इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


भूगोल

ज्वालामुखियों पर पूर्व-विस्फोट चेतावनी संकेत

  • 21 Apr 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ज्वालामुखी, व्हाकारी ज्वालामुखी, रुआपेहू ज्वालामुखी, विस्थापन भूकंपीय आयाम अनुपात, भूकंपीय तरंगें।

मेन्स के लिये:

ज्वालामुखी।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नए शोध में न्यूजीलैंड के व्हाकारी व्हाइट आइलैंड ज्वालामुखी और अन्य सक्रिय ज्वालामुखियों में पूर्व-विस्फोट चेतावनी संकेतों का पता लगाया गया।

नया शोध किस बारे में है?

  • प्रत्येक ज्वालामुखी की प्रकृति आलग होती है: कुछ में क्रेटर झीलें होती हैं तो कुछ में क्रेटर "शुष्क" होते हैंज्वालामुखी के मैग्मा में विभिन्नता के कारण उनकी ऊँचाई में भी भिन्नता होती है
  • इन अंतरों के बावजूद न्यूजीलैंड में व्हाकारी (Whakaari), रुआपेहू (Ruapehu) और टोंगारियो (Tongariro) जैसे ज्वालामुखियों में उनके क्रेटर के नीचे स्थित उथली उपसतह में सामान्य प्रक्रियाओं द्वारा विस्फोट हो सकता है।
  • नए शोध में, न्यूजीलैंड के ज्वालामुखियों और दुनिया भर के तीन अन्य ज्वालामुखियों से 40 वर्षों के भूकंपीय डेटा का अध्ययन करने के लिये मशीन लर्निंग का उपयोग किया गया है।
  • शोधकर्त्ताओं ने पिछले एक दशक में सभी ज्ञात व्हाकारी आइलैंड ज्वालामुखी, रूपेहु और टोंगारियो विस्फोटों में विशेषतः एक पैटर्न देखा।
  • यह पैटर्न एक धीमी मात्रा का सुदृढ़ीकरण (slow strengthening) है जिसे विस्थापन भूकंपीय आयाम अनुपात {Displacement Seismic Amplitude Ratio (DSAR)} कहते  है, जो प्रत्येक घटना से कुछ दिन पहले चरम पर होता है।
    • DSAR एक अनुपात है जो ज्वालामुखी की सतह पर उन कई सौ मीटर गहराईयों तक तरल पदार्थ (गैस, गर्म पानी, भाप) की "गतिविधियों" की तुलना करता है। जब DSAR बढ़ता है, सतही तरल पदार्थ शांत होते हैं, लेकिन यह अभी भी सक्रिय रूप से आगे बढ़ रहे हैं और जमीन के नीचे सख्ती से घूम रहे हैं।
    • भूकंपीय तरंगें भूकंप या विस्फोट के कारण उत्पन्न होने वाली वे ऊर्जा तरंगें हैं जो पृथ्वी के माध्यम से यात्रा करती हैं और सीस्मोग्राफ पर प्रदर्शित होती हैं।
  • इस प्रकार का विश्लेषण इतना नया है कि शोधकर्त्ताओं के पास यह परीक्षण करने के लिये कोई अवसर नहीं मिला है जिससे कि DSAR और अन्य स्वचालित उपाय पूर्वानुमान के लिये कितने विश्वसनीय हैं।

 व्हाकारी और रुआपेहू

Mazor-Volcanoes

  •  व्हाकारी (Whakaari)
    • व्हाकारी/व्हाइट आइलैंड, केप रनवे से 43 मील दूरी पर पश्चिम में बे ऑफ प्लेंटी के समीप न्यूजीलैंड का एक सक्रिय ज्वालामुखी है। 
    • यह ताउपो-रोटोरुआ ज्वालामुखी क्षेत्र के उत्तरी छोर पर एक सबमरीन वेंट (Submarine Vent) का शीर्ष है। यह लगभग 1,000 एकड़ के कुल भूमि क्षेत्र में विस्तृत  माउंट गिस्बोर्न में 1,053 फीट तक बढ़ जाता है। अधिकांश द्वीप पर स्क्रब वनस्पति मिलना सामान्य है।
    • इस द्वीप को वर्ष 1769 में कैप्टन जेम्स कुक ने खोजा एवं इसका नामकरण किया था। इसमें कई हॉट स्प्रिंग्स, गीजर और फ्यूमरोल हैं; इसमें अंतिम विस्फोट दिसंबर, 2019 में हुआ था।
  • रुआपेहू (Ruapehu): 
    • न्यूजीलैंड के मध्य उत्तरी द्वीप में माउंट रुआपेहू, 2800 मीटर ऊँची स्ट्रैटो ज्वालामुखी है।
    • यह एक हाइड्रोथर्मल सिस्टम और एक गर्म क्रेटर झील द्वारा प्रच्छादित है।
    • ज्वालामुखी स्थायी हिम रेखा के नीचे वनाच्छादित है। रेखा के ऊपर, हिमनद शिखर से बहते हैं। क्रेटर के समीप झील है से वांगाहु नदी निकलती है।
    • इसकी झील का तापमान और स्तर चक्रों में भिन्न होने के लिये तथा इसके आधार में जारी गैस में परिवर्तन, स्थानीय मौसम या गैस के सामयिक गठन का गठन, के लिये जाना जाता है।
    • झील इतनी बड़ी है कि यह सतह की गतिविधियों को नियंत्रित करती है जो व्हाकारी जैसे ज्वालामुखियों के निदान के लिये उपयोगी है।

