आई.आई.एम. विधेयक से संबंधित महत्त्वपूर्ण आयाम | 20 Dec 2017
चर्चा में क्यों?
संसद द्वारा सर्वसम्मति से भारतीय प्रबंधन संस्थानों (Indian Institutes of Management) को स्नातकोत्तर डिप्लोमा के बजाय डिग्री देने की शक्ति देने हेतु एक विधेयक पारित किया गया। यह विधेयक छात्रों को आई.आई.एम. से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने की भी अनुमति प्रदान करता है।
- यह विधेयक लोकसभा द्वारा पहले ही पारित किया जा चुका था अब इसे राज्यसभा द्वारा भी पारित कर दिया गया है ।
डॉक्टरेट डिग्री
- इससे पहले, आई.आई.एम. की फेलोशिप को पीएच.डी. के रूप में मान्य नहीं माना जाता था, जिसके कारण छात्रों को डॉक्टरेट की डिग्री अर्जित करने के लिये डिप्लोमा पूरा करके विदेश जाना पड़ता था।
- इस विधेयक के पारित होने से ऐसी आशा व्यक्त की जा रही है कि अब इन सभी प्रतिष्ठित संस्थानों में अधिक से अधिक छात्र शोध के लिये आगे आएंगे।
- यह नई पहल विदेशी छात्रों को भी भारत में आने के लिये प्रोत्साहित करेगी।
राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों का दर्ज़ा
- इस विधेयक में 20 आई.आई.एम. को राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थानों का दर्ज़ा दिया गया है।
- इसका लाभ यह होगा कि इन संस्थानों में सरकार की भूमिका को सीमित करते हुए इन्हें और अधिक कार्यात्मक स्वायत्तता प्रदान की जाएगी।
- इन संस्थानों को और अधिक कार्यसक्षम बनाने के साथ वैश्विक संस्थानों के अनुरूप कार्यशील एवं प्रतिस्पर्धी बनना है।
नियुक्ति संबंधी प्रावधान
- अभी तक आई.आई.एम. के अध्यक्षों और उनके बोर्डों के निर्देशकों की नियुक्ति में केंद्र की एक प्रमुख भूमिका थी।
- साथ ही इन निदेशकों के वेतन का निर्धारण भी केंद्र के द्वारा ही किया जाता था।
- आई.आई.एम. विधेयक, 2017 के अनुसार, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा प्रत्येक आई.आई.एम. के निदेशक की नियुक्ति का कार्य किया जाएगा।
- एक खोज-सह-चयन-समिति (search-cum-selection-committee) द्वारा इन नामों की सिफारिश की जाएगी।
- साथ ही निदेशक, बोर्ड द्वारा निर्धारित परिवर्तनीय वेतन (variable pay) के लिये पात्र भी होंगे।