वैक्सीन के लिये पेटेंट में छूट की योजना | 08 Feb 2022
प्रिलिम्स के लिये:विश्व व्यापार संगठन (WTO), बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार से संबंधित पहलू (TRIPS), दोहा घोषणा। मेन्स के लिये:पेटेंट छूट, कोविड-19, बौद्धिक संपदा अधिकार। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्विट्ज़रलैंड स्थित न्यूज़लेटर पोर्टल (Newsletter Portal) जिनेवा हेल्थ फाइल्स ने खुलासा किया कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) भारत तथा चीन में दवा निर्माताओं को बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधित पहलुओं (ट्रिप्स) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकार दायित्वों में संभावित छूट से बाहर करने पर विचार कर रहा है।
- वर्ष 2020 में भारत और दक्षिण अफ्रीका ने कोविड-19 की रोकथाम या उपचार के लिये ट्रिप्स समझौते के कुछ प्रावधानों के कार्यान्वयन और आवेदन से छूट का प्रस्ताव दिया था।
ट्रिप्स समझौता क्या है और भारतीय पेटेंट कानून के साथ इसका क्या संबंध है?
- ट्रिप्स समझौते पर वर्ष 1995 में विश्व व्यापार संगठन में चर्चा के दौरान इस बात पर ज़ोर दिया गया कि कि इसके सभी हस्ताक्षरकर्त्ता देशों को घरेलू कानून बनाने की आवश्यकता है।
- यह आईपी (IP) सुरक्षा के न्यूनतम मानकों की गारंटी देता है।
- इस तरह की कानूनी स्थिरता नवोन्मेषकों को कई देशों में अपनी बौद्धिक संपदा का मुद्रीकरण करने में सक्षम बनाती है।
- वर्ष 2001 में विश्व व्यापार संगठन ने दोहा घोषणा पर हस्ताक्षर किये जिसमें स्पष्ट किया गया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल में सरकारें कंपनियों व निर्माताओं को अपने पेटेंट लाइसेंस देने के लिये मज़बूर कर सकती हैं।
- यह प्रावधान, जिसे आमतौर पर "अनिवार्य लाइसेंसिंग" कहा जाता है, पहले से ही ट्रिप्स समझौते में शामिल था और दोहा घोषणा में केवल इसके उपयोग को स्पष्ट किया गया था।
- वर्ष 1970 के भारतीय पेटेंट अधिनियम की धारा 92 के तहत केंद्र सरकार के पास राष्ट्रीय आपातकाल या अत्यावश्यक परिस्थितियों में किसी भी समय अनिवार्य लाइसेंस जारी करने की शक्ति है।
अनिवार्य लाइसेंसिंग को लागू करने की आवश्यकता:
- वैक्सीन की कमी को दूर करना: धनी देशों में लगभग 80% वैक्सीन की आपूर्ति की जा चुकी है।
- जबकि भारत को आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये अपने उत्पादन के पूरक की आवश्यकता है ताकि 900 मिलियन से अधिक की आबादी जो 18 वर्ष से अधिक आयु की है, को जल्द-से-जल्द लगभग 1.8 बिलियन खुराक मिल सके।
- इस प्रकार अनिवार्य लाइसेंसिंग का उपयोग दवाओं और अन्य चिकित्सीय आपूर्ति बढ़ाने के लिये किया जा सकता है।
- स्वैच्छिक लाइसेंसिंग से इनकार: अनिवार्य लाइसेंस हेतु एक स्वीकृत राशि पर कई दवा कंपनियों को स्वेच्छा से लाइसेंस देने का फायदा होगा।
- उदाहरण के लिये: Covaxin को व्यापक रूप से लाइसेंस देने से भारत 'दुनिया की फार्मेसी' होने की अपनी प्रतिष्ठा पर खरा उतरने में सक्षम होगा और विकसित देशों में अपनी वैक्सीन तकनीक को स्थानांतरित करने का दबाव भी डालेगा।
- इस प्रकार सरकार को राष्ट्रीय आपूर्ति को बढ़ावा देने हेतु वैक्सीन तकनीक को न केवल घरेलू दवा कंपनियों को हस्तांतरित करना चाहिये बल्कि इसे विदेशी निगमों को भी पेश करना चाहिये।
- अपने वैक्सीन तकनीकी ज्ञान को दुनिया के सामने लाकर भारत ट्रिप्स छूट (TRIPS waiver) पर बात करने में सक्षम होगा।
- अनुकूल नियामक वातावरण: भारत को टीकों की आपूर्ति हेतु प्रतिबद्धता के साथ देश के नियामक और संस्थागत वातावरण में विश्वास पैदा करने की आवश्यकता है जिसे सरकार को भरोसेमंद प्रतिबद्धताओं के माध्यम से स्थापित करने का प्रयास करना चाहिये।
- इस तरह का विश्वास टीके की मंज़ूरी के लिये त्वरित प्रक्रिया के साथ भारत को अपनी आपूर्ति की कमी को जल्दी से दूर करने में मदद कर सकता है।
‘TRIPS’ छूट से संबंधित मुद्दे:
- जटिल बौद्धिक संपदा तंत्र: टीके के विकास और निर्माण की प्रक्रिया में कई चरण होते हैं, और इसमें एक जटिल बौद्धिक संपदा तंत्र शामिल होता है।
- विभिन्न चरणों में विभिन्न प्रकार के आईपी अधिकार लागू होते हैं और ऐसा एक भी आईपी नहीं है जो वैक्सीन के निर्माण की प्रक्रिया को ज़ाहिर करता हो।
- इसके निर्माण की विशेषज्ञता को एक व्यापार रहस्य/ट्रेड सीक्रेट के रूप में संरक्षित किया जा सकता है और नैदानिक परीक्षणों के डेटा को वैक्सीन सुरक्षा एवं प्रभावकारिता का परीक्षण करने के लिये कॉपीराइट द्वारा संरक्षित किया जा सकता है।
- जटिल विनिर्माण तंत्र: विनिर्माताओं को वैक्सीन बनाने हेतु प्रक्रिया डिज़ाइन करने, आवश्यक कच्चा माल प्राप्त करने, निर्माण सुविधा और नियामक मंज़ूरी के लिये ‘नैदानिक परिक्षण’ की आवश्यकता होगी।
- निर्माण प्रक्रिया में ही अलग-अलग चरण होते हैं, जिनमें से कुछ को अन्य पक्षों को उप-अनुबंधित किया जा सकता है।
- इस प्रकार केवल एक पेटेंट छूट, निर्माताओं को तुरंत टीके का उत्पादन शुरू करने का अधिकार नहीं देती है।