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लाइटहाउस में पर्यटन की संभावना: सागरमाला परियोजना

  • 13 Apr 2021
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, सार्वजनिक-निजी-भागीदारी (PPP) के माध्यम से 65 लाइटहाउस विकसित करने पर विचार कर रहा है। ओडिशा के पाँच लाइटहाउस पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण हो सकते हैं। 

  • मंत्रालय, सागरमाला परियोजना के तहत लाइटहाउस को पर्यटन के हब के रूप में विकसित करना चाहता है।

प्रमुख बिंदु

ओडिशा के पाँच लाइटहाउस

  • ‘फाॅल्स पॉइंट’ आइलैंड लाइटहाउस: यह लाइटहाउस केंद्रपाड़ा तट के करीब स्थित है। ब्रिटिश काल का यह लाइटहाउस मगरमच्छों की उपस्थिति के साथ-साथ विशाल मैंग्रोव वनस्पति के करीब स्थित है, जो इसे पूर्वी तट पर एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनाता है।  
  • पारादीप लाइटहाउस: बंदरगाह शहर और कटक तथा भुवनेश्वर जैसे शहरों की निकटता (100 किमी) के कारण पारादीप लाइटहाउस में पर्यटन की क्षमता मौजूद है। यह 1980 के दशक में कमीशन किया गया था।
  • गोपालपुर लाइटहाउस: यह गंजम ज़िले में स्थित है। यदि इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाता है, तो इससे चिल्का झील और गोपालपुर तट को भी काफी सहायता मिलेगी।
  • चंद्रभागा लाइटहाउस: यह लाइटहाउस विश्व प्रसिद्ध कोणार्क मंदिर से 10 किलोमीटर दूरी पर अवस्थित है। इसने सुपर साइक्लोन (1999), फीलिन (2013) और फानी (2019) जैसे चक्रवातों की गंभीरता को कम करने में काफी सहायता की है।
  • पुरी लाइटहाउस: यह 12वीं शताब्दी के श्री जगन्नाथ मंदिर से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो स्वयं में एक महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल है।

भारत में लाइटहाउस पर्यटन की संभावना

  • लाइटहाउस की संख्या: भारत के विशाल समुद्र तट के करीब लगभग 189 लाइटहाउस हैं, जो कि अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और बंगाल की खाड़ी से लेकर लक्षद्वीप सहित अरब सागर में स्थित हैं।
  • लाइटहाउस आधारित पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य:
    • मौजूदा लाइटहाउस और इसके आसपास के क्षेत्रों को पर्यटन गंतव्य, समुद्री लैंडमार्क और ऐतिहासिक विरासत के रूप में विकसित करना।
    • राष्ट्रीय समुद्री संग्रहालय और राष्ट्रीय लाइटहाउस संग्रहालय जैसी संबद्ध समुद्री संरचना विकसित करना।
    • परियोजना को व्यवहार्य बनाने के लिये विभिन्न हस्तक्षेपों को एकीकृत करके सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) जैसे विभिन्न माध्यमों के तहत इन परियोजनाओं को विकसित करने की संभावनाओं का पता लगाना।
  • लाभ
    • लाइटहाउस को एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने से वैश्विक और स्थानीय रूप से पर्यटकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी, जिससे सरकार के लिये राजस्व का एक स्रोत विकसित हो सकेगा, साथ ही इससे स्थानीय लोगों के लिये रोज़गार के अवसर सृजित करने और स्थानीय स्तर पर वाणिज्य में बढ़ोतरी करने में भी सहायता मिलेगी।

सागरमाला परियोजना

  • सागरमाला परियोजना को वर्ष 2015 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था, और इसका उद्देश्य आधुनिकीकरण, मशीनीकरण और कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से 7,516 किलोमीटर लंबे समुद्र तट पर मौजूद बंदरगाहों पर अवसंरचना का विकास करना है।
  • सागरमाला कार्यक्रम का लक्ष्य न्यूनतम अवसंरचना लागत के साथ ‘EXIM’ (आयात-निर्यात) और घरेलू व्यापार के लिये लॉजिस्टिक लागत को कम करना है।
  • सागरमाला परियोजना वर्ष 2025 तक भारत के व्यापारिक निर्यात को 110 बिलियन डॉलर तक बढ़ा सकती है और अनुमानित 10 मिलियन नए रोज़गार (प्रत्यक्ष तौर पर चार मिलियन) सृजित करने में मदद कर सकती है।

Sagaramala-project

सागरमाला परियोजना के प्रमुख घटक
  • बंदरगाहों का आधुनिकीकरण और विकास: मौजूदा बंदरगाहों का क्षमता निर्माण करना और नए बंदरगाहों का विकास करना।
  • बंदरगाहों की कनेक्टिविटी बढाना: घरेलू राजमार्गों सहित मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक समाधानों के माध्यम से कार्गो की आवाजाही की लागत और समय को अनुकूलित करने के लिये बंदरगाहों की कनेक्टिविटी बढ़ाना।
  • बंदरगाह संबद्ध औद्योगीकरण: EXIM और घरेलू कार्गो की लॉजिस्टिक लागत तथा समय को कम करने के लिये बंदरगाह-समीपस्थ औद्योगिक क्लस्टर और तटीय आर्थिक क्षेत्र विकसित करना।
  • तटीय सामुदायिक विकास: कौशल विकास और आजीविका निर्माण गतिविधियों, मत्स्य विकास, तटीय पर्यटन आदि के माध्यम से तटीय समुदायों के सतत् विकास को बढ़ावा देना।
  • तटीय नौवहन और अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन: सतत् और पर्यावरण के अनुकूल तटीय तथा अंतर्देशीय जलमार्ग के माध्यम से कार्गो को स्थानांतरित करने के लिये प्रोत्साहन।

सार्वजनिक-निजी-भागीदारी (PPP)

  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी में प्रायः एक सरकारी एजेंसी और एक निजी क्षेत्र की कंपनी के बीच सहयोग शामिल होता है, जिसका उपयोग सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क, पार्क और कन्वेंशन सेंटर जैसे परियोजनाओं के वित्त, निर्माण और संचालन के लिये किया जा सकता है।
  • सार्वजनिक-निजी-भागीदारी (PPP) के माध्यम से किसी परियोजना को वित्तपोषित करने से उसके जल्द पूरा होने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है।
  • सार्वजनिक-निजी-भागीदारी में प्रायः कर या अन्य परिचालन राजस्व रियायतें, देयता से सुरक्षा या सार्वजनिक सेवाओं और संपत्ति में निजी क्षेत्र के आंशिक स्वामित्त्व जैसे अधिकार शामिल होते हैं। 
  • यह प्रधान-अभिकर्त्ता (Principal-Agent) से संबंधित जटिल समस्या उत्पन्न कर सकता है, जैसे भ्रष्ट व्यवहार आदि।
  • सार्वजनिक-निजी-भागीदारी के तहत अपनाए जाने वाले मॉडल में बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT), बिल्ड-ओन-ऑपरेट (BOO), बिल्ड-ऑपरेट-लीज़-ट्रांसफर (BOLT), डिजाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ऑपरेट-ट्रांसफर (DBFOT), लीज-डेवलप-ऑपरेट (LDO) और ऑपरेट-मेंटेन-ट्रांसफर (OMT) आदि शामिल हैं। 

स्रोत: द हिंदू

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