर का एक प्रमुख कारण है।

वर्तमान परिदृश्य

  • वर्तमान समय में कैंसर की बीमारी विश्व में भयानक रूप ले चुकी है, विशेषत: भारत में यह मौत के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है। जो आज भी चिंता का कारण बना हुआ है।
  • विश्व भर में 4 फरवरी को वैश्विक कैंसर दिवस मनाया जाता है। भारत में इसकी आक्रामकता को देखते हुए और लोगों को जागरूक करने हेतु वर्ष 2014 से कैंसर को लेकर जागरूकता अभियान शुरु किया गया है। जिसके तहत हर वर्ष 7 नवंबर को देश-भर में राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है।
  • भारत में जितनी तेज़ी से यह बीमारी फैल रही है उस हिसाब से देश में इसके उपचार की व्यवस्था नहीं हैं। बीमारी से बचने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि इसके प्रति जागरूकता लाई जाए।
  • कैंसर के संभावित लक्षणों एवं इससे बचाव के प्रति जागरूकता से कैंसर का प्राथमिक स्तर पर ही इलाज संभव हो सकता है, जिससे शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक रूप से कम हानि होगी। अगर इसका पता देर से चलता है तो उपचार मुश्किल और महंगा हो जाता है।

स्रोत: द हिंदू

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