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आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2018 लोकसभा में पारित

  • 31 Jul 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

बलात्कार के मामलों में फांसी की सज़ा संबंधी आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2018 को लोकसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस विधेयक में महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये सभी आवश्यक प्रावधान किये गए हैं। इस विधेयक के अंतर्गत 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के मामलों में  मौत की सज़ा तथा एक वयस्क महिला के साथ बलात्कार के मामले में न्युनतम सजा को 7 से 10 साल तक बढाने का प्रावधान किया गया हैं।

आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2018

  • आईपीसी, 1860 के अंतर्गत बलात्कार के अपराध के लिये कम से कम 7 सात वर्ष के सश्रम कारावास से लेकर आजीवन कारावास तक का दंड दिया जाता है और साथ ही ज़ुर्माना भी लगाया जाता है|
  • अध्यादेश न्यूनतम कारावास की अवधि को बढ़ाकर 7 वर्ष से 10 वर्ष करता है|
  • अध्यादेश नाबालिगों के बलात्कार से संबंधित तीन नए अपराधों को प्रस्तुत करता है और प्रत्येक के लिये दंड को बढ़ाता है|

12 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ बलात्कार 

  • 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ बलात्कार के लिये 20 वर्ष का सश्रम कारावास जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है साथ ही पीड़िता के मेडिकल और पुनर्वास के खर्चे को पूरा करने के लिये ज़ुर्माना अथवा मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है|
  • 12 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार के लिये आजीवन कारावास के साथ-साथ पीड़िता के मेडिकल और पुनर्वास के खर्चे को पूरा करने के लिये ज़ुर्माना अथवा मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है|

16 वर्ष से कम आयु की बालिका के साथ बलात्कार की सज़ा

  • इससे पहले बलात्कार के लिये दस वर्ष के कारावास जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता था, की सज़ा का प्रावधान था| इसके साथ ज़ुर्माना भी लगाया जाता था| इसे बढ़ाकर कम-से-कम 20 वर्ष का सश्रम कारावास किया गया है जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है| साथ ही पीड़िता के मेडिकल और पुनर्वास के खर्चे को पूरा करने के लिये ज़ुर्माने का प्रावधान भी किया गया है|
  • 16 वर्ष से कम आयु की बालिका के साथ सामूहिक बलात्कार के लिये आजीवन कारावास के साथ-साथ पीड़िता के मेडिकल और पुनर्वास के खर्चे को पूरा करने के लिये ज़ुर्माने का प्रावधान किया गया है|

यौन अपराधों से बाल सुरक्षा अधिनियम (पॉस्को), 2012 में संशोधन 

  • पॉस्को, 2012 के अंतर्गत नाबालिगों (18 वर्ष से कम उम्र) के साथ बलात्कार के लिये कम-से-कम 7 वर्ष या आजीवन कारावास, साथ में ज़ुर्माने का दंड दिया जाता है|
  • 12 वर्ष से कम उम्र के नाबालिगों के साथ बलात्कार या नाबालिगों के साथ सामूहिक बलात्कार के लिये कम-से-कम 10 वर्ष के सश्रम कारावास या आजीवन कारावास, साथ में ज़ुर्माने का दंड दिया जाता है|
  • अध्यादेश पॉस्को अधिनियम में संशोधन करता है और कहता है कि ऐसे सभी अपराधों के लिये वह दंड लागू होगा जो कि पॉस्को अधिनियम, 2012 और भारतीय दंड संहिता, 1860 के अंतर्गत दिये जाने वाले दंड में से अधिक होगा|

आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC), 1973 में संशोधन 

  • सीआरपीसी, 1973 के अनुसार किसी बच्चे के साथ बलात्कार की जाँच तीन महीने में पूरी होनी चाहिये, अध्यादेश जाँच ख़त्म होने की अवधि को तीन महीने से घटाकर दो महीने करता है|
  • इसके अतिरिक्त अध्यादेश कहता है कि बलात्कार के सभी अपराधों में जाँच की यही समय-सीमा लागू होगी (जिसमें बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और 12 वर्ष तथा 16 वर्ष के नाबालिगों के साथ बलात्कार शामिल है)|
  • अध्यादेश के अनुसार, बलात्कार के मामलों में दंड के फैसले के खिलाफ किसी भी अपील की सुनवाई 6 महीने के भीतर पूरी होनी चाहिये|

अग्रिम ज़मानत 

  • सीआरपीसी, 1973 में उन शर्तों को सूचीबद्ध किया गया है जिनके अंतर्गत अग्रिम ज़मानत दी जाती है|
  • अध्यादेश के अनुसार 12 वर्ष और 16 वर्ष की उम्र से कम की नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार और सामूहिक बलात्कार पर अग्रिम ज़मानत का प्रावधान लागू नहीं होगा|

मुआवज़ा

  • सीआरपीसी, 1973 के अनुसार सभी बलात्कार पीड़ितों को राज्य सरकार द्वारा मुफ्त मेडिकल उपचार और मुआवज़ा दिया जाएगा|
  • इस प्रावधान में 12 और 16 वर्ष की नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार और सामूहिक बलात्कार को शामिल किया गया है|

पूर्व-मंज़ूरी

  • सीआरपीसी, 1973 के अनुसार कुछ अपराधों जैसे बलात्कार को छोड़कर दूसरे सभी अपराधों में सभी सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने के लिये पूर्व मंज़ूरी की ज़रूरत होती है|
  • इस प्रावधान में 12 और 16 वर्ष की नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार और सामूहिक बलात्कार को शामिल किया गया है|

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872

  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अंतर्गत यह निर्धारित करने में कि कोई कृत्य सहमति से था अथवा नहीं, पीड़िता का पूर्व यौन अनुभव या चरित्र मायने नहीं रखता है|
  • इस प्रावधान में 12 और 16 वर्ष की नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार और सामूहिक बलात्कार को शामिल किया गया है|
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