शासन व्यवस्था
राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना
- 14 Mar 2020
- 5 min read
प्रीलिम्स के लिये:राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना मेन्स के लिये:राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में लोकसभा में महिला और बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) द्वारा राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना (National Creche Scheme) के तहत संचालित शिशुगृहों से संबंधित सूचना जारी की गई।
राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना के बारे में:
- राष्ट्रीय क्रेच योजना जो कि एक केंद्र प्रायोजित योजना है, को 1 जनवरी, 2017 से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है।
- इसे पूर्व में राजीव गांधी राष्ट्रीय क्रेच योजना के नाम से जाना जाता था।
- इसका उद्देश्य कामकाजी महिलाओं के बच्चों (6 माह से 6 वर्ष की आयु वर्ग) को दिन भर देखभाल की सुविधा प्रदान करना है।
योजना की मुख्य विशेषताएँ:
- बच्चों के लिये सोने की सुविधा सहित अन्य दैनिक सुविधाएँ।
- 3 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिये प्रारंभिक प्रोत्साहन और 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये प्री-स्कूल शिक्षा।
- बच्चों के सर्वांगीण विकास की निगरानी।
- स्वास्थ्य जाँच और टीकाकरण की सुविधा।
शिशुगृह के लिये दिशा-निर्देश:
- शिशुगृह एक महीने में 26 दिन एवं प्रतिदिन साढ़े सात घंटे के लिये खुला रहेगा।
- शिशुगृह के मुख्य कर्मचारी की न्यूनतम योग्यता कक्षा 12वीं एवं सहायक कर्मचारी की न्यूनतम योग्यता कक्षा 10वीं तक होनी चाहिये।
- एक शिशुगृह में बच्चों की संख्या और कर्मचारियों की आवश्यकताओं का विवरण निम्नानुसार है:
क्रम संख्या | बच्चों की आयु | नामांकित बच्चों की संख्या | शिशुगृह में कर्मचारियों की संख्या | शिशुगृह में सहायक कर्मचारियों की संख्या |
1. | 6 माह से 3 वर्ष तक | 10 | 01 | 01 |
2. | +3 से 6 वर्ष तक | 15 | - | - |
योग | 25 | 01 | 01 |
- शिशुगृह का निर्धारित शुल्क:
- गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line-BPL) जीवन यापन कर रहे परिवार के लिये 20/- रुपए प्रति माह प्रति बच्चा।
- 12000/- रुपए प्रति माह तक की आय (माता-पिता) वाले परिवार के लिये 100/- रुपए प्रति माह प्रति बच्चा।
- 12000/- रुपए प्रति माह से ऊपर की आय (माता-पिता) वाले परिवार के लिये 200/- रुपए प्रति माह प्रति बच्चा।
भौतिक मूल ढाँचा:
- शिशुगृह एक सुरक्षित स्थान पर स्थित एवं बच्चे के अनुकूल होना चाहिये।
- निम्नलिखित कारणों के चलते शिशुगृह को बच्चों के घरों के नज़दीक या माताओं के कार्य स्थल के पास होना चाहिये:
- ताकि माँ अपने बच्चे को स्तनपान कराने के लिये शिशुगृह में आसानी से आ सके।
- आपातकाल की स्थिति में माता-पिता से संपर्क किया जा सके।
- घर से बच्चे को लाना या भेजना आसान हो।
- यदि कोई बच्चा लंबे समय तक अनुपस्थित रहता है, तो शिशुगृह का कर्मचारी बच्चे के बारे में पूछताछ करने के लिये जा सके।
सामाजिक सहभागिता:
- स्थानीय महिला मंडल, स्वयं सहायता समूह (Self Help Group-SHG), स्थानीय निकायों के सदस्य इत्यादि को शिशुगृह की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने हेतु प्रोत्साहित किया जा सकता हैं।
अन्य संबंधित तथ्य:
- 11 मार्च, 2020 तक राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना के तहत देश भर में 6453 शिशुगृह संचालित हैं।
- केरल सरकार द्वारा, राष्ट्रीय क्रेच (शिशुगृह) योजना के तहत 479 शिशुगृहों का संचालन किया जा रहा है।
- नीति आयोग इस योजना का मूल्यांकन तीसरे पक्ष से कराती है।