ओज़ोन प्रदूषण में वृद्धि | 23 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र नामक गैर-सरकारी संस्था द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, देश की राजधानी दिल्ली के वातावरण में पिछले एक साल के दौरान ओज़ोन के प्रदूषक कणों की मात्रा में लगभग डेढ़ गुना वृद्धि हुई है।
ओज़ोन क्या है?
- ओज़ोन (Ozone-O3) ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली एक गैस है जो वायुमंडल में बेहद कम मात्रा में पाई जाती हैं। पृथ्वी की सतह से 30-32 किमी. की ऊँचाई पर इसकी सांद्रता अधिक होती है। यह हल्के नीले रंग की तीव्र गंध वाली विषैली गैस है।
- वायुमंडल में ओज़ोन का कुल प्रतिशत अन्य गैसों की तुलना में बहुत ही कम है। प्रत्येक दस लाख वायु अणुओं में दस से भी कम ओज़ोन अणु होते हैं।
- जर्मन वैज्ञानिक क्रिश्चियन फ्रेडरिक श्योनबाइन ने 1839 में ओज़ोन गैस की खोज की थी।
- इसका रंग हल्का नीला होता है और इससे तीव्र गंध आती है। इस तीखी विशेष गंध के कारण इसका नाम ग्रीक शब्द 'ओजिन' से बना है, जिसका अर्थ है सूंघना।
- यह अत्यधिक अस्थायी और प्रतिक्रियाशील गैस है। वायुमंडल में ओज़ोन की मात्रा प्राकृतिक रूप से बदलती रहती है। यह मौसम वायु-प्रवाह तथा अन्य कारकों पर निर्भर है।
अच्छी और बुरी ओज़ोन
ओज़ोन गैस पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल और सतही स्तर दोनों पर पाई जाती है। ओजोन अच्छी या बुरी दोनों प्रकार की हो सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह कहाँ पाई जाती है।
- ओज़ोन गैस समतापमंडल (Stratosphere) में अत्यंत पतली एवं पारदर्शी परत के रूप में पाई जाती है। यह वायुमंडल में मौज़ूद समस्त ओज़ोन का कुल 90 प्रतिशत है, इसे अच्छा ओज़ोन माना जाता है। यह एक सुरक्षा कवच के रूप में पाई जाती है जो सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करती है। इसलिये इसे अच्छी ओज़ोन भी कहते हैं।
- वायुमंडल के निम्नतम स्तर में पाई जाने वाली अर्थात् क्षोभमंडलीय ओज़ोन को ‘बुरी ओज़ोन’ (Bad Ozone) भी कहा जाता है।
- यह ओज़ोन मानव निर्मित कारकों जैसे आंतरिक दहन इंजनों, औद्योगिक उत्सर्जन और बिजली संयंत्रों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण का परिणाम है। यह एक खतरनाक वायु-प्रदूषक के रूप में कार्य करती है, इसलिये इसे बुरी ओज़ोन कहते हैं।
- रासायनिक रूप से समान होने पर भी दोनों स्थानों पर ओज़ोन की भूमिका अलग-अलग है।
- समतापमंडल में यह पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी विकिरण (Utra-violet Radiation) से बचाती है। वहीँ क्षोभमंडल में ओज़ोन हानिकारक संदूषक (Pollutants) के रूप में कार्य करती है और बहुत कम मात्रा में होने के बावजूद मानव के फेफड़ों, तंतुओं तथा पेड़-पौधों को नुकसान पहुँचा सकती है।
कैसे निर्मित होती है सतही ओज़ोन
- सतही ओज़ोन प्राथमिक प्रदूषक नहीं है बल्कि यह सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में NOx (नाइट्रोजन ऑक्साइड), CO (कार्बन मोनोऑक्साइड) की रासायनिक अभिक्रियाओं के कारण उत्पन्न होती है। जब तापमान में वृद्धि होती है, तो ओज़ोन के उत्पादन की दर भी बढ़ जाती है।
ओज़ोन प्रदूषण का प्रभाव
मानव स्वास्थ्य पर
- ओज़ोन के अंत:श्वसन पर सीने में दर्द, खाँसी और गले में दर्द सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- यह ब्रोन्काइटिस (Bronchitis), वातस्फीति (Emphysema) और अस्थमा की स्थिति को और बद्दतर सकता है।
- इससे फेफड़ों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है और ओज़ोन के बार-बार संपर्क में आने से फेफड़ों के ऊतक स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकते है।
पर्यावरण पर:
- जब किसी संवेदनशील पौधे की पत्तियों में ओज़ोन अत्यधिक मात्र में प्रवेश करती है तो यह उस पौधे में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को प्रभावित कर सकती है तथा पौधे की वृद्धि को मंद कर सकती है।
- ओजोन वनों, उद्यानों, वन्यजीवन इत्यादि सहित वनस्पति और पारिस्थितिक तंत्र को भी नुकसान पहुँचाती है।
ओज़ोन प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु किये प्रयास
भारत के प्रयास:
- राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक: इसके अंतर्गत ओज़ोन को आठ प्रमुख प्रदूषकों के रूप में चिह्नित किया गया है।
- वायु गुणवत्ता एवं मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (SAFAR): जून 2015 में दिल्ली और मुंबई के लिये इसकी शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत भी ओज़ोन की निगरानी एक प्रदूषक के रूप में की जाती है।
- ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान/ग्रेप (Graded Response Action Plan-GRAP) दिल्ली तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region- NCR) के लिये की शुरुआत की गई है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास
- गोथेनबर्ग प्रोटोकॉल (GothenBurg Protocol): इसका लक्ष्य अम्लीकरण (Acidification), सुपोषण (Eutrophication) और भू-स्तरीय ओज़ोन (Ground Level Ozone) को कम करना है और यह कन्वेंशन ऑन लॉन्ग-रेंज ट्रांस बाउंड्री एयर पॉल्यूशन का एक हिस्सा है।
निष्कर्ष:
- ओज़ोन मानव स्वास्थ्य के लिये कितनी ज़्यादा हानिकारक है। ओज़ोन प्रदूषण लगातार हमारे वायुमंडल में अपने पैर पसारता जा रहा है और हमारे पास अब तक ओज़ोन प्रदूषण और मृत्यु दर के बीच संबंध ज्ञात करने ली लिये कोई निश्चित पद्धति भी नहीं है। ओज़ोन प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये इस विषय पर अधिक-से-अधिक अनुसंधान और महत्त्वपूर्ण सुरक्षा उपाय अपनाने की आवश्यकता है।