न्यूनतम समर्थन मूल्य और उसका निर्धारण | 04 Dec 2020
चर्चा में क्यों?
पंजाब और हरियाणा समेत देश भर के विभिन्न राज्यों के किसानों द्वारा राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर हालिया कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी किसानों की प्रमुख मांगों में से एक मांग यह है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली को लेकर लिखित गारंटी प्रदान करे, जो उन्हें उनकी फसलों के लिये निश्चित मूल्य का आश्वासन देती है।
- किसानों द्वारा हाल ही में अधिनियमित तीन कृषि कानूनों और विद्युत (संशोधन) विधेयक 2020 के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा है।
प्रमुख बिंदु
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) किसी भी फसल का वह ‘न्यूनतम मूल्य’ होता है, जिसे सरकार द्वारा किसानों के पारिश्रमिक के तौर पर स्वीकार किया जाता है।
- इस तरह ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ कृषि मूल्य में किसी भी प्रकार की तीव्र गिरावट के खिलाफ कृषि उत्पादकों को सुरक्षा प्रदान करने हेतु भारत सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली बाज़ार हस्तक्षेप की एक प्रणाली है।
- यह किसी भी फसल की वह कीमत होती है, जो कि सरकारी एजेंसी द्वारा फसल की खरीद करते समय भुगतान की जाती है।
- वित्तीय वर्ष 2018-19 के केंद्रीय बजट में सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को किसानों की उत्पादन लागत का डेढ़ गुना करने की घोषणा की थी।
किन फसलों पर दिया जाता है MSP
- ‘कृषि लागत और मूल्य आयोग’ द्वारा सरकार को 22 अधिदिष्ट फसलों (Mandated Crops) के लिये ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) तथा गन्ने के लिये 'उचित और लाभकारी मूल्य' (FRP) की सिफारिश की जाती है।
- कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP): यह भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है।
- यह जनवरी 1965 में अस्तित्त्व में आया था।
- यह एक सलाहकारी निकाय है, जिसकी सिफारिशें सरकार के लिये बाध्यकारी नहीं हैं।
- कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP): यह भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है।
- अधिदिष्ट फसलों में 14 खरीफ की फसलें, 6 रबी फसलें और दो अन्य वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं।
- इसके अलावा तोरिया (लाही) और नारियल के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (MSPs) का निर्धारण क्रमशः सरसों और सूखे नारियल के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (MSPs) के आधार पर किया जाता है।
- फसलों की सूची:
- अनाज (7): धान, गेहूँ, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का और रागी
- दाल (5): चना, अरहर, मूँग, उड़द और मसूर की दाल
- तिलहन (8): मूँगफली, सरसों, तोरिया (लाही), सोयाबीन, सूरजमुखी के बीज, तिल, कुसुम का बीज, रामतिल का बीज
- कच्ची कपास, कच्चा जूट, नारियल, सूखा नारियल
- गन्ना (उचित और लाभकारी मूल्य)
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का निर्धारण करते समय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) द्वारा खेती की लागत समेत विभिन्न कारकों पर विचार किया जाता है।
- आयोग द्वारा खेती की लागत के अलावा उत्पाद की मांग और आपूर्ति, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार मूल्य रुझान, उपभोक्ता के लिये मूल्य के निहितार्थ (मुद्रास्फीति), वातावरण (मिट्टी और पानी का उपयोग) तथा कृषि एवं गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच व्यापार की शर्तों आदि पर भी विचार किया जाता है।
वर्ष 2018-19 के केंद्रीय बजट में परिवर्तन
- वर्ष 2018-19 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री ने कहा था कि एक ‘पूर्व निर्धारित सिद्धांत’ के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), फसलों की उत्पादन लागत से डेढ़ गुना अधिक तय किया जाएगा।
- इस तरह कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) का कार्य अब केवल एक सीज़न के लिये फसल के उत्पादन लागत का अनुमान लगाना और 1.5 गुना फॉर्मूला लागू करके MSPs की सिफारिश करना है।
उत्पादन लागत निर्धारण का तरीका
- कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) द्वारा ज़मीनी स्तर पर सर्वेक्षण के माध्यम से फसल की उत्पादन लागत का निर्धारण नहीं किया जाता है।
- बल्कि आयोग फसलों की उत्पादन लागत का निर्धारण करने के लिये कृषि मंत्रालय के तहत आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय द्वारा प्रदान किये गए राज्य-वार और फसल-विशिष्ट उत्पादन लागत अनुमानों से संबंधित आँकड़ों का प्रयोग किया जाता है।
- हालाँकि ये आँकड़े तीन वर्ष के अंतराल पर ही उपलब्ध हो पाते हैं।
- CACP द्वारा राज्य और अखिल भारतीय दोनों स्तरों पर प्रत्येक फसल के लिये तीन प्रकार की उत्पादन लागतों का अनुमान लगाया जाता है।
- ‘A2’
- इसके तहत किसान द्वारा बीज, उर्वरकों, कीटनाशकों, श्रम, पट्टे पर ली गई भूमि, ईंधन, सिंचाई आदि पर किये गए प्रत्यक्ष खर्च को शामिल किया जाता है।
- ‘A2+FL’
- इसके तहत ‘A2’ के साथ-साथ अवैतनिक पारिवारिक श्रम का एक अधिरोपित मूल्य शामिल किया जाता है।
- ‘C2’
- यह एक अधिक व्यापक अवधारणा है क्योंकि इसके अंतर्गत ‘A2+FL’ में किसान की स्वामित्त्व वाली भूमि और अचल संपत्ति के किराए तथा ब्याज को भी शामिल किया जाता है।
- ‘A2’
मूल्य निर्धारण से संबंधित मुद्दे:
- वर्ष 2018-19 के केंद्रीय बजट भाषण में सरकार ने उस उत्पादन लागत को निर्दिष्ट नहीं किया था, जिस पर 1.5 गुना फाॅर्मूला की गणना की जानी थी।
- CACP की ‘खरीफ फसलों के लिये मूल्य नीति: विपणन सत्र 2018-19’ रिपोर्ट में कहा गया था कि उसकी सिफारिशें ‘A2+FL’ लागत पर आधारित हैं।
- विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग है कि कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा अनुशंसित 1.5 गुना MSP फॉर्मूला ‘C2’ लागतों पर लागू किया जाना चाहिये।
- सरकार का पक्ष
- कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) एक व्यापक तरीके से सभी लागतों पर विचार करता है, जो कि समय-समय पर विशेषज्ञ समितियों द्वारा सुझाई गई पद्धति पर आधारित होती है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश करते समय CACP द्वारा ‘A2+FL’ और ‘C2’ दोनों लागतों पर विचार किया जाता है।
- कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) द्वारा ‘A2+FL’ लागत पर MSP की गणना प्रतिफल के लिये की जाती है, जबकि ‘C2’ लागत पर MSP की गणना बेंचमार्क लागत के लिये की जाती है।