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मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी अधिनियम)

  • 27 Jan 2020
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी अधिनियम

मेन्स के लिये: 

मनरेगा में धन का अभाव एवं राज्य सरकारों पर पड़ने वाले प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

केंद्र द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के लिये समय पर बकाया धनराशि का आवंटन न होने के कारण यह चर्चा में है।

मुख्य बिंदु:

  • वर्ष 2019-20 के लिये प्रस्तावित बजट में MGNREGA के लिये 60,000 करोड़ रुपए की धनराशि आवंटित की गई थी। इस राशि का 96% से अधिक हिस्सा अब तक खर्च किया जा चुका है।
  • योजना के लिये आवंटित की जाने वाली 2500 हज़ार करोड़ रुपए की राशि प्राप्त करना शेष है जबकि नई राशि जारी होने में अभी दो महीने का समय और लगेगा।

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  • योजना के वित्तीय विवरण के अनुसार, 26 जनवरी, 2020 तक पंद्रह ऐसे राज्य चिह्नित किये गए हैं जिनकी बकाया राशि का भुगतान केंद्र सरकार द्वारा किया जाना है। 
  • इस सूची में राजस्थान का सर्वाधिक बकाया ‘निगेटिव नेट बैलेंस’ (Negative Net Balance) 620 करोड़ रुपए है इसके बाद उत्तर प्रदेश का 323 करोड़ रुपए बकाया है।
  • राजस्थान में श्रमिकों की मज़दूरी हेतु मनरेगा राशि का भुगतान अक्तूबर 2019 से नहीं किया गया है। इसकी सूचना राजस्थान सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र द्वारा दी गई तथा 1,950 करोड़ रुपए बकाया राशि की मांग की गयी है। जिसमें मज़दूरी के भुगतान के लिये 848 करोड़ रुपए और सामग्रियों के लिये 1102 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान राजस्थान सरकार को करना है।
  • इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा राजस्थान राज्य सरकार के लिये 200 करोड़ रुपए की बकाया राशि का ही भुगतान किया गया है। अभी भी राज्य सरकार को 600-700 करोड़ रुपए की और आवश्यकता होगी।
  • राजस्थान सरकार 15 दिनों के भीतर 99.57% श्रमिकों हेतु तथा 8 दिनों के भीतर 90.31% श्रमिकों की मज़दूरी के भुगतान के लिये फंड ट्रांसफर ऑर्डर (Fund Transfer Orders) करने में सक्षम है।

स्रोत: द हिंदू 

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