नगर वन योजना | 08 Jun 2020
प्रीलिम्स के लिये:योजना के प्रमुख बिंदु, कार्बन सिंक, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम मेन्स के लिये:योजना का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day- WED) के अवसर पर पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change) द्वारा अगले पाँच वर्षों में देश भर में 200 शहरी वन विकसित करने के लिये ‘नगर वन योजना’ के कार्यान्वयन की घोषणा की गई हैI
प्रमुख बिंदु:
- इस वर्ष COVID-19 महामारी के चलते इस वर्ष के थीम- नगर वन (शहरी वन) पर ध्यान केंद्रित करते हुए पर्यावरण,जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन वर्चुअल रूप से किया गया ।
- यह योजना नगर निकायों, गैर सरकारी संगठनों तथा स्थानीय नागरिकों के बीच भागीदारी और सहयोग पर आधारित होगीI
- इस योजना के क्रियान्वयन के लिये भुगतान राशि की व्यवस्था क्षतिपूरक वनीकरण कोष अधिनियम, 2016 (Compensatory Afforestation Fund Act, 2016- CAMPA) की निधि द्वारा की जाएगी।
- इस योजना की शुरुआत वर्ष 2015 में पुणे में की गई।
- पर्यावरण दिवस के अवसर पर एक फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया, जिसमें दिखाया गया कि किस तरह पुणे वासियों की पहल के द्वारा वन विभाग तथा स्थानीय निकाय ने एक साथ मिलकर 16.8 हेक्टेयर में फैले ‘वारजे शहरी वन क्षेत्र’ (Warje Urban Forest) बंजर पहाड़ी क्षेत्र को हरे-भरे जंगलों में बदल दिया।
- वर्तमान समय में आज इस क्षेत्र में जंगली पौधों की 23 प्रजातियों, 29 पक्षी प्रजातियों, 15 तितली प्रजातियों, 10 सरीसृप प्रजातियों और 3 स्तनपायी प्रजातियों के साथ जैव विविधता से समृद्ध है।
- जहाँ पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट, 2019 (The India State of Forests Report, 2019) में बताया गया है कि भारत के कुल वन आवरण में वर्ष 2015 और वर्ष 2019 के बीच 1.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वही दूसरी तरफ सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (Centre for Science and Environment’s) द्वारा जारी की गई वार्षिक रिपोर्ट के पाँचवें संस्करण में बताया गया है कि देश के कुल 629 ज़िलों के 34 प्रतिशत जंगलों के क्षेत्रफल में कमी आई हैं।
विश्व पर्यावरण दिवस:
- विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन हर वर्ष 5 जून को किया जाता है।
- इसका आयोजन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (The United Nations Environment Programme-UNEP) द्वारा घोषित थीम पर ध्यान केंद्रित करते हुए किया जाता है।
कार्बन सिंक:
- कार्बन सिंक एक वनस्पतिक क्षेत्र, एक जंगल, या फिर एक फाइटोप्लैंकटन-समृद्ध समुद्र हो सकता है जो जीवाश्म ईंधन के जलने से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में सहायक होता है।
- कार्बन सिंक के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) को निष्कासित करने की प्रक्रिया, कार्बन प्रच्छादन (Carbon Sequestration) के रूप में जानी जाती है।
योजना का महत्त्व:
- भारत पशुओं और पौधों की कई प्रजातियों से समृद्ध जैव विविधता से संपन्न क्षेत्र है जहाँ विश्व में मौज़ूद जैव-विविधता के 35 वैश्विक हॉटस्पॉट्स में से 4 भारत में विद्यमान है।
- समय के साथ बढ़ती जनसंख्या, वनों की कटाई, शहरीकरण और औद्योगीकरण ने प्राकृतिक संसाधनों पर भारी दबाव डाल दिया है, जिससे जैव विविधता की निरंतर हानि हो रही है।
- इन सबके साथ बढ़ते शहरीकरण के साथ शहरी क्षेत्रों में भी जैव विविधता को सुरक्षित रखने और बचाने की आवश्यकता उत्पन्न हो गई है।
- नगर वन योजना इस अंतर को खत्म करने का एक बेहतर तरीका है। इसलिये मंत्रालय द्वारा भी शहरी क्षेत्रों में जैव विविधता के प्रोत्साहन और संरक्षण के लिये ‘नगर वन’ को विश्व पर्यावरण-2020 की थीम के रूप में अपनाया गया है।
- यह योजना कार्बन सिंक (Carbon Sink) की अतिरिक्त मात्रा का संचयन करने में मददगार साबित होगी।
- पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट, 2019 में कहा गया है कि भारत के कुल वन आवरण में 2015 और 2019 के बीच 1.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
- इन सब के अलावा यह योजना शहरों में ग्रामीण वन की पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित करने में मददगार साबित होगी।