भारत के राजस्व में चिकित्सा पर्यटन की भूमिका | 22 Apr 2017

समाचारों में क्यों?
हाल ही में किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत के सम्पूर्ण स्वास्थ्य सेवा निर्यातों में चिकित्सा पर्यटन का सर्वाधिक योगदान है| वर्ष 2015-16 में प्राप्त 890 मिलियन डॉलर का कुल राजस्व का 70 प्रतिशत चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र से ही प्राप्त हुआ है|

सर्वेक्षण के प्रमुख बिंदु 

  • एशियाई देशों में बांग्लादेश,इराक,पाकिस्तान और मालदीव को स्वास्थ्य सेवाओं में 60% से अधिक विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है|
  • वाणिज्य विभाग के अंतर्गत आने वाले वाणिज्यिक ख़ुफ़िया और सांख्यिकी के निदेशक जनरल द्वारा किये गए सर्वेक्षण के अनुसार ,भारत के प्रमुख व्यापार सहयोगी अमेरिका और यूरोपीय संघ की स्वास्थ्य सेवाओं के निर्यात में भागीदारी क्रमशः 14% और 11% है| 
  • स्वास्थ्य सेवाओं में अनुबंध अनुसंधान दूसरा सबसे अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त करने वाला क्षेत्र है, इससे भारत को 27 % निर्यात राजस्व की प्राप्ति होती है| क्लिनिकल परीक्षण और टेलीमेडिसिन के निर्यात से भी भारत को 3% विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है|
  • ऑर्थोपेडिक्स, ऑन्कोलॉजी, न्यूरोलॉजी और कार्डियोलॉजी प्रमुख चार निर्यात राजस्व अर्जक (export revenue earners) हैं| इसके पश्चात आयुर्वेद का स्थान आता है | आयुर्वेद से प्राप्त राजस्व मूत्रविज्ञान, हेमाटोलॉजी, सामान्य चिकित्सा और नेफ्रोलॉजी की तुलना में अधिक है|
  • यह रिपोर्ट वाणिज्य विभाग का एक भाग है जिसका उद्देश्य सेवा व्यापार पर आँकड़ों को संगृहीत करने की संरचना को विकसित करना है| डीजीसीआई एंड एस ने वर्ष 2016 में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अपना पैन इंडिया सर्वेक्षण लागू किया था|

निष्कर्ष
चूँकि भारत में जो व्यक्तिगत सेवा और देखभाल रोगी प्राप्त करते हैं वह विकसित देशों में उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं से काफी सस्ती है| यहाँ तक कि यह आसियान देशों,मध्य-पूर्व और सीआईएस राष्ट्रों से भी सस्ती कीमत पर उपलब्ध है| हालाँकि भारत को चिकित्सीय पर्यटन का हब बनाने के लिये सरकार के समर्थन के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल में शोध और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी में अतिरिक्त विकास की आवश्यकता होगी|