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जैव विविधता और पर्यावरण

मौसम आपदाओं पर रिपोर्ट: डब्ल्यूएमओ

  • 03 Sep 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व मौसम विज्ञान संगठन 

मेन्स के लिये:

डब्ल्यूएम द्वारा जारी मौसम आपदाओं पर रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष  

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization- WMO) द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है जिसमें कहा गया है कि पिछले 50 वर्षों में मौसम संबंधी आपदाओं के चलते 20 लाख लोगों की मौत हुई है।

  • WMO ने ‘एटलस ऑफ मॉर्टेलिटी एंड इकोनॉमिक लॉस फ्रॉम वेदर, क्लाइमेट एंड वॉटर एक्सट्रीम, फ्रॉम 1970 से 2019' (Atlas of Mortality and Economic Losses from Weather, Climate and Water Extremes, from 1970 to 2019) को प्रकाशित किया है।
  • WMO संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है।

प्रमुख बिंदु 

  • रिपोर्ट का निष्कर्ष: 
    • आपदाओं की संख्या: 50 वर्षों की अवधि में आपदाओं की संख्या में पांँच गुना की वृद्धि हुई है जिनका कारण जलवायु परिवर्तन, अधिक चरम मौसम और बेहतर रिपोर्टिंग को बताया गया है।
      • वर्ष 1970 से 2019 तक मौसम, जलवायु और पानी से संबंधित आपदाएँ सभी प्रकार की आपदाओं का 50%, आपदाओं से होने वाली कुल मौतें 45% तथा सभी प्रकार की आपदाओं की रिपोर्ट के अनुसार हुए आर्थिक नुकसान का 74% रही।
      • इनमें से 91% से अधिक मौतें विकासशील देशों में हुईं।
      • सूखा, तूफान, बाढ़ और अत्यधिक तापमान इसके प्रमुख कारण थे।
    • मौतों की घटती संख्या: बेहतर प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और आपदा प्रबंधन के कारण 1970 और 2019 के बीच मौतों की संख्या लगभग तीन गुना कम हो गई।
    • सर्पिल लागत: 50 वर्ष की अवधि के दौरान औसतन हर दिन 202 मिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ। 1970 के दशक से वर्ष 2010 तक आर्थिक नुकसान सात गुना बढ़ गया है।
      • तूफान जो कि इस क्षति का सबसे प्रचलित कारण है, से दुनिया भर में सर्वाधिक आर्थिक नुकसान हुआ।
    • जलवायु परिवर्तन फुटप्रिंट: जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप दुनिया के कई हिस्सों में मौसम और चरम जलवायु की घटनाएँ बढ़ रही है और ये दुनिया के कई हिस्सों में लगातार से और गंभीर हो जाएगी।
      • वायुमंडल में अधिक जल वाष्प ने अत्यधिक वर्षा और बाढ़ की घटनाओं को बढ़ा दिया है तथा गर्म होते महासागरों ने तीव्र उष्णकटिबंधीय तूफानों की आवृत्ति एवं सीमा को प्रभावित किया है।
      • इसने दुनिया के कई हिस्सों में निचले इलाकों, डेल्टा, तटों और द्वीपों की भेद्यता को बढ़ा दिया है।
    • सेंडाई फ्रेमवर्क की विफलता: रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि सेंडाई फ्रेमवर्क 2015 में निर्धारित आपदा नुकसान को कम करने में विफलता, विकासशील देशों की गरीबी उन्मूलन और अन्य महत्त्वपूर्ण सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने की क्षमता को खतरे में डाल रही है।
      • सेंडाई फ्रेमवर्क 2015 को सेंडाई, मियागी, जापान में आयोजित आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन में अपनाया गया था।
      • वर्तमान ढाँचा प्राकृतिक या मानव निर्मित खतरों के साथ-साथ संबंधित पर्यावरणीय, तकनीकी और जैविक खतरों तथा जोखिमों के कारण छोटे एवं बड़े पैमाने पर, बार-बार व कम, अचानक और धीमी गति से शुरू होने वाली आपदाओं के जोखिम पर लागू होता है।
  • अनुशंसाएँ:
    • अनुकूलन क्षमता की आवश्यकता: WMO के 193 सदस्य देशों में से केवल आधे के पास बहु-खतरा पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ हैं और अफ्रीका, लैटिन अमेरिका के कुछ हिस्सों तथा प्रशांत एवं कैरेबियाई द्वीप राज्यों में मौसम व हाइड्रोलॉजिकल अवलोकन नेटवर्क में गंभीर अंतराल मौजूद हैं।
      • इस प्रकार विकासशील और अल्प विकसित देशों में पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है।
    • व्यापक आपदा जोखिम प्रबंधन: व्यापक आपदा जोखिम प्रबंधन में अधिक निवेश की आवश्यकता है, यह सुनिश्चित करने के लिये जलवायु परिवर्तन अनुकूलन राष्ट्रीय और स्थानीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण रणनीतियों का एकीकरण हो।
    • जोखिम की समीक्षा: रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि देशों को बदलते मौसम पर विचार करने के लिये जोखिम और भेद्यता की समीक्षा करनी चाहिये ताकि यह दर्शाया जा सके कि उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में अतीत की तुलना में अलग-अलग ट्रैक, तीव्रता और गति हो सकती है।
    • सक्रिय नीतियाँ: यह सूखे जैसी धीमी गति से शुरू होने वाली आपदाओं पर एकीकृत और सक्रिय नीतियों के विकास का भी आह्वान करती है।
  • भारत द्वारा हाल ही में की गई पहलें:

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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