ओपन एकरेज लाइसेंसिंग प्रोग्राम | 13 Aug 2021

प्रिलिम्स के लिये 

ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी, हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी

मेन्स के लिये

सरकार द्वारा अन्वेषण एवं लाइसेंसिंग नीति में किये गए सुधार

चर्चा में क्यों?

घरेलू हाइड्रोकार्बन उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने लचीले ओपन एकरेज लाइसेंसिंग प्रोग्राम (OALP) के तहत नीलामी के छठे चरण की शुरुआत की।

  • इससे पूर्व, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने तेल एवं गैस के घरेलू अन्वेषण तथा उत्पादन को बढ़ाने के लिये अन्वेषण एवं लाइसेंसिंग क्षेत्र में सुधारों पर नीतिगत ढाँचे को मंज़ूरी दी थी।

प्रमुख बिंदु

परिचय :

  • मार्च 2016 में पूर्ववर्ती न्यू एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग पॉलिसी (NELP) के स्थान पर हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (HELP) को मंज़ूरी दी गई थी तथा जून 2017 में ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) के साथ-साथ नेशनल डेटा रिपोजिटरी (NDR) को भारत में अन्वेषण और उत्पादन (E&P) गतिविधियों में तेजी लाने के लिये प्रमुख संचालक के रूप में लॉन्च किया गया था। 
  • OALP के तहत कंपनियों को उन क्षेत्रों के अन्वेषण की अनुमति है, जिनमें वे तेल और गैस का पता लगाना चाहती हैं। 
  • कंपनियाँ वर्ष भर किसी भी क्षेत्र के अन्वेषण हेतु अपनी रुचि को प्रकट कर सकती हैं लेकिन ऐसी सुविधा वर्ष में तीन बार दी जाती है। फिर मांगे गए क्षेत्रों की बोली लगाने की पेशकश की जाती है।
  • यह पूर्व नीति से अलग नीति है इसमें जहाँ एक तरफ सरकार ने क्षेत्रों की पहचान की वहीं दूसरी तरफ उन्हें बोली लगाने की पेशकश की।

नीति की आवश्यकता :

  • भारत दुनिया की तीव्र उभरती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है तथा अमेरिका और चीन के बाद पेट्रोलियम उत्पादों का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
  • भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये कच्चे तेल के आयात पर अत्यधिक निर्भर है।
  • कच्चे तेल का शुद्ध आयात 2006-07 के दौरान के 111.50 मीट्रिक टन से बढ़कर 2015-16 के दौरान 202.85 मीट्रिक टन हो गया है। 
    • इसके आधार पर भारत ने 2022 तक कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को 10 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा है।

लाभ :

  • अन्वेषण में वृद्धि:
    • ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (OALP) नीलामी प्रक्रिया के बाद हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी (HELP) के सफल रोल-आउट से भारत में एक्सप्लोरेशन रकबे में वृद्धि हुई है।
  • लालफीताशाही को हटाना :
    • OALP ने लालफीताशाही को दूर करने में मदद की है तथा अन्वेषण और उत्पादन क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगाई है।

मुद्दे:

  • निवेशकों को आकर्षित करने में विफल:
    • नई नीति इस क्षेत्र के प्रमुख खिलाड़ियों की रुचि को आकर्षित करने में विफल रही है।
  • भारी दायित्व:
    • यह अपस्ट्रीम तेल और गैस उत्पादन की देखरेख करता है।
    • OALP हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय (DGH) को उस क्षेत्र को स्वीकार करने के लिये विवेकाधीन शक्तियाँ प्रदान करता है जिसके लिये EOI जमा किया गया है या जो उचित मूल्यांकन के बाद क्षेत्र को परिवर्तित/संशोधित करता है।
    • हालाँकि इस तरह के विवेक के प्रयोग का आधार OALP के तहत प्रदान नहीं किया गया है।

हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (HELP):

  • हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (HELP), जो रेवेन्यू शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट मॉडल पर आधारित है, भारतीय एक्सप्लोरेशन एंड प्रोडक्शन (E&P) सेक्टर में 'ईज़ऑफ डूइंग बिज़नेस' को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
  • इसकी मुख्‍य विशेषताओं में राजस्‍व साझा करने हेतु समझौता, अन्‍वेषण के लिये एकल लाइसेंस, परंपरागत और गैर-परंपरागत हाइड्रोकार्बन संसाधनों का उत्‍पादन, मार्केटिंग व मूल्‍य निर्धारित करने की आज़ादी शामिल है।
  • बोली के चौथे राउंड के बाद उदारीकृत नीति शर्तों के तहत बोली के अगले चरण को शुरू किया जा रहा है, जो श्रेणी I बेसिन में प्रतिबद्ध संचालित कार्यक्रम के लिये उच्च भार के साथ अधिकतम उत्पादन पर केंद्रित है तथा न्यून अन्वेषण वाले श्रेणी-II और श्रेणी-III बेसिन के लिये किसी राजस्व हिस्सेदारी हेतु बोलियों की आवश्यकता नहीं होगी।
  • श्रेणी-I बेसिन में पहले से ही उत्पादन कर रहे भंडार और क्षेत्र हैं, जबकि श्रेणी- II बेसिन ऐसे हैं जिनके पास वाणिज्यिक उत्पादन लंबित आकस्मिक भंडार हैं। श्रेणी- III बेसिन वे हैं जिनके पास संभावित संसाधन हैं जो अन्वेषण हेतु प्रतीक्षा कर रहे हैं।

आगे की राह:

  • सरकार को कराधान और उपकर को युक्तिसंगत बनाने पर विचार करना चाहिये।
  • साथ ही सरकार को उनकी चिंताओं को समझने के लिये विभिन्न हितधारकों से परामर्श करना चाहिये।
  • बेहतर तकनीक लाने के लिये इस क्षेत्र के निजी और विदेशी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।

स्रोत: पी.आई.बी