खसरा-रुबेला(measles-rubella) का नया टीका | 07 Feb 2017
सन्दर्भ
भारत के सार्वभौमिक प्रतिरक्षण कार्यक्रम (Universal Immunisation Programme -UIP)) में खसरा-रुबेला(measles-rubella) के नए टीके को शामिल किया गया है और जल्दी ही इनका टीकाकरण आरम्भ हो जाएगा। यूआईपी में शामिल किये गए खसरा-रुबेला(measles-rubella) जैसी बीमारियों के संबंध लोगों में जागरूकता का अभाव है।
रुबेला क्या है और क्यों आवश्यक है टीकाकरण?
- रुबेला को “जर्मन खसरा” के नाम से भी जाना जाता है, यह बीमारी रुबेला वायरस के कारण होती है। यह संक्रमित व्यक्ति की नाक और ग्रसनी से स्राव की बूँदों से या फिर सीधे रोगी व्यक्ति के संपर्क में आने पर फैलता है।
- आमतौर पर इसके लक्षण हल्के होते हैं, जैसे नवजात बच्चों में बुखार, सिरदर्द, संक्रामक चकत्ते और कान के पीछे या गर्दन की लसिका ग्रंथियों में वृद्धि होना। हालाँकि, कभी-कभी कोई लक्षण नहीं भी पाया जाता है। अगर यह बीमारी गम्भीर हो जाए तो थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (रक्त में प्लेटलेट्स की कमी) और मस्तिष्क की सूज़न जैसे लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं।
- रुबेला विकसित हो रहे भ्रूण में विसंगतियाँ भी पैदा कर सकता है। वस्तुतः जन्मजात रुबेला सिंड्रोम (Congenital Rubella Syndrome-CRS) उन महिलाओं के बच्चों में होने की संभावना ज़्यादा होती है जो गर्भावस्था के पहले 3 महीनों के दौरान इससे संक्रमित हुई हों। सीआरएस के लक्षणों में बहरापन, अंधापन, दिल की विकृतियाँ और मानसिक विकास में कमी शामिल हैं।
- हालाँकि, टीकाकरण द्वारा सीआरएस जैसी संक्रामक बीमारियों को प्रभावशाली ढंग से को रोका जा सकता है। गोवा, कर्नाटक, लक्षद्वीप, पुद्दुचेरी और तमिलनाडु में फरवरी माह से 9 माह से लेकर 15 साल तक के बच्चों को इसका टीका दिया जाएगा। गौरतलब है कि यह नियमित टीकाकरण के अभियान का हिस्सा होगा।
- विदित हो कि अब तक रुबेला का जो टीका लगाया जाता था वह बच्चे को जन्म के 9-12 माह या फिर 16-24 के अंदर ही लगाया जा सकता था लेकिन इस नए विकसित किये गए टिके को 9 माह से लेकर 15 साल तक के बच्चों को दिया जा सकेगा।