ज्वालामुखी:

  • ज्वालामुखी पृथ्वी की सतह में एक उद्घाटन या टूटन है जो मैग्मा के रूप में गर्म तरल और अर्द्ध-तरल चट्टानों, ज्वालामुखीय राख तथा गैसों के रूप में बाहर निकलता है।
  • शेष सामग्री ज्वालामुखी विस्फोट का कारण बनती है। इनसे तीव्र विस्फोट हो सकता है जिससे  अत्यधिक मात्रा में पदार्थों का निष्कासन होता  है।

Parts-of-a-Volcano

  • पृथ्वी पर विस्फोटित सामग्री तरल चट्टान ("लावा" जब यह सतह पर हो, "मैग्मा" जब यह भूमिगत हो), राख और/या गैस हो सकती है।
  • मैग्मा की अधिक मात्रा में बाहर आने और पृथ्वी की सतह पर विस्फोट होने के तीन कारण हो सकते हैं
    • मैग्मा तब बाहर आ सकता  है जब पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेट अभिसारी गति करते हैं। मैग्मा खाली स्थान को भरने के लिये ऊपर उठता है। जब ऐसा होता है तो जल के भीतर भी ज्वालामुखी निर्माण की प्रक्रिया हो सकती है।
    • जब ये टेक्टोनिक प्लेट एक-दूसरे की ओर बढ़ती हैं तो मैग्मा भी ऊपर उठता है। जब ऐसा होता है, तो प्लेट के हिस्से को इसके आंतरिक भाग में गहराई में चली जाती हैं। उच्च ताप और दबाव के कारण पर्पटी पिघल जाती है और मैग्मा के रूप में ऊपर उठ जाती है।
    • मैग्मा  अंतिम अंत में हॉट स्पॉट से बाहर निकलता  है। हॉट स्पॉट पृथ्वी के अंदर के गर्म क्षेत्र होते हैं। ये क्षेत्र मैग्मा को गर्म करते हैं। मैग्मा का घनत्व कम हो जाता है जिससे यह ऊपर की ओर गति करता है। मैग्मा के बाहर आने के कारण ज्वालामुखी निर्माण की प्रक्रिया संपन्न हो सकती है।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)

निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. बैरेन द्वीप ज्वालामुखी भारतीय क्षेत्र में स्थित एक सक्रिय ज्वालामुखी है।
  2. बैरेन द्वीप ग्रेट निकोबार से लगभग 140 किमी पूर्व में स्थित है।
  3. पिछली बार वर्ष 1991 में बैरेन द्वीप ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ था और तब से यह निष्क्रिय है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1  
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 3  
(d) केवल 1 और 3 

उत्तर: (a) 

  • बैरेन द्वीप भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी है जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित है। अत: कथन 1 सही है।
  • यह अंडमान सागर में अंडमान द्वीप के दक्षिणी भाग पोर्ट ब्लेयर से लगभग 140 किमी. की दूरी पर स्थित है। बैरेन द्वीप से ग्रेट निकोबार के बीच की दूरी दी गई दूरी से अधिक है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • ज्वालामुखी का पहला रिकॉर्डेड विस्फोट वर्ष 1787 में हुआ था। पिछले 100 वर्षों मेंइसमें  कम से कम पांच बार विस्फोट हो चुका है। फिर अगले 100 वर्षों तक यह शांत रहा। वर्ष 1991 में बड़े पैमाने पर फिर से इसमें विस्फोट हुआ  तथा तब से हर दो-तीन वर्षों में इसमें विस्फोट दर्ज किया गया है इस शृंखला में नवीनतम फरवरी 2016 में हुआ था। अत: कथन 3 सही है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2