राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष | 21 Jul 2020

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष,  आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष का आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में महत्त्व

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन के प्रयोजन से आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 46(1)(b) के अनुसार, किसी व्‍यक्ति अथवा संस्‍था से राष्‍ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष में अंशदान/अनुदान प्राप्‍त करने की प्रक्रिया निर्धारित की है।

प्रमुख बिंदु

  • गठन:
    • इसे आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005  की धारा 46 में परिभाषित किया गया है।
    • वर्ष 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम के अधिनियमन के साथ राष्ट्रीय आपदा आकस्मिकता निधि (National Calamity Contingency Fund-NCCF) का नाम बदलकर राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (National Disaster Response Fund-NDRF) कर दिया गया।
    • इसे भारत सरकार के ‘लोक लेखा’ (Public Account) में शामिल किया गया है।
      • लोक लेखा: इसका गठन संविधान के अनुच्छेद 266 (2) के तहत किया गया था। जहाँ सरकार केवल एक बैंकर के रूप में कार्य कर रही होती है  ऐसे लेन-देन के लिये इसका प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिये; भविष्य निधि, छोटी बचत, आदि। 
      • इससे होने वाले व्यय को संसद द्वारा अनुमोदित किये जाने की आवश्यकता नहीं है।
  • भूमिका:
    • इसे किसी भी आपदा की स्थिति या आपदा के कारण आपातकालीन प्रतिक्रिया, राहत और पुनर्वास के खर्चों को पूरा करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
    • यह गंभीर प्राकृतिक आपदा के मामले में राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (State Disaster Response Fund-SDRF) की सहायता करता है, बशर्ते SDRF में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध न हो।
      • SDRF, राज्य सरकार के पास अधिसूचित आपदाओं के लिये उपलब्ध प्राथमिक निधि है, तत्काल राहत प्रदान करने के लिये इसका प्रयोग किया जाता है।
      • केंद्र सामान्य श्रेणी के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिये SDRF आवंटन का 75% और विशेष श्रेणी के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (उत्तर पूर्वी राज्यों, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर) के लिये 90% योगदान देता है।

वित्तीयन: 

  • कुछ वस्तुओं पर उपकर लगाकर तथा उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क से इसका वित्त पोषण होता है और वित्त विधेयक के माध्यम से प्रतिवर्ष अनुमोदित किया जाता है।
  • वर्तमान में, NDRF को वित्त प्रदान करने के लिये एक राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क (National Calamity Contingent Duty-NCCD) लगाया जाता है और आवश्यक होने पर अतिरिक्त बजटीय सहायता भी प्रदान की जाती है।
    • NCCD को सातवीं अनुसूची (निर्मित या उत्पादित माल) में निर्दिष्ट वस्तुओं पर आरोपित किया जाता है।
  • नियंत्रण/निगरानी: कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत कृषि एवं सहकारिता विभाग सूखा, ओलावृष्टि, कीटों के हमलों और शीत लहर/ठंढ से जुड़ी आपदाओं के लिये निर्धारित राहत गतिविधियों की निगरानी करता है जबकि प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा की जाती है।
    • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) NDRF के खातों को ऑडिट करता है।

स्रोत-द हिंदू