राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP) | 12 Sep 2019
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री ने पशुओं में खुरपका-मुंहपका रोग (Foot-and-mouth disease-FMD) और ब्रूसेलोसिस (Brucellosis) के नियंत्रण तथा उन्मूलन हेतु राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Animal Disease Control Programme-NADCP) की शुरुआत की है।
- यह कार्यक्रम पूर्णतः केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित है एवं इसकी कुल व्यय राशि 12652 करोड़ रुपए आंकी गई है।
खुरपका-मुंहपका रोग
(Foot-and-mouth disease-FMD)
- FMD गाय, भैंस और हाथी आदि में होने वाला एक संक्रामक रोग है। यह खासकर दूध देने वाले जानवरों के लिये अधिक हानिकारक होता है।
- रोग के लक्षण
- पशुओं के जीभ और तलवे पर छालों का होना जो बाद में फट कर घाव में बदल जाते हैं।
- इसके पश्चात् जानवरों के दुग्ध उत्पादन में भी लगभग 80 प्रतिशत तक की गिरावट आ जाती है।
ब्रूसेलोसिस
(Brucellosis)
- ब्रूसेलोसिस एक जीवाणु संक्रामक रोग है जो जानवरों के साथ-साथ इंसानों को भी प्रभावित करता है। ब्रूसेलोसिस आम तौर पर तब फैलता है जब लोग दूषित भोजन जैसे- कच्चा मांस और अस्वास्थ्यकर दूध का उपभोग करते हैं।
NADCP के उद्देश्य
- इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मवेशियों की सेहत में सुधार कर किसानों को अधिक-से-अधिक लाभ पहुँचाना है।
- कार्यक्रम का एक अन्य उद्देश्य FMD से बचाव हेतु 500 मिलियन से अधिक पशुओं, जिनमे भैंस, भेड़, बकरी और सूअर शामिल हैं, का टीकाकरण करना है।
- कार्यक्रम में ब्रूसेलोसिस बीमारी को नियंत्रित एवं समाप्त करने हेतु सालाना 36 मिलियन मादा गोजातीय बछड़ों (Bovine Calves) का टीकाकरण करना भी शामिल है।
कार्यक्रम के लक्ष्य
- वर्ष 2025 तक उपरोक्त रोगों पर नियंत्रण
- वर्ष 2030 तक रोगों का उन्मूलन
कार्यक्रम की आवश्यकता
- उपरोक्त दोनों ही रोगों का दूध और अन्य पशुधन उत्पादों के व्यापार पर प्रत्यक्ष नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- यदि कोई गाय या भैंस FMD से संक्रमित हो जाती है, तो वह दूध देना लगभग बंद कर सकती है और यह रोग 4 से 6 महीने तक रह सकता है। इसके प्रभाव से किसान को काफी नुकसान हो सकता है।
- केंद्र सरकार की इस कार्यक्रम को किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य के साथ भी जोड़ कर देखा जा रहा है।