NRC और केंद्र का मत | 24 Mar 2020

प्रीलिम्स के लिये

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर

मेन्स के लिये:

नागरिकता से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्रालय ने सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा (Affidavit) दायर करते हुए कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (National Register of Citizens-NRC) को तैयार करना नागरिकों और गैर-नागरिकों की पहचान हेतु किसी भी संप्रभु राष्ट्र के लिये एक अनिवार्य अभ्यास है।

प्रमुख बिंदु

  • गृह मंत्रालय ने हलफनामे में कहा कि देश में रह रहे अवैध प्रवासियों की पहचान करना और उसके पश्चात् उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करना केंद्र सरकार को सौंपी गई ज़िम्मेदारी है।
  • ध्यातव्य है कि देश के कई राज्यों ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) का विरोध करते हुए इनके विरुद्ध प्रस्ताव पारित किये हैं।
    • उल्लेखनीय है कि नागरिकता नियम, 2003 (Citizenship Rules, 2003) के अनुसार, NPR, NRC की दिशा में पहला कदम है।
  • हालाँकि सरकार द्वारा अभी तक संशोधित NPR फॉर्म सार्वजनिक नहीं किया गया है, किंतु इसमें ‘माता-पिता के जन्म की तारीख और निवास स्थान’ जैसे विवादास्पद प्रश्न शामिल होने की संभावना है।
  • गृह मंत्रालय ने अपने हलफनामे में तत्कालीन पुनर्वास मंत्रालय द्वारा वर्ष 1964-65 में पूर्वी पाकिस्तान (मौजूदा बांग्लादेश) से बंगाल, असम और त्रिपुरा में आने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों की एक रिपोर्ट भी प्रस्तुत की है, रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी पाकिस्तान (मौजूदा बांग्लादेश) से लोगों के पलायन का सिलसिला जनवरी 1964 में शुरू हुआ और मार्च, अप्रैल तथा मई के महीनों में यह अपने चरम पर पहुँच गया।
  • रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी पाकिस्तान से 31 जनवरी, 1965 तक पलायन करने वालों की संख्या 8,94,137 थी। इन व्यक्तियों में से तकरीबन 2,61,899 लोग प्रवास प्रमाण पत्र के साथ भारत आए, जबकि 1,76,602 लोग पाकिस्तानी पासपोर्ट के साथ भारत आए। वहीं लगभग 4,55,636 व्यक्ति बिना किसी यात्रा दस्तावेज़ के साथ भारत आए।
    • हालाँकि कई लोगों का कहना है कि बांग्लादेश से आने वाले सभी लोग पहले से ही भारत के नागरिक थे और वे चुनावों में मतदान करते थे।
  • गृह मंत्रालय ने वर्ष 1952 और वर्ष 2012 के मध्य गृह मंत्रालय द्वारा जारी किये गए 18 आदेशों का हवाला दिया, जिसमें पाकिस्तान और अफगानिस्तान से ‘हिंदुओं और सिखों’ के लिये अधिमान्य उपचार की वकालत की गई थी, जिन्होंने वैध वीजा के साथ या बिना भारत में प्रवेश किया था।

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर 

(National Register of Citizens-NRC)

  • NRC वह रजिस्टर है जिसमें सभी भारतीय नागरिकों का विवरण शामिल है। इसे वर्ष 1951 की जनगणना के पश्चात् तैयार किया गया था। रजिस्टर में उस जनगणना के दौरान गणना किये गए सभी व्यक्तियों के विवरण शामिल थे।
  • भारत में अब तक NRC केवल असम में लागू की गई है, जिसमें केवल उन भारतीयों के नाम को शामिल किया गया है जो कि 25 मार्च, 1971 के पहले से असम में रह रहे हैं। 
  • NRC उन्हीं राज्यों में लागू होती है जहाँ से अन्य देश के नागरिक भारत में प्रवेश करते हैं। NRC की रिपोर्ट ही बताती है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं।
  • वर्ष 1947 में जब भारत-पाकिस्तान का बँटवारा हुआ तो कुछ लोग असम से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) चले गए, किंतु उनकी ज़मीन असम में थी और लोगों का दोनों ओर से आना-जाना बँटवारे के बाद भी जारी रहा। जिसके चलते वर्ष 1951 में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) तैयार किया गया था।
    • दरअसल वर्ष 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद भी असम में भारी संख्या में शरणार्थियों का आना जारी रहा जिसके चलते राज्य की आबादी का स्वरूप बदलने लगा। 80 के दशक में अखिल असम छात्र संघ (All Assam Students Union-AASU) ने अवैध तरीके से असम में रहने वाले लोगों की पहचान करने तथा उन्हें वापस भेजने के लिये एक आंदोलन शुरू किया। AASU के 6 वर्ष के संघर्ष के बाद वर्ष 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे और NRC तैयार करने का निर्णय लिया गया।

निष्कर्ष

सरकार के प्रतिनिधि कई अवसरों पर यह स्पष्ट कर चुके हैं कि सरकार ने NRC पर अभी तक कोई स्पष्ट करने निर्णय नहीं लिया है, किंतु इसके बावजूद भी गृह मंत्रालय द्वारा NRC को लेकर हलफनामा दायर किया गया है, जो कि आम लोगों के समक्ष भ्रम उत्पन्न करता है। आवश्यक है कि सरकार इस संदर्भ में स्थिति को स्पष्ट करे और NRC को लेकर उत्पन्न हो रहे तमाम विवादों का एक संतुलित उपाय खोजने का प्रयास करे।

स्रोत: द हिंदू