P-8I पेट्रोल विमान | 25 Feb 2022
प्रिलिम्स के लिये:P-8I पेट्रोल विमान, COMCASA समझौता। मेन्स के लिये:भारत-अमेरिका रक्षा संबंध। |
चर्चा में क्यों?
विमान निर्माता कंपनी बोइंग ने भारतीय नौसेना को 12वाँ P-8I लंबी दूरी का समुद्री गश्ती विमान (P-8I Long-range MaritimePatrol Aircraft) सौंपा है। वर्ष 2016 में चार अतिरिक्त विमानों की आपूर्ति के लिये रक्षा मंत्रालय द्वारा हस्ताक्षरित वैकल्पिक अनुबंध के तहत यह चौथा विमान है।
P-8I विमान:
- यह एक लंबी दूरी का समुद्री गश्ती एवं पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान है।
- यह P-8A पोसाइडन विमान का एक प्रकार है जिसे बोइंग कंपनी ने अमेरिकी नौसेना के पुराने P-3 बेड़े के प्रतिस्थापक के रूप में विकसित किया है।
- P-8I विमान 907 किमी. प्रति घंटे की अधिकतम गति और 1,200 समुद्री मील से अधिक की दूरी तक के ऑपरेटिंग रेंज के साथ खतरों का पता लगा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर भारतीय तटों के आसपास पहुँचने से पहले इन खतरों को अप्रभावी कर देता है।
- वर्ष 2009 में भारतीय नौसेना P-8I विमान के लिये पहली अंतर्राष्ट्रीय ग्राहक बनी।
- नौसेना ने वर्ष 2009 में 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सौदे के तहत आठ P-8I खरीदे थे। ये विमान तमिलनाडु के अरक्कोनम में स्थित 312A नेवल एयर स्क्वाड्रन का हिस्सा हैं।
- वर्ष 2016 में नौसेना ने 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के सौदे में चार और P-8I के लिये वैकल्पिक खंड का प्रयोग किया।
- इसके अलावा मई 2021 में अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत को छह अतिरिक्त P-8I विमानों और संबंधित उपकरणों की संभावित बिक्री की मंज़ूरी दी।
- एन्क्रिप्टेड संचार प्रणालियों के साथ छह P-8I तैनात किये जाएंगे, क्योंकि भारत ने अमेरिका के साथ संचार संगतता और सुरक्षा समझौते (COMCASA) के मूलभूत समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
भारत-अमेरिका रक्षा संबंध:
- यह प्रस्तावित बिक्री अमेरिका-भारत रणनीतिक संबंधों को मज़बूती प्रदान करने में मदद करता है।
- अमेरिका के लिये हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता, शांति एवं आर्थिक प्रगति की दिशा में भारत एक महत्वपूर्ण शक्ति बना हुआ है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका से रक्षा खरीद दोनों देशों के बीच बढ़ते संबंधों का एक अभिन्न अंग है।
- भारत-अमेरिका के बीच रक्षा व्यापार वर्ष 2008 में लगभग शून्य था जो वर्ष 2020 में लगभग 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है, इसने दोनों देशों के बीच प्रमुख नीति उन्नयन में मदद की।
- वर्ष 2016 में अमेरिका ने भारत को एक “मेजर डिफेंस पार्टनर” नामित किया था। वर्ष 2018 में अमेरिका ने सामरिक व्यापार प्राधिकरण-1 (STA-1) के तहत भारत को नाटो सहयोगी देश और ऑस्ट्रेलिया, जापान तथा दक्षिण कोरिया के समान रक्षा प्रौद्योगिकी तक पहुँच प्रदान की है।
संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA):
- संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA) अमेरिका और भारत के संचार सुरक्षा उपकरणों के हस्तांतरण के लिये एक कानूनी ढाँचा है जो उनकी सेनाओं के बीच " इंटरऑपरेबिलिटी या अंत:संचालन" की सुविधा और संभवतः डेटा लिंक सुरक्षा के लिये अन्य सेनाओं के साथ अमेरिका-आधारित तंत्र का उपयोग करेगा।
- यह उन चार मूलभूत समझौतों में से एक है जो अमेरिका के सहयोगी और करीबी पार्टनर देशों को उच्च क्षमता तकनीक एवं सेनाओं के बीच अंत:संचालन की सुविधा का संकेत देता है।
- यह संचार और सूचना पर सुरक्षा ज्ञापन समझौते (CISMOA) का एक भारत-विशिष्ट संस्करण है।
- मिलिट्री इन्फाॅर्मेशन एग्रीमेंट ऑफ जनरल सिक्योरिटी (GSOMIA)
- यह सेनाओं को उनके द्वारा इकट्ठी की गई खुफिया जानकारी साझा करने की अनुमति देता है।
- इस पर भारत ने वर्ष 2002 में हस्ताक्षर किये।
- वर्ष 2016 में भारत द्वारा लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) पर हस्ताक्षर किये गए।
- यह दोनों देशों को ईंधन भरने और पुनःपूर्ति हेतु एक-दूसरे की निर्दिष्ट सैन्य सुविधाओं तक पहुंँच की अनुमति देता है।
- संचार और सूचना सुरक्षा समझौता ज्ञापन (CISMOA): COMCASA समझौता, CISMOA का संचार और सूचना से संबंधित भारत-विशिष्ट संस्करण है। इस पर भारत ने वर्ष 2018 में हस्ताक्षर किये।
- बुनियादी विनिमय और सहयोग समझौता (BECA): BECA भारत और अमेरिकी सैनिकों को एक-दूसरे के साथ भू-स्थानिक जानकारी और उपग्रह डेटा साझा करने की अनुमति देगा। BECA पर भारत ने वर्ष 2020 में हस्ताक्षर किये।