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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ऑर्गनॉइड

  • 01 Nov 2019
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

ऑर्गनॉइड, स्टेम सेल

मेन्स के लिये:

ऑर्गनॉइड की उपयोगिता, नैतिक मुद्दे

चर्चा में क्यों?

21 अक्तूबर, 2019 को शिकागो में सोसाइटी फॉर न्यूरोसाइंस की 49वीं वार्षिक बैठक में कुछ तंत्रिका वैज्ञानिकों ने अपने साथी वैज्ञानिकों को चेतावनी दी कि वे लघु मस्तिष्क या ऑर्गनॉइड जैसे संवेदी अंगों के विकास के मामले में नैतिकता की सीमारेखा का उल्लंघन करने के खतरनाक रूप से नज़दीक हैं।

पृष्ठभूमि

  • पूर्व में वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में विकसित मस्तिष्क ऑर्गनॉइड को वयस्क जानवरों में प्रत्यारोपित किया है। इस प्रत्यारोपण के बाद ऑर्गनॉइड ने उनके मस्तिष्क के साथ एकरूपता स्थापित की और प्रकाश के प्रति प्रतिक्रिया भी प्रस्तुत की।
  • इसी प्रकार फेफड़े के ऑर्गनॉइड को चूहों में प्रत्यारोपित किया गया था, जिसने शाखित वायुमार्ग (Branching Airways) और प्रारंभिक वायुकोशीय संरचनाओं (Early Alveolar Structures) के निर्माण में सफलता हासिल की थी।
  • उल्लेखनीय है कि इसे मेज़बान जानवरों के संभावित मानवीकरण की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।

ऑर्गनॉइड क्या है?

  • ऑर्गनॉइड एक पूर्ण विकसित अंग की कोशिका व्यवस्था की नकल करने वाली प्रयोगशाला में विकसित त्रि-आयामी, लघु संरचना की कोशिकाओं का समूह होता है।
  • ये छोटे (आमतौर पर मटर के आकार के) अंग होते हैं, जो मानव अंगों के सभी कार्यात्मक परिपक्वता को प्राप्त करने में सक्षम नही होते हैं लेकिन सामान्यतया एक विकासशील ऊतक के शुरुआती अवस्थाओं से मिलते-जुलते हैं।
  • ध्यातव्य है कि अधिकांश ऑर्गनॉइड किसी वास्तविक अंग में देखी गई सभी कोशिकाओं का उपसमूह होता है लेकिन इनमें पूरी तरह कार्यात्मक बनाने वाली रक्त वाहिकाओं की कमी होती है।
  • मस्तिष्क ऑर्गनॉइड के मामले में देखा जाए तो वैज्ञानिक तंत्रिकाओं को विकसित करने में सक्षम रहे हैं, साथ ही उन्होंने मानव मस्तिष्क के सादृश्य सेरेब्रल कॉर्टेक्स (Cerebral Cortex) जैसे विशिष्ट मस्तिष्क के भाग का निर्माण किया है।
  • उल्लेखनीय है कि प्रयोगशाला में विकसित मस्तिष्क के सबसे बड़े ऑर्गनॉइड का आकार लगभग 4 मिमी. व्यास का है।

organoid

प्रयोगशाला में ऑर्गेनॉइड्स का विकास

स्टेम सेल की सहायता से प्रयोगशाला में ऑर्गनॉइड का विकास किया जा सकता है जो मानव शरीर के किसी भी विशिष्ट कोशिका के समान हो सकता है अथवा स्टेम सेल की तरह व्यवहार करने के लिये प्रेरित किसी अंग या वयस्क कोशिका से लिये गए स्टेम सेल को वैज्ञानिक रूप से प्रेरित प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल (induced Pluripotent Stem Cells-iPSC) कहा जाता है।

  1. स्टेम सेल पोषक तत्त्वों और अन्य विशिष्ट अणुओं के सहयोग से एक विशिष्ट अंग के सदृश कोशिकाएँ बन जाती हैं।
  2. विकसित हो रही कोशिकाएँ एक विशिष्ट अंग के कोशिकीय संरचनाओं में स्वयं को व्यवस्थित करने में सक्षम होने के साथ-साथ आंशिक रूप से परिपक्व अंगों के जटिल कार्यों जैसे- रोगग्रस्त अवस्था एवं शारीरिक क्रियाओं के लिये पुनर्निर्माण आदि को दोहरा सकती हैं।
  3. ध्यातव्य है कि मस्तिष्क, छोटी आँत, वृक्क, हृदय, पेट, यकृत, अग्न्याशय, लार ग्रंथि और आंतरिक कान कुछ ऐसे अंगों के नाम हैं जिनके ऑर्गनॉइड पूर्व में ही प्रयोगशाला में विकसित हो चुके हैं।

बीमारियों को समझने में ऑर्गनॉइड की भूमिका:

  1. ऑर्गनॉइड प्रोटीन और जीन का अध्ययन करने के लिये नए अवसर प्रदान करते हैं जो किसी अंग के विकास के लिये महत्वपूर्ण हैं। साथ ही इससे यह जानने में मदद मिलती है कि किसी विशिष्ट जीन में उत्परिवर्तन किसी बीमारी या विकार का कारण कैसे बनता है।
  2. उदाहरण के लिये शोधकर्ताओं ने मस्तिष्क के ऑर्गेनोइड का उपयोग यह अध्ययन करने के लिये किया कि जीका वायरस भ्रूण में मस्तिष्क के विकास को कैसे प्रभावित करता है।
  3. चूंकि ऑर्गनॉइड सूक्ष्मता से परिपक्व ऊतकों से मिलता-जुलता है, इसलिये यह नई संभावनाओं को खोलता है। इनमें तीन आयामों में कोशिकाओं की जटिल व्यवस्था का अध्ययन और उनके कार्य के बारे में विस्तार से यह समझना कि कोशिकाएं अंगों में कैसे एकत्रित होती हैं आदि शामिल हैं।
  4. नई दवाओं की सुरक्षा और प्रभावकारिता तथा मौजूदा दवाओं के ऊतकों की प्रतिक्रिया का भी परीक्षण के लिये भी ऑर्गनोइड्स का उपयोग किया जा सकता है।
  5. ऑर्गनॉइड यह अध्ययन करके कि किसी रोगी के लिये कौन-सी दवा सबसे संवेदनशील है, रोगी-विशिष्ट उपचार रणनीतियों को विकसित करके सटीक दवा को व्यावहारिक बनाने में मदद करेगा।

ऑर्गनॉइड की नैतिक चुनौतियाँ:

वैज्ञानिकों का तर्क है कि ऑर्गनोइड्स में संवेदी इनपुट नहीं होते हैं और मस्तिष्क से संवेदी संबंध सीमित होते हैं। मस्तिष्क के पृथक क्षेत्र अन्य मस्तिष्क क्षेत्रों के साथ संचार नहीं कर सकते हैं या मोटर सिग्नल उत्पन्न नहीं कर सकते हैं। इस प्रकार चेतना या अन्य उच्च-क्रम के बोधगम्य गुणों के उभरने की संभावना (जैसे- संकट महसूस करने की क्षमता) बहुत क्षीण लगती है।

स्रोत – the hindu

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