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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन

  • 13 Oct 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:  

क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन

मेन्स के लिये: 

क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन की उपयोगिता 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सरकार ने सी-डॉट (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स) क्वांटम कम्युनिकेशन लैब का उद्घाटन किया और स्वदेशी रूप से विकसित क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (QKD) समाधान का अनावरण किया।

  • सरकार ने 8 वर्षों की अवधि के क्वांटम टेक्नोलॉजीज़ और अनुप्रयोगों पर राष्ट्रीय मिशन के लिये 1 बिलियन अमेरिकी डाॅलर का आवंटन भी किया है।

प्रमुख बिंदु 

  • QKD के बारे में:
    • QKD जिसे क्वांटम क्रिप्टोग्राफी भी कहा जाता है, सुरक्षित संचार विकसित करने का एक तंत्र है।
    • यह गुप्त कुंजियों (Secret Keys) को वितरित और साझा करने का एक तरीका प्रदान करता है जो क्रिप्टोग्राफिक प्रोटोकॉल के लिये आवश्यक हैं।
      • क्रिप्टोग्राफी सुरक्षित संचार तकनीकों का अध्ययन है जो केवल प्रेषक और संदेश के इच्छित प्राप्तकर्त्ता को इसकी सामग्री देखने की अनुमति देता है।
      • क्रिप्टोग्राफिक एल्गोरिदम और प्रोटोकॉल सिस्टम को सुरक्षित रखने के लिये आवश्यक हैं, खासकर जब इंटरनेट जैसे अविश्वसनीय नेटवर्क के माध्यम से संचार किया जाता है।
    • डेटा-एन्क्रिप्शन के लिये उपयोग किये जाने वाले पारंपरिक क्रिप्टोसिस्टम गणितीय एल्गोरिदम की जटिलता पर निर्भर करते हैं, जबकि क्वांटम संचार द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा भौतिकी के नियमों पर आधारित होती है।
  • तंत्र (Mechanism):
    • QKD में एन्क्रिप्शन कुंजियों को ऑप्टिकल फाइबर में 'क्यूबिट्स ' या क्वांटम बिट्स के रूप में भेजा जाता है।
    • ऑप्टिकल फाइबर अन्य माध्यमों की तुलना में लंबी दूरी के लिये और तेज़ी से अधिक डेटा संचारित करने में सक्षम है। यह पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है।
    • QKD कार्यान्वयन के लिये वैध उपयोगकर्त्ताओं के बीच परस्पर क्रिया की आवश्यकता होती है  और इन इंटरैक्शन को प्रमाणित करने की आवश्यकता होती है। इसे विभिन्न क्रिप्टोग्राफिक माध्यमों से प्राप्त किया जा सकता है।
    • QKD दो दूर के उपयोगकर्त्ताओं को, जो शुरू में गुप्त कुंजी साझा नहीं करते हैं, गुप्त बिट्स की एक सामान्य, यादृच्छिक स्ट्रिंग उत्पन्न करने की अनुमति देता है, जिसे गुप्त कुंजी कहा जाता है।
    • अंतिम परिणाम यह है कि QKD एक प्रमाणित संचार चैनल का उपयोग कर सकता है और इसे एक सुरक्षित संचार चैनल में बदल सकता है।
    • इसे इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यदि कोई अवैध इकाई ट्रांसमिशन को पढ़ने की कोशिश करती है, तो यह फोटॉन पर एन्कोडेड क्यूबिट्स को अस्पष्ट कर देगी।
    • इससे ट्रांसमिशन त्रुटियाँ उत्पन्न होंगी, जिससे वैध अंतिम-उपयोगकर्त्ताओं को तुरंत सूचित किया जाएगा।

Secret-Key

  • क्यूबिट्स (Qubits):
    • पारंपरिक कंप्यूटर क्लासिकल भौतिकी का अनुसरण करते हुए 'बिट्स' या 1s और 0s में जानकारी को प्रोसेस करते हैं, जिसके तहत हमारे कंप्यूटर एक बार में '1' या '0' को प्रोसेस कर सकते हैं।
    • क्वांटम कंप्यूटर क्यूबिट्स में गणना करते हैं। वे क्वांटम यांत्रिकी के गुणों का फायदा उठाते हैं और यह नियंत्रित करता है कि परमाणु पैमाने पर पदार्थ कैसे व्यवहार करता है।
      • इस व्यवस्था में प्रोसेसर में एक साथ 1 और 0 हो सकते हैं, इस अवस्था को क्वांटम सुपरपोज़िशन कहा जाता है।
      • क्वांटम सुपरपोज़िशन के कारण एक क्वांटम कंप्यूटर- अगर यह योजना के लिये काम करता है तो समानांतर में काम करने वाले कई क्लासिकल कंप्यूटरों की नकल कर सकता है।

Qubit

  • आवश्यकता:
    • QKD वर्तमान संचार नेटवर्क के माध्यम से विभिन्न महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रयोग किये जा रहे, डेटा की सुरक्षा के लिये क्वांटम कंप्यूटिंग में बाह्य खतरे को दूर करने के लिये आवश्यक है।
  • लाभ:
    • यह प्रौद्योगिकी क्वांटम सूचना के क्षेत्र में विभिन्न स्टार्टअप और छोटे तथा मध्यम उद्यमों को सक्षम करने में उपयोगी होगी।
    • मानकों की परिभाषित करने और क्रिप्टो प्रौद्योगिकी से संबंधित नीतियों को तैयार करने में इससे सहायता मिलने की उम्मीद है।
  • महत्त्व:
    • डेटा लीक का पता लगाना:
      • यह डेटा लीक या हैकिंग का पता लगाने की अनुमति देता है क्योंकि यह ऐसे किसी भी प्रयास का पता लगा सकता है।
    • पूर्व निर्धारित त्रुटि स्तर:
      • यह इंटरसेप्ट किये गए डेटा के बीच त्रुटि स्तर सेट करने की प्रक्रिया की भी अनुमति देता है।
    • अनब्रेकेबल एन्क्रिप्शन:
      • फोटॉन के माध्यम से डेटा ले जाने का तरीका अनब्रेकेबल एन्क्रिप्शन होता है।
      • एक फोटॉन को पूरी तरह से कॉपी नहीं किया जा सकता है और इसे मापने का कोई भी प्रयास इसे डिस्टर्ब करेगा। इसका मतलब है कि डेटा को इंटरसेप्ट करने की कोशिश करते ही इसकी जानकारी उपभोक्ता को हो जायेगी।

स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स

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