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भारतीय विरासत और संस्कृति

पट्टामादई रेशमी चटाई

  • 07 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

इलेक्ट्रॉनिक पावरलूम के उपयोग के माध्यम से पारंपरिक पट्टामादई रेशमी चटाई (Pathamadai silk mat) के निर्माण में प्रौद्योगिकी का समावेश बुनकर समुदाय के लिये उच्च उत्पादन और आय सुनिश्चित कर रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • हस्तनिर्मित पट्टामादई रेशमी चटाई को पट्टू पई (Pattu paai) भी कहा जाता है।
  • पट्टामादई रेशमी चटाई बुनाई की पारंपरिक कला तमिलनाडु के तिरुनेलवेली ज़िले से संबंधित है।
  • पट्टामादई चटाई कोराई घास ( Korai Grass) से बनाई जाती है।
  • पट्टामादई चटाई को भौगोलिक संकेत (Geographical indication- GI) का दर्जा प्राप्त है।
  • ये चटाईयाँ विशेष रूप से शादी समारोहों के लिये बनाई जाती हैं और इसमें दुल्हन एवं दूल्हे के नाम के साथ-साथ शादी की तारीख भी होती है।

Pathamadai silk mat

चिंताएँ:

  • पट्टामादई चटाई के निर्माण के अप्रचलित तरीकों को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मांग तथा आपूर्ति के असंतुलन के चलते कड़ी प्रतिस्पर्ध्दा का सामना करना पड़ रहा है। इस असंतुलन के कारण सिंथेटिक रंजक का अधिक प्रयोग हो रहा है जिससे बुनकरों का लाभ कम हो गया है।
  • प्लास्टिक चटाई की कम लागत और मशीनीकरण के परिणामस्वरूप रेशमी चटाई उद्योग में गिरावट आई है।

वस्त्र उत्पादन में प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिये पहल / योजनाएँ:

  • ‘साथी’ पहल (Sustainable and Accelerated Adoption of efficient Textile technologies to Help Small Industries Initiative-SAATHI): इस पहल के तहत ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड ( Energy Efficiency Services Limited- EESL) थोक में ऊर्जा कुशल पावरलूम, मोटर्स और रैपियर किट ( Rapier Kits) का अधिग्रहण करेगी तथा उन्हें छोटे और मध्यम पावरलूम इकाइयों को प्रदान करेगी।
  • पॉवर टेक्स इंडिया (Power Tex India): यह पावरलूम क्षेत्र के विकास के लिये एक व्यापक योजना है।
  • मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (Merchandise Exports from India Scheme- MEIS): इसका उद्देश्य विभिन्न पारंपरिक और उभरते बाज़ारों में भारत से कपड़ा निर्यात की वृद्धि को प्रोत्साहित करना है। वस्त्रोद्योग क्षेत्रक MEIS के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक है।
  • वस्त्रोद्योग के लिये संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (Amended Technology Upgradation Fund Scheme for textiles industry- ATUFS): यह उद्यमियों और व्यवसाय के मालिकों को प्रौद्योगिकियों के उन्नयन हेतु प्रोत्साहन प्रदान करती है।
  • एकीकृत कौशल विकास योजना (Integrated Skill Development Scheme- ISDS) : वर्तमान में कपड़ा बुनकरों और श्रमिकों को नवीनतम तकनीक के उपयोग जानकारी कम होने का कारण उनको औपचारिक प्रशिक्षण न मिल पाना है जिससे बेहतर नौकरी और उच्च मज़दूरी प्राप्त करने के अवसर कम हो जाते हैं। इस योजना के माध्यम से 1.5 मिलियन लोगोंं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
  • स्कीम फॉर इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क ( Scheme for Integrated Textile Park-SITP): इस योजना के तहत सरकार बुनियादी सुविधाओं और इमारतों ( डिज़ाइन और प्रशिक्षण केंद्र, गोदाम, कारखानों और संयंत्र) के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।

स्रोत: द हिंदू बिजनेस लाइन

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