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जैव विविधता और पर्यावरण

अगत्ती द्वीप पर नारियल के वृक्षों की कटाई पर रोक

  • 03 Aug 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

NGT, अगत्ती द्वीप की मैप में स्थिति, एकीकृत द्वीप प्रबंधन योजना, 

मेन्स के लिये:

एकीकृत द्वीप प्रबंधन योजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal-NGT) की दक्षिणी पीठ ने लक्षद्वीप के अगत्ती द्वीप में नारियल के वृक्षों की कटाई पर अंतरिम रोक लगा दी है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह निर्णय समुद्र तट पर सड़क निर्माण के उद्देश्य से काटे जा रहे नारियल के वृक्षों की कटाई को देखते हुए एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा याचिका दायर करने के बाद आया है।
  • इसके अलावा यह पता लगाने के लिये कि सड़क निर्माण के समय, लक्षद्वीप एकीकृत द्वीप प्रबंधन योजना का कोई उल्लंघन तो नहीं हुआ है, प्राधिकरण के द्वारा एक समिति का गठन किया गया है।

एकीकृत द्वीप प्रबंधन योजना

(Integrated Island Management Plan- IIMP)

  • IIMP का लक्ष्य एक एकीकृत द्वीप प्रबंधन योजना तैयार करके भारतीय द्वीपों, अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप की सामाजिक-पारिस्थितिक स्थिरता को सुनिश्चित करने में सहायता  करना है
  • IIMP अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिये वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएगा, जो द्वीपों और उसके संसाधनों के बेहतर प्रबंधन के लिये विशेष रूप से आदिवासी बहुल द्वीपों में स्वदेशी दृष्टिकोण के आधार पर काम करेगा।
  • इसके अलावा आपदा या विभिन्न प्रकार के खतरों से निपटने हेतु दिशा-निर्देश तैयार करेगा और द्वीपों के लिये जलवायु परिवर्तन अनुकूलन तथा शमन रणनीति विकसित करेगा।
  • इसके कुछ प्रमुख लक्ष्यों में एकीकृत द्वीप प्रबंधन/ग्रीन द्वीप अर्थव्यवस्था अवधारणा को विकसित करना और द्वीप के जनसमुदायों के सहयोग से इकोटूरिज्म विकास को एक विशेष विकल्प के रूप में स्थापित करना है।

अगत्ती द्वीप:

  • भौगोलिक स्थिति:
    • अगत्ती द्वीप कोच्चि से लगभग 459 किमी (248 समुद्री मील) की दूरी पर तथा कवरत्ती द्वीप के पश्चिम में स्थित है।
    • इस द्वीप का लैगून क्षेत्र 17.50 वर्ग किमी में फैला हुआ है।
    • अगत्ती द्वीप में मूंगा वृद्धि और बहुरंगी प्रवाल मछलियाँ बहुतायत में पाई जाती हैं।
  • उद्योग:
    • मत्स्य पालन अगत्ती का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्योग है जो शायद मिनिकॉय द्वीप के अलावा एकमात्र द्वीप है जहाँ बहुत अधिक मात्रा में मछलियाँ मिलती हैं।
    • मत्स्य पालन के बाद, जूट और खोपरा (नारियल गिरी) यहाँ के मुख्य उद्योग हैं।
  • जलवायु:
    • अगत्ती की जलवायु केरल की जलवायु परिस्थितियों के ही समान है।
    • यहाँ मार्च से मई तक साल का सबसे गर्म समय होता है। 
      • यहाँ वार्षिक औसत वर्षा 1600 मिमी तक होती है।

Arabian-Sea

मुद्दे:

  • याचिकाकर्त्ता का तर्क है कि सड़क निर्माण के लिये बड़े पैमाने पर नारियल के वृक्षों के कटने के कारण, स्थानीय निवासियों की आजीविका प्रभावित हुई है।
  • इसके अलावा यह पर्यावरण को भी प्रभावित करेगा क्योंकि ये वृक्ष, समुद्र तट के किनारे चक्रवातों और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के दौरान वहाँ जन समुदायों, कृषि आदि की रक्षा के लिये एक ग्रीन बेल्ट के रूप में कार्य करते है

स्रोत: द हिंदू

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