कुकी और ज़ोमी समूह | 26 Nov 2019

प्रीलिम्स के लिये

कुकी और ज़ोमी समूह, जनजातियाँ, उत्तर-पूर्व की भौगोलिक स्थिति

मेन्स के लिये

मणिपुर में जातीय समुदाय, जनजातियाँ और इनकी संवैधानिक एवं भौगोलिक स्थिति, अधिकार, इस संदर्भ में सरकार द्वारा चलाई जा रही कुछ महत्त्वपूर्ण योजनाएँ

चर्चा में क्यों?

पिछले कुछ समय से भारत सरकार मणिपुर के 23 कुकी और ज़ोमी समूहों (Kuki and Zomi groups) के साथ शांति वार्ता को किसी परिणाम पर पहुँचाने का प्रयास कर रही है। इस संदर्भ में न केवल ये जनजातीय समूह चर्चा का विषय बने हुए हैं बल्कि भारत सरकार के इन प्रयासों की पृष्ठभूमि भी महत्त्वपूर्ण हो गई है।

पृष्ठभूमि

  • 15 अक्तूबर, 1949 को भारतीय संघ में विलय से पहले मणिपुर एक रियासत थी। यहाँ नगा, कुकी और मैती सहित कईं जातीय समुदाय निवास करते हैं।
  • मणिपुर के विलय और पूर्ण विकसित राज्य (वर्ष 1972 में पूर्ण राज्य का दर्जा मिला) का दर्जा मिलने में हुई देरी से मणिपुर के लोगों में असंतोष की भावना उत्पन्न हुई।
  • प्राकृतिक संसाधनों पर अतिव्यापी दावों के संबंध में अलग-अलग आकांक्षाओं और कथित असुरक्षा के कारण विभिन्न जातीय समुदाय एक दूसरे से दूर होते चले गए।
  • शुरुआती दौर में मणिपुर में एक स्वतंत्र राज्य की मांग को लेकर आंदोलन हुआ और राज्य की स्थापना के साथ यह आंदोलन समाप्त हो गया। परंतु, वर्ष 1978 में यहाँ पुन: हिंसक आंदोलन शुरू हुआ और लोगों ने विकास तथा पिछड़ेपन को आधार बनाकर भारतीय गणराज्य से अलग होने की मांग की।
  • इसके अलावा वर्ष 1990 के दशक की शुरुआत में नगा एवं कुकी के बीच हुए जातीय संघर्ष के बाद, नगा आधिपत्य और दावे का सामना करने के लिये कई तरह के कुकी संगठनों का भी जन्म हुआ। इसके फलस्वरूप वर्ष 1998 में कुकी नेशनल फ्रंट (Kuki National Front-KNF) का गठन हुआ।
    • कुकी जनजाति के लोग एक अलग राज्य की मांग करते हैं। ये लोग एक उग्रवादी संगठन मणिपुर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट की छत्रछाया में काम करते हैं।
  • इस दौरान नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (National Socialist Council of Nagalim) अर्थात् Issac (वर्ष 1988 में गठित) ने मणिपुर के कुछ ऐसे क्षेत्रों को नगालैंड में मिलाये जाने की मांग की, जिनमें बड़ी संख्या में कुकी जनजाति निवास करती हैं।

हालाँकि वर्ष 2008 में दो बड़े संगठनों [कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF)] के तहत कुकी और ज़ोमिस से संबंधित 20 उग्रवादी समूहों ने भारत सरकार एवं मणिपुर सरकार के साथ SoO (Suspension of Operations) समझौते पर हस्ताक्षर किये। समझौते का उद्देश्य चरमपंथी समूहों द्वारा की गई मांगों पर चर्चा करना और मणिपुर में शांति स्थापित लाना है।

मणिपुर में जातीय समुदाय

मणिपुर के लोगों को तीन मुख्य जातीय समुदायों में बाँटा गया है- मैती जो घाटी में निवास करते हैं और 29 प्रमुख जनजातियाँ, जो पहाड़ियों में निवास करती हैं, को दो मुख्य नृवंश-समुदायों (Ethno-Denominations); नगा और कुकी-चिन में विभाजित किया जाता हैं।

नगा समूह में ज़ेलियानग्रोंग (Zeliangrong), तंगखुल (Tangkhul), माओ (Mao), मैरम (Maram), मारिंग (Maring) और ताराओ (Tarao) शामिल हैं।

चिन-कुकी समूह

  • चिन-कुकी समूह (Chin-Kuki group) में गंगटे (Gangte), हमार (Hmar), पेइती (Paite), थादौ (Thadou), वैपी (Vaiphei), जोऊ/ज़ो (Zou), आइमोल (Aimol), चिरु (Chiru), कोइरेंग (Koireng), कोम (Kom), एनल (Anal), चोथे (Chothe), लमगांग (Lamgang), कोइरो (Koirao), थंगल (Thangal), मोयोन (Moyon) और मोनसांग (Monsang) शामिल हैं।
  • चिन पद का प्रयोग पड़ोसी राज्य म्याँमार के चिन प्रांत के लोगों के लिये किया जाता है जबकि भारतीय क्षेत्र में चिन लोगों को कुकी कहा जाता है। अन्य समूहों जैसे पेइती, जोऊ/ज़ो, गंगटे और वैपी अपनी पहचान ज़ोमी के रूप में करते हैं तथा स्वयं को कुकी नाम से दूर रखते हैं।
  • यह इस बात पर विशेष ध्यान दिये जाने की ज़रूरत है कि सभी विभिन्न जातीय समूह एक ही मंगोलॉयड समूह (Mongoloid group) के हैं और उनकी संस्कृति एवं परम्पराओं में बहुत करीबी समानताएँ हैं।

हालाँकि मैती हिंदू रीति-रिवाज़ों का पालन करने वाला जनजातीय समूह हैं, यह अपने आसपास की पहाड़ी जनजातियों से सांस्कृतिक रूप से भिन्न है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस