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शासन व्यवस्था

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल

  • 01 Nov 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये :

नेशनल हेल्थ प्रोफाइल ,केन्द्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो

मेन्स के लिये :

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नेशनल हेल्थ प्रोफाइल का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो (Central Bureau of Health Intelligence -CBHI) ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल (National Health Profile- NHP) का 14वाँ संस्करण और इसकी ई-बुक (डिजिटल संस्करण) जारी की है।

प्रमुख बिंदु

  • CBHI वर्ष 2005 से राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल और वर्ष 2015 से इसका डिजिटल संस्करण प्रकाशित कर रहा है।
  • इस प्रकाशन का उद्देश्य भारत की स्वास्थ्य सूचना का एक बहुउपयोगी डेटाबेस बनाना और इसे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के सभी हितधारकों के लिये उपलब्ध कराना है।
  • इसका एक अन्य उद्देश्य समुदाय के स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करने में संलग्न योजनाकारों, नीति निर्माताओं, स्वास्थ्य प्रशासकों, अनुसंधानकर्त्ताओ और अन्य लोगों को सूचित आधार पर योजना बनाने एवं निर्णय-निर्माण के लिये प्रासंगिक जानकारी प्रदान करना है।
  • NHP निम्नलिखित प्रमुख संकेतकों के अंतर्गत महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य जानकारियों पर प्रकाश डालता है:
    • जनसांख्यिकीय संकेतक: जनसंख्या और महत्त्वपूर्ण आँकड़े
    • सामाजिक-आर्थिक संकेतक: शिक्षा, रोज़गार, आवास और अन्य सुविधाएँ, पेयजल एवं स्वच्छता।
    • स्वास्थ्य स्थिति संकेतक: सामान्य संचारी एवं गैर-संचारी रोगों का प्रसार और व्यापकता।
    • स्वास्थ्य वित्त संकेतक: स्वास्थ्य बीमा और स्वास्थ्य पर व्यय।
    • मानव संसाधनों की स्थिति: स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य कर रहे मानव बल की उपलब्धता।
    • स्वास्थ्य अवसंरचना: मेडिकल और डेंटल कॉलेजों, आयुष संस्थानों, नर्सिंग पाठ्यक्रमों और पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों का विवरण।

तथ्यात्मक बिंदु

  • जीवन प्रत्याशा: भारत में जीवन प्रत्याशा वर्ष 1970-75 के 49.7 वर्ष से बढ़कर वर्ष 2012-16 में 68.7 वर्ष हो गई है।
    • वर्ष 2012-16 में महिलाओं की जीवन प्रत्याशा 70.2 वर्ष और पुरुषों की 67.4 वर्ष थी।
  • शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate- IMR): शिशु मृत्यु दर में काफी गिरावट दर्ज की गई है (वर्ष 2016 में प्रति 1,000 जीवित शिशुओं में 33), हालाँकि ग्रामीण (37) और शहरी (23) के बीच अंतर अभी भी अधिक हैं।
  • जनसंख्या वृद्धि दर: भारत में वर्ष 1991 से वर्ष 2017 तक जन्म दर, मृत्यु दर और प्राकृतिक वृद्धि दर में निरंतर गिरावट दर्ज की गई है।
    • वर्ष 2017 के आकलन के अनुसार, भारत में प्रति 1,000 जनसंख्या पर जन्म दर 20.2 और मृत्यु दर 6.3. दर्ज की गई, जबकि प्राकृतिक विकास दर 13.9 थी।
  • जनसांख्यिकी: इसमें युवा और आर्थिक रूप से सक्रिय आबादी अपेक्षाकृत अधिक पाई गई।
    • रिपोर्ट के अनुसार 27% जनसंख्या 14 वर्ष से कम, 64.7% जनसंख्या 15 से 59 के आयु वर्ग में और 8.5% जनसंख्या 60 वर्ष से ऊपर है।
    • कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate-TFR): NHP के अनुसार देश की कुल प्रजनन दर 2.3 है।
    • ग्रामीण क्षेत्रों के लिये प्रजनन दर 2.5 और शहरी क्षेत्रों के लिये 1.8 आँकी गई है।

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस

Central Bureau of Health Intelligence (CBHI)

  • सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस की स्थापना वर्ष 1961 में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय द्वारा "पूरे देश में एक मज़बूत स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (Health Management Information System-HMIS)" की स्थापना के उद्देश्य से की गई थी।

कुल प्रजनन दर: प्रजनन दर का अर्थ है बच्चे पैदा कर सकने की आयु (जो आमतौर पर 15 से 49 वर्ष की मानी जाती है) वाली प्रति 1000 स्त्रियों की इकाई पर जीवित जन्में बच्चों की संख्या।

शिशु मृत्यु दर: शिशु मृत्यु दर किसी भौगोलिक क्षेत्र में एक वर्ष में जन्मे प्रति 1,000 जीवित शिशुओं पर एक वर्ष के भीतर होने वाली शिशुओं की मृत्यु की संख्या है।

जीवन प्रत्याशा: जीवन प्रत्याशा तात्पर्य वर्षों की उस संख्या से है जो किसी व्यक्ति का सांख्यिकीय गणना द्वारा अनुमानित औसत जीवनकाल है।

जन्म दर: प्रतिवर्ष प्रति 1000 जनसंख्या पर जीवित जन्मों की संख्या।

मृत्यु दर: किसी समुदाय, क्षेत्र या समूह में प्रति हजार जनसंख्या पर प्रति वर्ष मृत्यु की संख्या।

प्राकृतिक वृद्धि दर: एक वर्ष में जन्म लेने वाले जीवित शिशुओं की संख्या एवं उस वर्ष होने वाली मौतों की संख्या के अंतर को उसी वर्ष के मध्य में मौजूद जनसंख्या से विभाजित कर 1000 से गुणा करने पर हमें प्राकृतिक वृद्धि दर ज्ञात होती है।

स्रोत: pib

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