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सामाजिक न्याय

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण

  • 05 Jun 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के प्रमुख तथ्य 

मेन्स के लिये

बेरोज़गारी के संबंध में सरकार द्वारा किये गए प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labor Force Survey- PLFS) के अनुसार, वर्ष 2018-19 में भारत की बेरोज़गारी दर में कमी आई है, जहाँ एक ओर वर्ष 2017-18 में यह 6.1 प्रतिशत थी, वहीं वर्ष 2018-19 में यह घटकर 5.8 प्रतिशत हो गई।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

  • सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme ImplementationMoSPI) द्वारा जारी PLFS 2018-19 के अनुसार, इस अवधि के दौरान श्रम बल भागीदारी दर (Labour Force Participation Rate) में 37.5 प्रतिशत के साथ मामूली सुधार हुआ है, जो कि 2017-18 में 36.9 प्रतिशत था।
    • विदित हो कि श्रम बल को उन लोगों के रूप में परिभाषित किया जाता है जो या तो कार्य कर रहे हैं या काम की तलाश कर रहे हैं अथवा काम के लिये उपलब्ध हैं। 
    • इस प्रकार श्रम बल भागीदारी दर देश की कुल आबादी में श्रम बल का प्रतिशत है।
    • वहीं बेरोज़गारी दर का अभिप्राय श्रम बल के भीतर कार्य न पाने वाले लोगों के प्रतिशत से होता है।
  • ग्रामीण क्षेत्र में पुरुषों में बेरोज़गारी दर 5.6 प्रतिशत थी एवं महिलाओं में 3.5 प्रतिशत, जबकि नगरीय क्षेत्र में यह दर पुरुषों में 7.1 प्रतिशत एवं महिलाओं के बीच 9.9 प्रतिशत थी।
  • रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्र में एक कामगार ने औसतन करीब 45 घंटे कार्य किया, जबकि नगरीय क्षेत्रों में एक सप्ताह में एक विशिष्ट अवधि के दौरान एक कामगार ने औसतन 50 घंटे कार्य किया।
  • बीते वर्ष आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) की रिपोर्ट से पता चला था कि देश में बेरोज़गारी दर बीते 45 वर्षों के सबसे उच्चे स्तर पर पहुँच गई थी।
  • वर्ष 2018-19 के दौरान लगभग 51.7 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों की आय का प्रमुख स्रोत स्वनियोजन (Self Employment) था। वहीं 25.1 ग्रामीण परिवारों की आय का मुख्य स्रोत आकस्मिक मज़दूरी (Casual Wages) थी और लगभग 13.1 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों की आय का मुख्य स्रोत नियमित मज़दूरी थी।
  • वर्ष 2018-19 के दौरान करीब 31.8 प्रतिशत नगरीय परिवारों की आय का मुख्य स्रोत स्वनियोजन था। वहीं 11.0 प्रतिशत नगरीय परिवारों की आय का मुख्य स्रोत आकस्मिक मज़दूरी (Casual Wages) थी और 42.8 प्रतिशत नगरीय परिवारों की आय का मुख्य स्रोत नियमित मज़दूरी थी।
  • भारत में 68.4 प्रतिशत कामगार गैर-कृषि क्षेत्र में अनौपचारिक रूप से कार्य कर रहे थे।
  • प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के बीच बेरोज़गारी दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 
  • 15-29 आयु वर्ग के युवाओं और शिक्षित व्यक्तियों में बेरोज़गारी की दर क्रमशः 17.3 प्रतिशत और 11 प्रतिशत रही।
  • बेरोज़गारी के कारण शहरी युवा सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। आँकड़ों के अनुसार 2018-19 के दौरान नगरीय पुरुषों में बरोज़गारी दर 18.7 प्रतिशत एवं नगरीय महिलाओं में 25.7 प्रतिशत थी।

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण 

(Periodic Labor Force Survey- PLFS)

  • यह रिपोर्ट राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (National Sample Survey Organisation- NSSO) द्वारा जारी की जाती है।
  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (Periodic Labor Force Survey-PLFS) को मुख्य रूप से देश में रोज़गार तथा बेरोज़गारी की स्थिति को मापने के उद्देश्यों से डिज़ाइन किया गया है।

रोज़गार और बेरोज़गारी संबंधी प्रमुख संकेतक

  • श्रम बल भागीदारी दर (LFPR): श्रम बल भागीदारी दर देश की कुल आबादी में श्रम बल का प्रतिशत है। श्रम बल को का अर्थ उन लोगों से है जो या तो कार्य कर रहे हैं या काम की तलाश कर रहे हैं अथवा काम के लिये उपलब्ध हैं। 
  • कामगार जनसंख्या अनुपात (WPR): WPR को कुल जनसंख्या में नियोजित व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है।
  • बेरोज़गारी दर (UR): बेरोज़गारी दर की गणना श्रम बल से बेरोज़गारों की संख्या को विभाजित करके की जाती है।  

स्रोत: द हिंदू

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