प्रौद्योगिकी
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 31 मई, 2018
- 31 May 2018
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विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस
28 मई को पूरे विश्व में, विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (World Menstrual Hygiene Day) के रूप में मनाया गया। आज भी कई स्थान ऐसे हैं जहाँ मासिक धर्म के दौरान लड़कियों को परिवार से अलग-थलग कर दिया जाता है। कहीं मंदिर में प्रवेश वर्जित कर दिया जाता है, तो कहीं रसोईघर में।
- वर्ष 2014 से हर साल 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- इसका उद्देश्य समाज में फैली हुई मासिक धर्म संबंधी गलत अवधारणाओं को दूर करना तथा किशोरियों तथा महिलाओं को इस संबंध में सही जानकारी उपलब्ध कराना है।
- WASH यूनाइटेड (water, sanitation, hyg iene) द्वारा पहल के हिस्से के रूप में मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (MHM) पर जागरूकता पैदा करने के लिये 400 से अधिक संगठन साझेदार के रूप में काम कर रहे हैं।
- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आज भी 62% लड़कियाँ तथा महिलाएँ मासिक धर्म के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करती हैं तथा 28% किशोरियाँ तो मासिक धर्म के दौरान स्कूल ही नहीं जाती हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में सभी प्रजनन रोगों में से 70 प्रतिशत के लिये ख़राब मासिक धर्म, स्वच्छता का कारण माना जाता है।
- केमिकल सेनेटरी पैड (जिस पर बहुत सी महिलाएँ भरोसा करती हैं) को विभिन्न बीमारियों के कारण के रूप में जाना जाता है, जिनमें मधुमेह, एलर्जी और त्वचा प्रतिक्रियाएँ शामिल हैं।
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग (Zoological Survey of India) ने उत्तराखंड के हरिद्वार ज़िले के झिलमिल झील कंजर्वेशन रिज़र्व से मेंढक की एक नई प्रजाति की खोज की है। यह नई प्रजाति फेजेरवेरया वंश की है, इसी के आधार पर इसे 'फेजेरवेरया झिलमिलेंसिस' नाम दिया गया है।
- विश्व भर में फेजेरवेरया वंश के मेंढकों की अभी तक केवल 38 प्रजातियाँ ही पाई जाती थीं, जिनकी संख्या अब बढ़कर 39 हो गई है।
- इसी तरह, भारत में इस वंश के मेंढकों की मात्र 18 प्रजातियाँ ही पाई जाती थीं, अब यह संख्या बढ़कर 19 हो गई है।
- इस वंश के मेंढक भारत में मुख्य रूप से उत्तराखंड और सिक्किम में पाए जाते हैं। देश के बाहर यह नेपाल आदि के कुछ क्षेत्रों में भी पाए जाते हैं।
- मेंढक की इस नई प्रजाति की लंबाई 37 से 40 मिलीमीटर के बीच है। इसकी पीठ पर काली धारियाँ हैं और पैरों पर फूल की आकृति के निशान बने हुए हैं। इसकी चमड़ी का अधिकांश हिस्सा हल्के पीले रंग का है।
- यह नई प्रजाति नमी वाले इलाकों में पाई जाती है। ये पानी में नहीं पाए जाते हैं बल्कि तालाब आदि के किनारों एवं पत्थरों के नीचे पाए जाते हैं।
- इसके अलावा, ये धान के खेतों में भी पाए जाते हैं। धान के खेतों में यह कीड़े-मकोड़ों को खाकर फसल को नुकसान से बचाने का काम करते हैं।
कश्मीर में तितली की नई प्रजाति
- भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग (Zoological Survey of India) ने कश्मीर में तितली की एक नई प्रजाति की खोज की है। तितली की यह नई प्रजाति यापथिमा वंश की है।
- कश्मीर में खोजे जाने के कारण इस प्रजाति का नाम यापथिमा कश्मीरेंसिस रखा गया है।
- विश्व भर में, इस वंश की लगभग 100 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनकी संख्या अब बढ़कर 101 हो गई है।
- इस नई प्रजाति की लंबाई (विंग्स स्पान) 15 से 17.5 मिलीमीटर के बीच है।
- देखने में यह बिलकुल अन्य तितलियों की तरह ही है, लेकिन अन्य की तुलना में इसकी उड़ने की क्षमता काफी धीमी है।
गुवाहाटी विश्वविद्यालय में ब्रह्मपुत्र नदी अध्ययन केंद्र
केंद्र सरकार ने ब्रह्मपुत्र नदी के संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये एक अध्ययन केंद्र खोलने को मंज़ूरी प्रदान की है। 28 करोड़ रुपए की लागत से गुवाहाटी विश्वविद्यालय में इस अध्ययन केंद्र को स्थापित किया जाएगा।
- यह अध्ययन केंद्र ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ के कारणों और इसकी रोकथाम जैसे विषयों पर शोध कार्य करेगा।
- यह केंद्र नदी से संबंधित विभिन्न पहलुओं, जैसे कि - जल विज्ञान, जल मार्ग, पर्यावरण, आपदा, बाढ़ प्रबंधन और जल विद्युत उत्पादन आदि विषयों पर अनुसंधान का अवसर मुहैया कराएगा।
- इस केंद्र की स्थापना की पूरी ज़िम्मेदारी पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की होगी।