रेलवे का विद्युतीकरण | 01 Dec 2020
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उत्तर-पश्चिमी रेलवे के नए विद्युतीकृत दिघावाड़ा-बांदीकुई रेल खंड का उद्घाटन किया और दिघावाड़ा स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम में इस नए विद्युतीकृत रेल मार्ग पर पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
प्रमुख बिंदु
- रेलवे का इतिहास:
- 1832: भारत में रेलवे को लेकर पहला प्रस्ताव मद्रास में प्रस्तुत किया गया था।
- 1837: भारत को अपनी पहली ट्रेन रेड हिल रेलवे के रूप में मिली, जिसे सड़क निर्माण हेतु ग्रेनाइट परिवहन के एकमात्र उद्देश्य के लिये शुरू किया गया था।
- 1853: अप्रैल 1853 में ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे द्वारा संचालित भारत की पहली यात्री ट्रेन बोरी बंदर (मुंबई) और ठाणे के बीच चली।
- 1925: फरवरी 1925 में भारत में पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन मुंबई में विक्टोरिया टर्मिनस और कुर्ला के बीच चलाई गई थी।
- 1951: भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण किया गया।
- वर्तमान विद्युतीकरण
- भारतीय रेलवे ने दिसंबर 2023 तक अपने ब्रॉड गेज नेटवर्क के विद्युतीकरण कार्य को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- ब्रॉड गेज मार्ग के 66 प्रतिशत से अधिक हिस्से का विद्युतीकरण हो चुका है।
- 18065 किलोमीटर मार्ग का विद्युतीकरण कार्य पूरा करने के बाद रेलवे ने वर्ष 2009-2014 की तुलना में वर्ष 2014-20 के दौरान विद्युतीकरण में 371 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।
- विद्युतीकरण के लाभ
- गति: शत-प्रतिशत विद्युतीकरण के परिणामस्वरूप बाधारहित ट्रेन संचालन संभव हो सकेगा और ट्रैक्शन (कर्षण) में परिवर्तन यानी डीज़ल से इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रिक से डीज़ल ट्रेक्शन में परिवर्तन के कारण ट्रेनों को रोककर रखने की प्रवृत्ति समाप्त हो सकेगी।
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ट्रैक्शन (कर्षण): किसी चीज़ को सतह पर खींचने और धकेलने की क्रिया।
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क्षमता: इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की उच्च गति और अधिक वहन क्षमता के कारण भारतीय रेलवे की लाइन क्षमता (Line Capacity) बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- लाइन क्षमता का अभिप्राय किसी एक रेलवे खंड पर 24 घंटे में चलने वाली ट्रेनों की संख्या से है।
- सुरक्षा: बेहतर सिग्नलिंग प्रणाली के चलते ट्रेन परिचालन में सुरक्षा बढ़ेगी।
- वित्तीय बोझ में कमी: डीज़ल ट्रैक्शन की तुलना में इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन बहुत सस्ता और कुशल है, क्योंकि इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर चलने वाली ट्रेनें डीज़ल की तुलना में 50 प्रतिशत तक सस्ती होती हैं।
- निर्बाध संचालन: उपनगरीय क्षेत्रों के लिये इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट्स (EMUs) को एक आदर्श रेल वाहन के तौर पर देखा जाता है, क्योंकि ऐसे स्थानों पर बार-बार ट्रेन रोकने और शुरू करने की आवश्यकता होती है।
- रोज़गार सृजन: अनुमान के मुताबिक रेलवे के विद्युतीकरण के शुरुआती दौर में प्रत्यक्ष रूप से तकरीबन 20.4 करोड़ मानव दिवस का सृजन किया जा सकेगा, जिससे रोज़गार में काफी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।
- ऊर्जा सुरक्षा: शत-प्रतिशत विद्युतीकरण से जीवाश्म ईंधन की खपत में लगभग 2.83 बिलियन लीटर प्रतिवर्ष की कमी आएगी, जिससे ग्रीनहाउस गैसों (GHG) के उत्सर्जन में भी कमी आएगी। विद्युतीकरण को रेलवे में पर्यावरण के अधिक अनुकूल विकल्प माना जा सकता है।
- विद्युतीकरण के कारण वर्ष 2027-28 तक रेलवे का कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन 24 प्रतिशत तक कम हो जाएगा।
- ईंधन बिल में कमी: विद्युतीकरण के कारण ईंधन बिल में प्रतिवर्ष 13,510 करोड़ रुपए की बचत की जा सकेगी, क्योंकि डीज़ल इंजन की तुलना में इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव का रखरखाव काफी सुगम और सस्ता है।
- गति: शत-प्रतिशत विद्युतीकरण के परिणामस्वरूप बाधारहित ट्रेन संचालन संभव हो सकेगा और ट्रैक्शन (कर्षण) में परिवर्तन यानी डीज़ल से इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रिक से डीज़ल ट्रेक्शन में परिवर्तन के कारण ट्रेनों को रोककर रखने की प्रवृत्ति समाप्त हो सकेगी।
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अक्षय ऊर्जा का अधिक उपयोग
- जुलाई 2020 में भारतीय रेलवे ने अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिये अपनी भूमि का उपयोग कर ऊर्जा आवश्यकताओं के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने का निर्णय लिया था।
- भारतीय रेलवे अपनी ट्रैक्शन शक्ति संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये सौर ऊर्जा का उपयोग करेगी।