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जैव विविधता और पर्यावरण

हिमालयन ब्राउन बियर

  • 26 Oct 2020
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ, ज़ूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972, ग्लोबल वार्मिंग 

मेन्स के लिये:

वन्यजीव संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में अध्यन का महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ज़ूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Zoological Survey of India) के वैज्ञानिकों द्वारा पश्चिमी हिमालय में किये गए एक अध्ययन के परिणामों के आधार इस बात की  संभावना व्यक्त की है कि वर्ष 2050 तक हिमालयन ब्राउन बियर (Himalayan Brown Bear) के निवास स्थान में लगभग 73% की भारी गिरावट आ सकती है। 

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प्रमुख बिंदु:  

  • यह अध्ययन हिमालयन ब्राउन बियर जिसका वैज्ञानिक नाम उर्सस आर्कटोस इसाबेलिनस (Ursus Arctos Isabellinus) है, के संदर्भ में किया गया। 
    • अध्ययन के परिणामों के आधार पर यह आशंका जताई गई है कि  निकट भविष्य में जलवायु परिवर्तन के कारण इनके आवास (Habitat ) एवं जैविक गलियारों (Biological Corridors) में कमी देखने को मिल सकती है।  
  • अध्ययन के अनुसार, संरक्षित क्षेत्रों (Protected Areas) के बीच कनेक्टिविटी के नुकसान/कमी के चलते 13 संरक्षित क्षेत्रों में स्थित निवास स्थानों (Habitat) में क्षति देखने को मिलेगी जिनमें से आठ निवास स्थान वर्ष 2050 तक पूरी तरह से निर्जन/आबादी रहित (Uninhabitable)  हो जाएंगे।
  • इस अध्ययन में हिमालयन ब्राउन बियर को एक उदाहरण के रूप में लेने का मुख्य कारण यह है कि यह  उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाया जाने वाला एक बड़े मांसाहारी जानवर है। 
    • जिन ऊँचाई वाले क्षेत्रों में बियर/भालू की यह प्रजाति पाई जाती है वह ग्लोबल वार्मिंग की दृष्टि से सबसे अधिक असुरक्षित क्षेत्र है क्योंकि ये क्षेत्र हिमालय के अन्य ऊँचाई वाले क्षेत्रों की तुलना में अत्यधिक तेज़ी से गर्म हो रहे हैं।
  • इस अध्ययन को अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका (International Science Journal) में ‘हिमालयन ब्राउन बियर के संरक्षण के लिये संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क की अनुकूल स्थानिक योजना’(Adaptive spatial planning of protected area network for conserving the Himalayan Brown Bear) नामक शीर्षक में प्रकाशित किया गया है।

हिमालयन ब्राउन बियर

(Himalayan Brown Bear):

  • हिमालयन ब्राउन बियर हिमालय के ऊँचाई वाले क्षेत्रों में सबसे बड़े मांसाहारी जीवों में से एक है।
  • भारत में यह पश्चिमी हिमालयी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 3000-5000 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है।
  • इसकी छोटी एवं अलग-अलग आबादी  भारत और पाकिस्तान के दूरदराज़ के ऊँचे  हिमालय पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) द्वारा हिमालयन ब्राउन बियर को सुभेद्य (Vulnerable) प्रजाति की  सूची में शामिल किया गया है।
  • यह भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 के तहत सूचीबद्ध है।

ज़ूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया:

  • इसकी स्थापना 1 जुलाई, 1916 में की गई थी।
  • इसका उद्देश्य असाधारण एवं प्राकृतिक रूप से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण  विभिन्न जानवरों से संबंधित सर्वेक्षण एवं अनुसंधान द्वारा जानकारी इकट्ठा करना है। 

उद्देश्य:

  • अध्ययन का मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिकों को  पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में  प्रजातियों के संरक्षण के लिये  एक संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क विकसित करने हेतु  अनुकूल स्थानिक योजना का सुझाव देने के लिये  प्रेरित करना है।   
  •  संरक्षित क्षेत्रों के लिये ‘अनुकूल स्थानिक योजना’ का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के जोखिमों और अनिश्चितता को कम करना है।

स्रोत: द हिंदू

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