प्रौद्योगिकी
गैर-पारंपरिक हाइड्रोकार्बन की खोज और दोहन के लिये नीति-रूपरेखा
- 02 Aug 2018
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चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने शेल ऑयल/गैस, कोल बेड मीथेन इत्यादि जैसे गैर-पारंपरिक हाइड्रोकार्बन की खोज और दोहन के लिये नीति-रूपरेखा को मंज़ूरी दे दी है। यह बदलाव निजी कंपनियों को उनके मौजूदा ब्लॉक से शेल गैस और कोल बेड मीथेन (सीबीएम) सहित गैर-पारंपरिक हाइड्रोकार्बन का उपयोग करने की अनुमति देगा।
लाभ :
- इस नीति से वर्तमान संविदा क्षेत्रों में उन संभावित हाइड्रोकार्बन भंडारों के उपयोग की क्षमता बढ़ेगी, जो कि अब तक नहीं खोजे गये थे और जिनका दोहन नहीं हुआ था।
- इस नीति के कार्यान्वयन से हाइड्रोकार्बन के नए भंडारों के संबंध में अन्वेषण और उत्पादन गतिविधियों निवेश में वृद्धि कर घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी की आशा की जा सकती है।
- अतिरिक्त हाइड्रोकार्बन संसाधनों की खोज और दोहन से नए निवेश में तेज़ी आने, आर्थिक गतिविधियों में इज़ाफा होने तथा अतिरिक्त रोजगार सृजन की आशा है, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों को लाभ होगा।
- इससे नई, अभिनव और उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी तक पहुँच की संभावना बढ़ेगी तथा गैर-पारंपारिक हाइड्रोकार्बन के दोहन के लिये नए प्रौद्योगिकी सहयोग का रास्ता खुलेगा।
पृष्ठभूमि :
- वर्तमान उत्पादन साझेदारी संविदाओं (पीएससी) के संविदा नियमों के अनुसार ठेकेदारों को पहले से लाइसेंस और पट्टे पर आवंटित क्षेत्रों में कोल बेड मीथेन (सीबीएम) या गैर-पारंपरिक हाइड्रोकार्बन की खोज और दोहन की अनुमति नहीं है।
- इसी तरह सीबीएम को छोड़कर संबंधित ठेकेदारों को अन्य हाइड्रोकार्बन की खोज और दोहन की अनुमति नहीं है।
- वर्तमान में पीएससी और सीबीएम ब्लॉक तथा राष्ट्रीय तेल कंपनियों (एनओसी) में नामांकन व्यवस्था के तहत विभिन्न ठेकेदारों के अधीन मौजूदा रकबा भारत के तलछट संबंधी बेसिन में एक बड़ा हिस्सा है।
- आरंभिक अध्ययन में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों ने आकलन किया है कि पाँच भारतीय तलछट बेसिनों में 100-200 टीसीएफ के दायरे में संभावित शेल गैस संसाधन मौजूद हैं। कैम्बे, कृष्णा-गोदावरी, कावेरी इत्यादि जैसे बेसिनों में शेल ऑयल/गैस होने की प्रबल संभावना है, जहाँ जैविक संपदा से पूर्ण शेल मौजूद है।
- इस नीति को मंज़ूरी दिये जाने के बाद ‘एकल हाइड्रोकार्बन संसाधन प्रकार’ के स्थान पर ‘समान लाइसेंसिंग नीति’ लागू हो जाएगी, जो इस समय हाइड्रोकार्बन अन्वेषण एवं लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी) तथा अन्वेषित लघु क्षेत्र (डीएसएफ) नीति में लागू है।
- सीबीएम संविदा मामले में पेट्रोलियम लाभ/उत्पादन स्तरीय भुगतान की अतिरिक्त 10 प्रतिशत दर तथा इसके विषय में मौजूदा दर से अधिक को सरकार के साथ नई खोजों के संबंध में साझा करना होगा।
- नामित ब्लॉकों के लिये अन्वेषण/पट्टा लाइसेंस की मौजूदा वित्तीय और संविदा शर्तों के तहत गैर-पारंपारिक हाइड्रोकार्बन की खोज एवं दोहन की अनुमति के लिये अनापत्ति प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।