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लियोनिड उल्का बौछार

  • 10 Nov 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

उल्का बौछार, उल्कापिंड, धूमकेतु

मेन्स के लिये:

लियोनिड उल्का बौछार के कारण

चर्चा में क्यों?

वार्षिक लियोनिड्स उल्का बौछार (Leonids Meteor Shower) की शुरूआत  हो गई है और 6 से 30 नवंबर के मध्य यह सक्रिय रहेगी तथा 17 नवंबर को इसकी चरम अवस्था की संभावना व्यक्त की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • उल्का: यह एक अंतरिक्षीय चट्टान या उल्कापिंड है जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है।
    • उल्कापिंड अंतरिक्ष में मौजूद वह वस्तुएँ हैं जिनका आकार धूल के कण से लेकर एक छोटे क्षुद्रग्रहों के बराबर होता है।
      • इनका निर्माण अन्य बड़े निकायों, जैसे- धूमकेतु, क्षुद्रग्रह, ग्रह एवं उपग्रह से टूटने या विस्फोट के कारण होता हैं।
    • जब उल्कापिंड तेज़ गति से पृथ्वी के वायुमंडल (या किसी अन्य ग्रह, जैसे- मंगल) में प्रवेश करते हैं तो इनमें तीव्र ज्वाला उत्पन्न होती है, इसलिये इन्हें टूटा हुआ तारा (shooting Stars) कहा जाता है।
      • फायर बॉल्स (Fireballs) में तीव्र विस्फोट के साथ प्रकाश एवं रंग उत्सर्जित होता है जो उल्का की रेखा/पूंछ की तुलना में देर तक दिखता है, क्योंकि फायर बॉल्स का निर्माण उल्का के बड़े कणों से मिलकर होता है।
    • जब कोई उल्कापिंड वायुमंडल को पार करते हुए ज़मीन से टकराता है, तो उसे ‘उल्कापिंड’ (Meteorite) कहा जाता है।
  • उल्का बौछार:
    • जब पृथ्वी पर एक साथ कई उल्का पिंड पहुँचते हैं या गिरते हैं तो इसे उल्का बौछार (Meteor Shower) कहा जाता है।
      • पृथ्वी और दूसरे ग्रहों की तरह धूमकेतु भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं। ग्रहों की लगभग गोलाकार कक्षाओं के विपरीत, धूमकेतु की कक्षाएँ सामान्यत: एकांगी (lopsided) होती हैं।
      • जैसे-जैसे धूमकेतु सूर्य के करीब आता है, उसकी बर्फीली सतह गर्म होकर धूल एवं चट्टानों (उल्कापिंड) के बहुत सारे कणों को मुक्त करती है।
      • यह धूमकेतु का मलबा धूमकेतु के मार्ग के साथ बिखर जाता है विशेष रूप से आंतरिक सौर मंडल (जिसमें बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह शामिल हैं) में।
      • फिर, प्रत्येक वर्ष कई बार जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अपनी यात्रा करती है, तो इसकी कक्षा एक धूमकेतु की कक्षा को पार करती है, जिसका अर्थ है कि पृथ्वी धूमकेतु के मलबे के एक समूह का सामना करती है।
    • उल्का पिंडों का नाम उस नक्षत्र के नाम पर रखा गया है जहाँ उल्का पिंड आते हुए प्रतीत होते हैं। उदाहरण के लिये, ओरियोनिड्स उल्का बौछार (Orionids Meteor Shower), जो प्रत्येक वर्ष में होती है तथा 'ओरियन द हंटर' (Orion the Hunter) नक्षत्र के निकट उत्पन्न होती है।
  • लियोनिड बौछार:
    • इस उल्का बौछार का निर्माण करने वाला मलबा लियो नक्षत्र में 55P/टेम्पेल-टटल (55P/Tempel-Tuttle) नामक एक छोटे धूमकेतु से निकलता है, जिसे सूर्य की परिक्रमा करने में 33 वर्ष लगते हैं।
    • लियोनिड्स को एक प्रमुख बौछार माना जाता है जिसमें सबसे तीव्र गति वाली उल्काएँ होती हैं।
    • लियोनिड्स को फायर बॉल्स (Fireballs) और ‘अर्थग्रेज़र’ (Earthgrazer) उल्का भी कहा जाता है।
      • फायर बॉल्स  का निर्माण उनके चमकीले रंगों और ‘अर्थग्रेज़र’ के कारण होता है  क्योंकि वे क्षितिज के करीब रेखाएँ खींचते हैं।
    • लियोनिड की बौछार प्रत्येक 33 वर्षों में उल्कापिंड में बदल जाती है और जब ऐसा होता है तो प्रत्येक घंटे सैकड़ों से हजारों उल्काएँ देखी जा सकती हैं। अंतिम लियोनिड उल्का बौछार/तूफान वर्ष 2002 में आया था।
      • एक उल्का तूफान में प्रति घंटे कम-से-कम 1,000 उल्काएँ होने की संभावना रहती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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